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शान्ति अभियानों में वर्दीधारी महिलाओं की संख्या वृद्धि – यूएन की अहम प्राथमिकता

माली में एक महिला शान्तिरक्षक, स्थानीय महिला के साथ बातचीत कर रही है.
MINUSMA/Harandane Dicko
माली में एक महिला शान्तिरक्षक, स्थानीय महिला के साथ बातचीत कर रही है.

शान्ति अभियानों में वर्दीधारी महिलाओं की संख्या वृद्धि – यूएन की अहम प्राथमिकता

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र में शान्तिरक्षा अभियानों के प्रमुख ने कहा है कि शान्ति अभियानों में वर्दीधारी महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना, यूएन के लिये एक अहम प्राथमिकता है. अवर महासचिव ज्याँ-पियेर लाक्रोआ ने बुधवार को यूएन ट्रस्ट कोष (UN Elsie Initiative Fund) की शुरुआत के अवसर पर आयोजित एक एक उच्चस्तरीय कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए यह बात कही है.

इस ताज़ा पहल के तहत घोषणा की गई है कि शान्ति अभियानों में महिला सैन्यकर्मियों और पुलिसकर्मियों की भागीदारी बढ़ाने के लिये, लाइबेरिया, मैक्सिको, निजेर, सेनेगल और सिएरा लिया को वित्तीय समर्थन दिया जाएगा.

यूएन अधिकारी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव की ‘एक्शन फ़ॉर पीसकीपिंग’ (A4P) पहल के तहत, और महिलाएँ शान्ति एवँ सुरक्षा एजेण्डा लागू करने के लिये यह उनके संकल्पों में शामिल है.

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“महिलाएँ, शान्तिरक्षा में किसी भी पद पर पुरुषों जैसा या उनसे बेहतर काम कर सकती है.”

महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का एक उपाय, यूएन मिशनों में उनकी विभिन्न पदों पर भूमिकाओं और योगदानों की पहचान करना है.

यूएन मिशनों के संचालन के तौर-तरीक़े बेहतर बनाने के लिये, विविधतापूर्ण टीमों के गठन पर बल दिया गया है ताकि महिलाओं व पुरुषों को अपने कौशल, अनुभव और परिप्रेक्ष्यों द्वारा पूर्ण योगदान का अवसर हासिल हो सके.

साथ ही उन्होंने आगाह किया है कि यह, आम नागरिकों की रक्षा करने और शान्तिरक्षा के शासनादेश को सम्पूर्णता में लागू करने के नज़रिये से भी महत्वपूर्ण है.

वर्ष 2018 में वर्दीधारकों में लैंगिक बराबरी हासिल करने के लिये रणनीति (Uniformed Gender Parity Strategy) पेश किये जाने के बाद से शान्ति अभियान कार्यालय ने, लक्ष्य हासिल करने की दिशा में प्रगति दर्ज की है.

यूएन अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2018 से 2021 तक, महिला स्टाफ़ अधिकारियों और सैन्य पर्यवेक्षकों की संख्या 12.3 फ़ीसदी से बढ़कर 17.8 प्रतिशत हुई है.

व्यक्तिगत महिला पुलिस अधिकारियों की संख्या 22.3 प्रतिशत से बढ़कर 30.4 प्रतिशत और गठित पुलिस दलों (Formed Police Units) में यह 9 फ़ीसदी से बढ़कर 14.8 प्रतिशत हुई है.

बदलाव की दरकार

यूएन अवर महासचिव ने कहा कि इस क्षेत्र में दर्ज प्रगति के बावजूद, तैनात महिलाओं की संख्या बढ़ाया जाना पर्याप्त नहीं है.

“हमें अपनी संस्थाओं की कायापलट करने की आवश्यकता है ताकि महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके और वे हमारे शान्ति अभियानों में पूर्ण योगदान दे सकें.”

ज्याँ-पियेर लाक्रोआ ने गुरूवार को पेश इस पहल को एक ऐसा अहम साझीदार बताया जिससे महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के सम्बन्ध में, लक्ष्य प्राप्त करने के लिये समर्थन व संसाधन उपलब्ध कराए जा सकेंगे.

ये समर्थन व संसाधन, सैन्य व पुलिसकर्मियों का योगदान देने वाले देशों और यूएन के नेतृत्व में संचालित कार्यक्रमों को दिया जाएगा. इस साझा संकल्प को पूरा करने के लिये साथ मिलकर प्रयास करने की आवश्कता पर बल दिया गया है.

पूर्ण साझेदारी अहम

महिला सशक्तिकरण के लिये प्रयासरत यूएन संस्था – यूएन वीमैन की कार्यकारी निदेशक, और कोष की सह-प्रमुख पुमज़िले म्लाम्बो-न्गुका ने इस अवसर पर कहा कि सुरक्षा संस्थाओं में महिलाओं की पूर्ण व समान भागीदारी, संस्थाओं की जवाबदेही तय करने और सभी के लिये प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिये ज़रूरी है.

उन्होंने क्षोभ ज़ाहिर करते हुए कहा कि सैन्य बलों में लैंगिक बराबरी हासिल करने के लिये 30 वर्षों का समय लगेगा, जबकि गठित पुलिस दलों में 12 वर्ष लगेंगे.

उन्होंने कहा कि महिलाएँ अब और इतना लम्बा इन्तज़ार नहीं कर सकती हैं.

यूएन संस्था प्रमुख ने कहा कि संस्थागत कायापलट तभी सम्भव है जब उसकी अगुवाई ऐसे नेताओं के हाथों में हो, जो महिलाओं के लिये सामर्थ्यवान माहौल सृजित करें, और यौन हिंसा, उत्पीड़न व दुर्व्यवहार के प्रति शून्य सहिष्णुता हो.