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स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी समस्याओं से जूझती महिलाएं

प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं में सुधार के बावजूद स्थानीय रीति-रिवाज़ और सांस्कृतिक अवरोध बड़ी चुनौती हैं.
UNFPA
प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं में सुधार के बावजूद स्थानीय रीति-रिवाज़ और सांस्कृतिक अवरोध बड़ी चुनौती हैं.

स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी समस्याओं से जूझती महिलाएं

स्वास्थ्य

दुनिया के 51 देशों में हर दस में से चार महिलाओं को अपने संगी की शारीरिक संबंधों की मांग को मानने के लिए मजबूर होना पड़ता है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की ओर से बुधवार को जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार महिलाएं गर्भ धारण करने और स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने जैसे बुनियादी निर्णय भी नहीं ले पातीं.  

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के जिनिवा कार्यालय में निदेशक मोनिका फ़ैरो ने इन आंकड़ों पर चिंता जताई है. उन्होंने यौन संबंधों में सहमति के स्तर को बढ़ाने और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया. “भूलिए मत: इसमें हर एक आंकड़ा एक व्यक्ति है.”

15-49 साल तक की महिलाओं से संबंधित ये जानकारी पहली बार ‘स्टेट ऑफ़ वर्ल्ड पॉपुलेशन 2019’ रिपोर्ट में प्रकाशित हुई है.

रिपोर्ट दर्शाती है कि सांस्कृतिक और आर्थिक अवरोधों के चलते 21.4 करोड़ महिलाओं की आसान गर्भनिरोधक उपायों तक पहुंच नहीं है. हर दिन 800 महिलाओं की मौत गर्भावस्था या प्रसव के दौरान ऐसी वजहों से होती हैं जिन्हें टाला जा सकता है.

विश्लेषण के मुताबिक़, प्रजनन और यौन अधिकारों के अभाव में महिलाओं की शिक्षा, आय और सुरक्षा पर नकारात्मक असर पड़ता है और वह अपने भविष्य को आकार देने में विफल रहती हैं.  

मोनिका फ़ैरो ने बताया कि जो महिलाएं और लड़कियां पीछे छूट जाती हैं वे ग़रीब, ग्रामीण और कम पढ़े लिखे परिवारों से आती हैं. “मातृत्व काल में होने वाली सभी मौतों में दो तिहाई सिर्फ़ सब-सहारन अफ़्रीका में होती हैं.” इसके अलावा हाशिए पर रहने वाले समुदाय भी इन समस्याओं से पीड़ित हैं जिनमें अल्पसंख्यक जातीय समूह, अविवाहित लोग, समलैंगिक और विकलांग शामिल हैं.

जल्द शादी बनती है जंजाल

कम उम्र में विवाह महिला सशक्तिकरण और बेहतर प्रजनन अधिकारों की राह में एक बड़ा सांस्कृतिक रोड़ा है.

“एक लड़की जिसकी शादी दस साल की उम्र में होनी हो उसे शायद स्कूल छोड़ना पड़ेगा. और जब वह स्कूल छोड़ती है तो उसके पास बातचीत, मोल तोल करने का कौशल नहीं होगा, और उसके पास वो विशिष्ट कौशल भी नहीं होंगे जिससे उसे बेहतर वेतन वाली नौकरी मिल पाए.”

जल्द शादी हो जाने की वजह से उन्हें कई बार स्वास्थ्य जोखिम भी उठाने पड़ते हैं – गर्भावस्था और प्रसव के दौरान उन्हें जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. गर्भनिरोधक उपायों का सहारा न लेने पाने के चलते महिलाओं में यौन संचारित संक्रमणों से ग्रस्त होने का ख़तरा बना रहता है.

प्रसव के दौरान दाई की भूमिका अहम है.
Photo: UNFPA
प्रसव के दौरान दाई की भूमिका अहम है.

इन चिंताओं के बावजूद यूएन एजेंसी का कहना है कि पहले की तुलना में लाखों महिलाओं के लिए अब बेहतर जीवन जी पाना संभव हुआ है. इसका श्रेय नागरिक समाज और सरकारों की ओर अनचाहे गर्भ से बचाव और मातृत्व काल के दौरान होने वाली मौतों में कमी लाने के लिए किए जा रहे प्रयास हैं.

पिछले 50 सालों में सकारात्मक बदलावों का ज़िक्र करते हुए रिपोर्ट बताती है कि 1969 में महिलाएं औसतन 4.8 बच्चों को जन्म देती थीं, 1994 में यह संख्या घटकर 2.9 हुई और अब 2.5 हो गई है. सबसे कम विकसित देशों में भी प्रजनन दर में कमी देखने को मिली है – 1969 में 6.8 से घटकर 2019 में यह 3.9 हो गई है.

1969 में महज़ 24 फ़ीसदी महिलाएं ही आधुनिक गर्भनिरोधक उपायों का इस्तेमाल कर रही थीं लेकिन अब 58 प्रतिशत महिलाओं तक इसकी पहुंच है.

महिलाओं और लड़कियों के प्रजनन अधिकारों को भविष्य में चुनौती हिंसक संघर्षों और जलवायु जनित आपदाओं से मिल सकती है.

3.5 करोड़ महिलाएं, लड़कियां और युवा ऐसे हैं जिन्हें इस साल जीवन-रक्षक यौन, प्रजनन स्वास्थ्य और लैंगिक हिंसा संबंधी सेवाओं की आवश्यकता होगी.

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के कार्यकारी निदेशक डॉ नतालिया कानेम ने सचेत किया है कि प्रजनन अधिकारों के अभाव में महिलाएं अपनी इच्छा से भविष्य का निर्माण नहीं कर सकतीं. डॉ कानेम ने दुनिया के नेताओं से अपील की है कि यौन और प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों को सभी के लिए सुनिश्चित करने के लिए फिर से प्रतिबद्धता दिखाए जाने की ज़रूरत है.