लीबिया में हिरासत केंद्र पर मिसाइल का गिरना हो सकता है 'युद्धापराध' - यूएन
लीबिया की राजधानी त्रिपोली में एक हिरासत केंद्र के युद्धक गतिविधियों की चपेट में आने से अनेक लोग हताहत हुए हैं जिनमें अनेक प्रवासी और शरणार्थी भी थे. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने कहा है कि इस युद्धक गतिविधि को युद्धापराध माना जा सकता है और इसके लिए निंदा से आगे बढ़कर क़दम उठाए जाने का आहवान किया है.
यह मिसाइल मंगलवार को त्रिपोली के बाहरी इलाक़े में स्थित तजोरा हिरासत केंद्र में गिरा.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस घटना में 44 प्रवासियों और शरणार्थियों के मारे जाने और 130 से ज़्यादा के घायल होने की रिपोर्टों से वह व्यथित हैं.
उन्होंने इस घटना की कड़े से कड़े शब्दों में निंदा की है और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की है.
यूएन प्रवासन एजेंसी (IOM) और यूएन शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने इस घटना के लिए ज़िम्मेदार लोगों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए व्यापक जांच की मांग की है.
दोनों एजेंसियों ने आशंका जताई है कि हताहत होने वाले लोगों का आंकड़ा अनुमान से कहीं ज़्यादा हो सकता है.
इन एजेंसियों की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ऐसी घटनाओं की सिर्फ़ निंदा से आगे बढ़कर और ज़्यादा ठोस कार्रवाई करने की आवश्यकता है. साथ ही इसकी जांच होनी चाहिए कि यह कैसे हुआ, इसके लिए कौन ज़िम्मेदार हैं और फिर दोषियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए.
#Libya: UN Human Rights Chief @mbachelet is shocked by the number of migrants & refugees left dead and injured after a detention centre was hit by an airstrike. Read 👉 https://t.co/DCXjyW7DFH pic.twitter.com/b1pNCtzUUn
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एक रिपोर्ट के अनुसार हिरासत केंद्र का एक हिस्सा इस युद्धक गतिविधि का निशाना बना जिसमें उस समय 120 से ज़्यादा लोग मौजूद थे.
ग़ौरतलब है कि लीबिया में संयुक्त राष्ट्र से मान्यता प्राप्त अंतरिम सरकार में प्रधानमंत्री फ़ायेज अल-सराज के सुरक्षा बलों और लीबियन नेशनल आर्मी के कमांडर ख़लीफ़ा हफ़्तार के वफ़ादार सैनिकों के बीच लड़ाई चल रही है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार मामलों की प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने कहा कि युद्धक गतिविधियों में शामिल सभी पक्षों को हिरासत केंद्र की मौजूदगी और वहां आम नागरिकों की उपस्थिति के बारे मे बता दिया गया था लेकिन उसके बावजूद ये घटना हुई.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि इससे संकेत मिलता है कि इस घटना को युद्धापराध की श्रेणी में रखा जा सकता है.
उन्होंने सभी पक्षों से अपील की है कि इस घटना की अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों के तहत ज़िम्मेदारी निर्धारित होनी चाहिए और आम लोगों, स्कूलों, अस्पतालों और हिरासत केंद्रों सहित सभी नागरिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए हरसंभव क़दम उठाए जाने चाहिए.
लीबिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन (UNSMIL) के प्रमुख और महासचिव के विशेष प्रतिनिधि घसन सलामे ने भी इस घटना के बाद यूएन मानवाधिकार प्रमुख की ओर से जारी बयान का समर्थन करते हुए इसे एक कायरना हरक़त बताया है.
“यह हमला स्पष्ट रूप से युद्धापराध हो सकता है क्योंकि इसमें उन निर्दोषों को मार दिया गया जिन्होंने वहां मुश्किल परिस्थितियों में शरण ले रखी थी.”
उन्होंने कहा कि यह लड़ाई बेतुकी है और इस ख़ूनी संहार के त्रासदीपूर्ण और घिनौने नतीजे देखने को मिल रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील जारी की है कि पीड़ितों को न्याय दिलाने के प्रयास होने चाहिए.
इस हमले के पीड़ितों में अधिकांश प्रवासी माने जा रहे हैं जो अन्य अफ़्रीकी देशों से आए थे और योरोप जाने का प्रयास कर रहे थे.
तजोरा केंद्र पर हिरासत में रह रहे लोगों के अलावा तीन हज़ार से ज़्यादा प्रवासियों और शरणार्थियों को त्रिपोली और उसके आसपास के इलाक़ों में हिरासत में लिया गया है.
यूएन एजेंसियों के अनुसार उन्हें अमानवीय परिस्थितियों मे रखा जाता है और वहां जारी लड़ाई भी उनके लिए और ज़्यादा मुश्किलें पैदा कर रही है.
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने ऐसे हिरासत केंद्रों को बंद करने की मांग की है और हिरासत में लिए गए प्रवासियों और शरणार्थियों की तत्काल रिहाई की अपील को दोहराया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि तेज़ होते हवाई हमलों और बमबारी से एक लाख से ज़्यादा लोग विस्थापन के लिए मजबूर हुए हैं.