टिकाऊ विकास लक्ष्य-10: असमानता में कमी

दुनिया के कई देशों में व्याप्त आय असमानता को कम करने के लिए निरंतर प्रयास हो रहे हैं लेकिन यह समस्या अब भी विकराल रूप धारण किए हुए है. 2030 टिकाऊ विकास एजेंडे का दसवां लक्ष्य बढ़ती असमानता से निपटने पर ही केंद्रित है.
असमानता किसी भी देश की प्रगति में बाधक होती है. असमानता लोगों से अवसर छीनती है और उन्हें ग़रीबी के कुचक्र में धकेल देती है. इस बात पर सहमति बढ़ रही है कि आर्थिक विकास अगर समावेशी नहीं है और उसमें टिकाऊ विकास के तीन ज़रूरी पहलू - आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण - शामिल नहीं हैं तो वह गरीबी कम करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा.
इन्हीं चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के दसवें गोल का उद्देश्य बढ़ती असमानता को कम करना है.
भारत के लिए आय में असमानता का गिनी गुणांक (Gini coefficient) 2010 में 36.8 प्रतिशत था, जो 2015 में घटकर 33.6 फ़ीसदी रह गया। एक समग्र रणनीति के तौर पर भारत सरकार विशेष रूप से जनधन-आधार-मोबाइल कार्यक्रम पर बल दे रही है जिसका उद्देश्य समावेशन, वित्तीय सशक्तिकरण और सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देना है.
ये प्राथमिकताएं 2030 तक सबके लिए समानता हासिल करने और सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक समावेशन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्यों के अनुरूप हैं.
- 2030 तक, जनसंख्या के सबसे निचले स्तर के 40 प्रतिशत हिस्से की आमदनी में वृद्धि दर निरंतर राष्ट्रीय औसत से ऊपर हासिल करना और कायम रखना
- 2030 तक, आयु, सेक्स, विकलांगता, नस्ल, जातीयता, मूल, धर्म या आर्थिक अथवा किसी अन्य हैसियत के भेदभाव के बिना सभी के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समावेशन को प्रोत्साहन देना और सशक्त करना
- समान अवसर सुनिश्चित करना तथा परिणाम की असमानताएं कम करना. इसमें भेदभावपूर्ण कानूनों, नीतियों और प्रथाओं को मिटाना तथा इस संदर्भ में उपयुक्त कानूनों, नीतियों और कार्रवाईयों को प्रोत्साहन देना शामिल है
- राजकोषीय, वेतन और सामाजिक संरक्षण नीतियां अपनाना और धीरे-धीरे पहले से अधिक समानता हासिल करना
- वैश्विक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक एवं वित्तीय संस्थाओं में निर्णय प्रक्रिया में विकासशील देशों को अधिक प्रतिनिधित्व दिलाना और उनकी आवाज सुना जाना जिससे संस्थाएं अधिक असरदार, विश्वसनीय, जवाबदेह और वैध हो सकें
- वैश्विक वित्तीय बाजारों और संस्थाओं के विनियमन और निगरानी में सुधार करना तथा ऐसे विनियमों पर अमल को सशक्त करना
- विकासशील देशों, विशेषकर सबसे कम विकसित देशों के लिए विश्व व्यापार संगठन समझौते के अनुसार विशेष तथा अलग-अलग व्यवहार के सिद्धांत को लागू करना
- सरकारी विकास सहायता और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सहित वित्तीय प्रवाह को सबसे अधिक जरूरतमंद देशों तक पहुंचाना. विशेषकर सबसे कम विकसित देशों, अफ्रीकी देशों, लघुद्वीपीय विकासशील देशों और भूमि से घिरे विकासशील देशों की राष्ट्रीय योजनाओं और कार्यक्रमों के अनुसार मदद पहुंचाना
- 2030 तक प्रवासियों द्वारा भेजी गई राशि की लेनदेन लागत घटाकर 3 फ़ीसदी से भी कम करना और रकम भेजने के ऐसे प्रेषण गलियारों को समाप्त करना जिनमें लागत 5 प्रतिशत से अधिक हो
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