‘सैन फ्रांसिस्को की भावना फिर से जगानी होगी'
मानवाधिकारों के लिए फिर से भरोसा जगाना, सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना और "युद्ध के संकट" से दुनिया को बचाना – ये सभी संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सिद्धांतों में से हैं जो संगठन की आधारशिला यानी उसके चार्टर में दिखाई देते हैं जिस पर ठीक 74 साल पहले सैन फ्रांसिस्को में हस्ताक्षर किए गए थे.
संयुक्त राष्ट्र चार्टर की सालगिरह पर बुधवार, 26 जून को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया. इसमें वर्ष 2020 में संयुक्त राष्ट्र संगठन की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए कई योजनाएँ तैयार की गईं.
महासभा की अध्यक्षा मारिआ फरनेंडा एस्पिनोसा ने उद्घाटन भाषण में प्रतिनिधियों को याद दिलाया कि जब 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर हस्ताक्षर किए गए थे तब "युद्ध से थकी-हारी दुनिया को इससे बहुत सारी उम्मीदें" थीं.
The @UN Charter is an exceptional achievement in the annals of history. 74 years since the creation of the UN, the Charter still represents the best path we have for securing global peace, development and human rights.https://t.co/RVKV2UfOaM#CharterDay pic.twitter.com/O0i56eQHbX
antonioguterres
हालांकि चार्टर की ये कहकर आलोचना भी की जा सकती है कि वो "एक अलग ही दौर का आदर्शवादी प्रयास" था.
लेकिन इसके संस्थापक सपनों की दुनिया में रहने वाले आम इंसान नहीं, बल्कि मंझे हुए अनुभवी नेता थे जिन्होंने समझौते की कमियों और युद्ध में हुई हानि के बाद सहयोग के ज़रिए मिलने वाले लाभों – पूरे नफ़े-नुक़सान को तराज़ू में तौलकर ही फैसला लिया था.
महासभा अध्यक्षा ने कहा कि आज हमें उसी भावना को फिर से जीवित करने की ज़रूरत है जो 2015 में, और फिर विश्व भर में जलवायु संकट से निपटने के लिए 2030 के सतत विकास के एजेंडे पर हस्ताक्षर करते समय दिखाई दी थी.
संयुक्त राष्ट्र में रणनीतिक समन्वय के लिए सहायक महासचिव और अगले साल संयुक्त राष्ट्र की 75 वीं वर्षगांठ के आयोजन की ज़िम्मेदारी संभाल रही फैब्रिज़िओ हौशचाइल्ड ड्रमन्ड ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के एक ट्वीट संदेश का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 74 साल बाद भी संयुक्त राष्ट्र चार्टर विश्व शांति, विकास और मानव अधिकारों की सुरक्षा का सबसे श्रेष्ठ रास्ता दिखाता है.
उन्होंने कहा कि ट्विटर पर जाकर चार्टर का फिर से उल्लेख करना इसलिए भी ज़रूरी था क्योंकि लोग उस अथाह पीड़ा को भूलने लगे थे जिसकी वजह से 1945 में इतनी बड़ी संख्या में राजनयिकों ने अमेरिका के पश्चिमी तट पर एक साथ आकर आपसी सहयोग को दमदार तरीक़े से लागू किया था.
2020 में चार्टर की 75वीं वर्षगांठ समारोह की योजना के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि आज हमारी संस्था और सम्पूर्ण मानवता ही इतिहास के एक निर्णायक मोड़ पर है.
महत्वपूर्ण बात ये है कि हम इससे कैसे निपटते हैं क्योंकि इसका सीधा असर हमारे बच्चों, हमारे नाती-पोतों, और ख़ासतौर पर हमारे घरों, हमारी धरती पर पड़ेगा.
उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव का मानना है कि "युवाओं द्वारा संचालित एक प्रगतिशील, समावेशी वैश्विक वार्ता" ही संयुक्त राष्ट्र की सालगिरह मनाने और भविष्य का साझा दृष्टिकोण तैयार करने का सबसे अच्छा तरीका है.
संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा भाषणों के बाद सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने चार्टर की एक प्रति पर प्रतीकात्मक हस्ताक्षर किए.
सभी छह आधिकारिक भाषाओं में चार्टर की प्रस्तावना की एक प्रदर्शनी भी संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में चल रही है जो 75 वीं वर्षगांठ तक चार्टर के प्रति प्रतिबद्धता की अभिव्यक्ति के रूप में लगी रहेगी.
चार्टर पर हस्ताक्षर करने वाले 850 अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों में केवल चार महिलाएं थीं.
संयुक्त राष्ट्र के लैंगिक समानता के फोकस को देखते हुए पॉलीना ग्रीअर तीन शोधकर्ताओं से बात कर रही हैं जो संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं के योगदान को उजागर करने में मदद करेंगे.