विकलांगता कन्वेन्शन: 'समावेशी, सुलभ और टिकाऊ दुनिया' के निर्माण को समर्थन
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने विकलांगजन के अधिकारों पर कन्वेन्शन के लिये सम्बद्ध पक्षों के 15वें सम्मेलन के दौरान मंगलवार को कहा कि विकलांगजन के "व्यवस्थागत रूप में हाशिये पर धकेले जाने" को समाप्त करने के लिये हमारे पास उपयुक्त उपाय मौजूद हैं.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, "एक साथ, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हर व्यक्ति ... जीवन के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक - हर पहलू में पूरी तरह हिस्सा ले सके." उन्होंने कहा कि “हम अपने साझा भविष्य के लिये यह कर सकते हैं और हमें यह करना चाहिये."
आगे की राह
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उन्होंने विकलांगता कन्वेन्शन से हुई प्रगति को "व्यापक, तेज़ और मूर्त" बताया.
"2006 में अपनाए जाने के बाद से, कन्वेन्शन के 185 अनुसमर्थन के साथ, सभी के लिये एक समावेशी, सुलभ और टिकाऊ दुनिया हासिल करने हेतु अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिबद्धता मुखर हुई है."
महासचिव ने उल्लेख किया कि 92 प्रतिशत सम्बद्ध देशों ने राष्ट्रीय विकलांगता क़ानून अपनाए हैं, 60 प्रतिशत से अधिक ने श्रम बाजार में भेदभाव को रोकने के लिये कार्रवाई की है, लगभग 90 प्रतिशत ने विकलांग बच्चों के शिक्षा के अधिकारों की रक्षा हेतु क़ानून पारित किये हैं, और विकलांग छात्रों के समावेशन वाली स्कूली सामग्री शामिल करने वाले देशों का प्रतिशत दोगुने से अधिक हो गया है.
कोविड कारक
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि दुर्भाग्य से, कोविड-19 महामारी ने प्रगति को उलट दिया है, जिसने मौजूदा असमानताओं को उजागर किया है और नए ख़तरों को जन्म दिया है.
उन्होंने कहा, "महामारी से पहले भी, विकलांगों की शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आजीविका तक पहुँच हासिल करने की सम्भावना कम थी ... [और] जब समुदायों पर कोविड-19 की मार पड़ी, तो विकलांग व्यक्ति सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए."
महासचिव ने कहा कि यह बात सशस्त्र संघर्षों के लिये भी सच साबित होती है, "विकलांगजन अक्सर हिंसा से बचने के लिये भागने में असमर्थ होते हैं और उन्हें पर्याप्त मानवीय सहायता नहीं मिल पाती है."
उन्होंने याद दिलाया कि कन्वेन्शन के साथ-साथ प्रस्ताव 2475 के तहत, सदस्य देशों से विकलांगजन को समान सुरक्षा सुनिश्चित करने और मानवीय सहायता तक सुरक्षित, सामयिक व निर्बाध पहुँच प्रदान करने का आहवान किया, और देशों को "इन दायित्वों को पूरा करने" का आग्रह किया.
आगे रास्ता कठिन है
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कन्वेन्शन को अपनाए जाने के पन्द्रह साल बाद, आगे बढ़ने के लिये "तीन महत्वपूर्ण आयामों" पर प्रकाश डाला, जिसकी शुरुआत, समावेश बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से हो.
उन्होंने कहा, “प्रौद्योगिकी के वादे को अपनाने का मतलब है डिजिटल खाई को पाटना; पहुँच और समावेशन का विस्तार करना; और इसके ख़तरों से निपटने के लिये लोगों को बेहतर सुरक्षा देना.”
दूसरा, श्रम बाजार में समानता से, विकलांगजन की भागीदारी को आगे बढ़ाने के लिये आर्थिक सशक्तिकरण और उद्यमिता को बढ़ावा देना.
अन्त में, उन्होंने जलवायु कार्रवाई आगे बढ़ाने का भी आहवान किया.
उन्होंने बताया, "तूफ़ान, सूनामी और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौरान, विकलांग जन की मौत होने की सम्भावना दो से चार गुना अधिक होती है."
सहयोग की 'आधारशिला'
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने इन तीनों प्राथमिकताओं में, सरकारों, अन्तरराष्ट्रीय संगठनों, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र के बीच व्यापक सहयोग की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.
महासचिव ने कहा, "लेकिन इसकी आधारशिला ... पूर्ण विविधता सहित विकलांगजन की सक्रिय भागीदारी, और निर्णय लेने की सभी प्रक्रियाओं में उनके पूर्ण समावेशन के ज़रिये होनी चाहिये."
"हमें विकलांगजन, विशेष रूप से महिलाओं और उनके प्रतिनिधि संगठनों के नेतृत्व की आवश्यकता है."
उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई को स्वयं विकलांगजन की "स्पष्ट व ज़रूरी पुकार" से आगे बढ़ने की आवश्यकता है – मतलब यह कि "हमारे बिना, हमारे बारे में कुछ निर्णय नहीं."
उदाहरण द्वारा नेतृत्व
महासचिव स्वयं भी उदाहरण प्रस्तुत करके नेतृत्व करने के लिये प्रतिबद्ध हैं और उन्होंने याद दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र विकलांगता समावेशन रणनीति क्रियान्वयन के अपने तीसरे वर्ष में है, जो समावेश को व्यापक रूप से आगे बढ़ाने के लिये "एक ठोस ढाँचा" प्रदान कर रही है.
उन्होंने कहा, "मुख्यालय से लेकर कार्रवाई क्षेत्रों तक, हम इस पर कड़ी नज़र रख रहे हैं कि अपने कार्यक्रमों व आन्तरिक संचालन में, हम विकलांगता समावेशन और पहुँच के क्या समाधान निकाल रहे हैं."
उन्होंने कहा, "रणनीति रूपी अपने रोडमैप के ज़रिये, हम मानवीय, शान्ति और सुरक्षा कार्यों में विकलांगता समावेशन को शामिल कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र, विकलांगजन पर आँकड़े एकत्र करने, कन्वेन्शन के क्रियान्वयन में सहयोग करने और 2030 का विकास एजेण्डा प्राप्ति के लिये सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहा है.
साथ ही, महासचिव ने उम्मीद जताई कि संयुक्त राष्ट्र के कार्यालयों में भौतिक और डिजिटल पहुँच में सुधार एवं सुलभ कार्य प्रणाली स्थापित करके, यूएन "विकलांगजन का पसन्दीदा कार्यक्षेत्र” बन सकेगा."
महामारी के बाद काम में गति लाएँ : शाहिद
महासभा के अध्यक्ष, अब्दुल्ला शाहिद ने अपने वीडियो सन्देश में याद दिलाते हुए कहा कि सम्मेलन की थीम है: "कोविड सन्दर्भ और उसके बाद विकलांगता-समावेशी व सहभागी समाज का निर्माण."
उन्होंने विस्तार से बताया कि "रोज़गार की हानि, ग़ैर-समावेशी सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों और अपर्याप्त सहायक तकनीकों के कारण, विकलांगजन महामारी से किस बुरी तरह प्रभावित हुए थे.
महासभा अध्यक्ष ने, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, कोविड के बाद के पुनर्बहाली एजेण्डा के नीति डिज़ाइन और क्रियान्वयन में "विकलांगता का जीवन जीने वाले एक अरब लोगों के दृष्टिकोण" को शामिल करने का आग्रह किया.