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लीबिया: हिरासत केंद्र पर हवाई बमबारी की जांच की मांग

तजोरा हिरासत केंद्र पर हमले के बाद का दृश्य.
IOM/Moad Laswed
तजोरा हिरासत केंद्र पर हमले के बाद का दृश्य.

लीबिया: हिरासत केंद्र पर हवाई बमबारी की जांच की मांग

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र ने लीबिया में जारी हिंसा में शामिल सभी पक्षों और उन्हें समर्थन दे रही विदेशी सरकारों से जुलाई 2019 में हवाई बमबारी की घटना की जांच कराने का आग्रह किया है. जुलाई 2020 में देश के पश्चिमोत्तर क्षेत्र में स्थित एक हिरासत केंद्र पर हवाई बमबारी में 53 शरणार्थियों व प्रवासियों की मौत हो गई थी. लीबिया में यूएन मिशन के प्रमुख ने इस घटना को हवाई ताक़त के इस्तेमाल का एक त्रासदीपूर्ण उदाहरण क़रार दिया.

लीबिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन (UNSMIL) और यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने जिनीवा में सोमवार को एक साझा रिपोर्ट पेश करते हुए दमन बिल्डिंग कॉम्पलेक्स पर हुए उस हमले की जवाबदेही तय करने की अपील की है. इस परिसर में ही तजोरा हिरासत केंद्र स्थित था.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशलेट ने कहा कि तजोरा हिरासत केंद्र पर हमले को युद्धापराध के दायरे में रखा जा सकता है.

“लीबियाई नागरिक, प्रवासी और शरणार्थी हिंसा व अत्याचार में फंसे हुए हैं और दंडमुक्ति की भावना के कारण इसे हवा मिल रही है. इन अपराधों के दोषियों की जवाबदेही अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत तय होनी चाहिए.”

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पश्चिमोत्तर लीबिया के तजोरा नगर में दमन परिसर है जहां अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त लीबियाई सरकार के कई सुविधा केंद्र बनाए गए हैं. लेकिन सरकार को कथित लीबियन नेशनल आर्मी (एलएनए) से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है जो पूर्वी हिस्से, बेनग़ाज़ी में एक विरोधी सरकार की समर्थक है. अप्रैल 2019 में विरोधी गुट के सैनिकों ने दक्षिणी त्रिपोली को अपने घेरे में ले लिया जिसके बाद दोनों पक्षों में हिंसा तेज़ हो गई.

दमन परिसर पर हमला 2 जुलाई 2019 को हुआ था जब पहले हवाई बमबारी में एक वाहन की मरम्मत करने वाली वर्कशॉप पर हमला हुआ.

कुछ ही मिनटों बाद एक दूसरा हवाई हमला तजोरा हिरासत केंद्र पर हुआ जिसमें उस समय 616 प्रवासी व शरणार्थी रखे गए थे. इस इमारत के तीन हिस्सों को नुक़सान पहुंचा था.

हिरासत केंद्र का वह हिस्सा सीधे तौर पर क्षतिग्रस्त हुआ जिसमें 126 लोग रखे गए थे – 47 पुरुषों व छह लड़कों की मौत हो गई जबकि 87 अन्य पुरुष शरणार्थी व प्रवासी घायल हुए थे.

अप्रैल 2019 में देश में नए सिरे से हिंसा शुरू होने के बाद यह सबसे घातक हमला था.

‘त्रासदीपूर्ण उदाहरण’

रिपोर्ट के मुताबिक़ ऐसा प्रतीत होता है कि हवाई बमबारी के लिए किसी अन्य देश के विमान का इस्तेमाल किया गया लेकिन यह अब भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये सीधे तौर पर लीबियाई नेशनल आर्मी के नियंत्रण में था या फिर उसका समर्थन कर रहे किसी अन्य देश के.

रिपोर्ट में ध्यान दिलाया गया है कि हिंसा में शामिल सभी पक्षों को हिरासत केंद्र की स्थिति के बारे में पुख़्ता जानकारी थी, और उसे पहले भी निशाना बनाया जा चुका था.

लीबिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन के प्रमुख ग़स्सान सलामे ने कहा कि तजोरा में जुलाई 2019 में हुआ हमला एक त्रासदीपूर्ण उदाहरण है कि लीबिया में हिंसा में किस तरह हवाई ताक़त का इस्तेमाल हावी हो रहा है, और विदेशी हस्तक्षेप से नागरिकों के लिए सीधे तौर पर क्या ख़तरे हैं.

“इसीलिए ऐसी दख़लअंदाज़ी रोकने और हथियारों पर संयुक्त राष्ट्र की पाबंदी के सिलसिले में बर्लिन में 19 जनवरी को जो संकल्प लिए गए थे उन्हें पूरा किया जाना होगा.”

जर्मनी की राजधानी बर्लिन में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने लीबिया संकट का समाधान तलाश करने के प्रयासों के तहत बैठक की थी. लीबिया मे हिंसा के पीछे विदेशी हस्तक्षेप को भी ज़िम्मेदार माना जा रहा है.

यूएन की साझा जॉंच रिपोर्ट के मुताबिक़ वर्ष 2019 में 287 आम नागरिकों की मौत हुई और 369 अन्य घायल हुए हैं. इनमें 60 फ़ीसदी हताहतों की वजह हवाई बमबारी को बताया गया है.

लेकिन स्थिति में सुधार के संकेत अभी नज़र नहीं आ रहे हैं. सोमवार को लीबिया में यूएन मिशन ने त्रिपोली के पास मीतिगा हवाई अड्डे पर एक मिसाइल हमले की निंदा की है. इस हमले में दो आम नागरिक घायल हुए हैं जबकि हवाई पट्टी सहित कई इमारतों को नुक़सान पहुंचा है.

यूएन मिशन ने ट्विटर पर जारी अपने एक बयान मे कहा, “लीबिया में यूएन मिशन दोहराता है कि नागरिक प्रतिष्ठानों, विशेषकर सार्वजनिक सुविधा केंद्रों पर हमले अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानूनों का खुला उल्लंघन है. बार-बार हुए हमलों के कारण अब तक काम कर रहे एकमात्र मितिगा एयरपोर्ट को भारी नुक़सान पहुँचने के कारण राजधानी में रह रहे बीस लाख से अधिक लोग इसकी सुविधाओं से वंचित हो गए हैं.”