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यातना पर हर हाल में प्रतिबंध ज़रूरी

सोमालिया की मोगादीशू केंद्रीय जेल के बाहर मानवाधिकार दिवस के मौक़े पर मानवाधिकार समर्थकों ने यातना और अत्याचार के विरुद्ध प्रदर्शन किया था (10 दिसंबर 2013)
UN Photo / Tobin Jones
सोमालिया की मोगादीशू केंद्रीय जेल के बाहर मानवाधिकार दिवस के मौक़े पर मानवाधिकार समर्थकों ने यातना और अत्याचार के विरुद्ध प्रदर्शन किया था (10 दिसंबर 2013)

यातना पर हर हाल में प्रतिबंध ज़रूरी

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए कहा कि निसंदेह यातना पर हर हाल में रोक लगनी ज़रूरी है, मगर फिर भी दिन-ब-दिन इस मूल सिद्धांत का उल्लंघन होता देखा जा सकता है - ख़ासतौर पर बंदीगृहों, जेलों, पुलिस थानों, मनोरोग संस्थानों और दूसरे ऐसे स्थानों पर जहाँ क़ैद करने वाले लोग, बंदियों पर अत्याचार करने की हैसियत रखते हों.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने यातना पीड़ितों के समर्थन में संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर यातना के कृत्यों को घृणास्पद बताते हुए कहा कि इस अमानवीय कृत्य का दुष्चक्र पीड़ित व्यक्ति की इच्छा शक्ति को तोड़ता है.

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उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र यातना की मानव जाति द्वारा किए गए घिनौने कृत्य के रूप में लंबे समय से निंदा करता रहा है.

यातना को "पीड़ित के व्यक्तित्व का सफ़ाया" करने की कोशिश मानता रहा है - जो इंसान की गरिमा के ख़िलाफ है.

अंतरराष्ट्रीय क़ानून में मनाही होने के बावजूद, अत्याचार दुनिया के सभी क्षेत्रों में जारी है और अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर इसे न्यायसंगत ठहराया जाता है.

“लेकिन इसके व्यापक परिणाम पीढ़ी दर पीढ़ी नज़र आते हैं, जिससे हिंसा और बदला लेने का चक्र चलता रहता है.”

फिलहाल 166 देशों ने इस स्थिति को स्वीकार किया है.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि वे इससे "प्रोत्साहित हैं कि हम यातना के ख़िलाफ संयुक्त राष्ट्र संधि के सार्वभौमिक सत्यापन की ओर बढ़ रहे हैं."

"राष्ट्रीय क़ानून और नियम-पद्धतियां इस संधि के अनुरूप हैं, इसके ज़रिए ही यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि हम कथनी को करनी में बदल रहे हैं, यातना को प्रतिबंधित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.”

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि अत्याचार अक्सर बंद दरवाज़ों के पीछे ही किए जाते हैं. इसलिए स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों के लिए यह ज़रूरी है कि वे इन बंद दरवाज़ों को खोलें.

यातना की रोकथाम पर संयुक्त राष्ट्र उपसमिति यही काम करती है.

ये समिति राष्ट्रीय रोकथाम प्रणालियों के सहयोग से हर साल जेलों और अन्य संस्थानों का दौरा करती है और अधिक से अधिक क़ैदियों, अधिकारियों, क़ानून प्रवर्तन कर्मचारियों और मेडिकल स्टाफ से बातचीत करती है.

उन्होंने कहा कि अपनी तरफ़ से हमें पीड़ितों की सहायता करनी चाहिए और उनके पुनर्वास एवं शिकायत निवारण संबंधी अधिकारों के प्रति सम्मान सुनिश्चित करना चाहिए.

पीड़ितों के कल्याण पर केंद्रित ये दृष्टिकोण, यातना के पीड़ितों के लिए संयुक्त राष्ट्र स्वैच्छिक कोष का मार्गदर्शन करता है जोकि हर वर्ष लगभग 80 देशों में 50 हज़ार पीड़ितों की सहायता करता है.

इसने यौन एवं लिंग आधारित हिंसा सहित यातना के विभिन्न आयामों को समझने में हमारी मदद की है.

साथ ही हमारे लिए ये भी स्पष्ट हुआ है कि भिन्न-भिन्न पीड़ितों को किस प्रकार की विशेष सहायता की ज़रूरत होती है. 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने यातना के पीड़ितों के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर सभी देशों से अपील की कि वो अत्याचार करने वालों को माफ़ करना बंद करें और इन मानवता-विरोधी निंदनीय कृत्यों पर लगाम लगाएं.