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विकलांगजन के लिए न्यायसंगत दुनिया का वादा, नवाचार में निहित है कुंजी  

बांग्लादेश में अपने घर के पास एक विकलांग किशोर बैडमिंटन खेल रहा है.
© UNICEF/Jannatul Mawa
बांग्लादेश में अपने घर के पास एक विकलांग किशोर बैडमिंटन खेल रहा है.

विकलांगजन के लिए न्यायसंगत दुनिया का वादा, नवाचार में निहित है कुंजी  

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने शनिवार, 3 दिसम्बर को ‘अन्तरराष्ट्रीय विकलांगजन दिवस’ के अवसर पर विश्व में विकलांगजन को लाभान्वित करने वाले नवाचारी और रूपान्तरकारी बदलावों की पुकार लगाई है. उन्होंने आगाह किया है कि संकटों से घिरी दुनिया में विकलांगता की अवस्था में रह रहे लोगों पर ग़ैर-आनुपातिक असर पड़ता है.  

इस वर्ष अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर विकलांगजन के लिये समानतापूर्ण व सुलभ दुनिया के निर्माण में नवाचार की भूमिका को रेखांकित किया जा रहा है.

महासचिव गुटेरेश ने कायापलट कर देने वाले ऐसे समाधानों पर बल दिया, जिनसे टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति सम्भव हो और किसी को भी पीछे ना छोड़ा जाए.

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शीर्षतम यूएन अधिकारी ने अपने सन्देश में ज़ोर देकर कहा कि सार्वजनिक-निजी सैक्टर के बीच विशाल रचनात्मक सहयोग की आवश्यकता होगी, ताकि विकलांगजन को लाभान्वित करने वाली नीतियाँ विकसित की जा सकें.

उन्होंने कहा कि ऐसी नीतियाँ तैयार करते समय विकलांगजन को भी प्रक्रिया में सम्मिल्लित किया जाना होगा.

महासचिव के अनुसार संयुक्त राष्ट्र को विकलांगजन के लिए और अधिक सुलभ बनाने की ख़ातिर, संगठन के भीतर प्रयास किए जा रहे हैं.

इस क्रम में, यूएन विकलांगता समावेशन रणनीति, इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिये रोडमैप प्रदान कर रही है.

यूएन प्रमुख ने कहा, “मुख्यालय से ज़मीनी स्तर तक, हम डिजिटल सुलभता की समीक्षा करने, उसे सम्बोधित करने व बढ़ावा देने के लिये प्रयास कर रहे हैं, और विकलांगता समावेशन पर उदाहरण पेश करते हुए अगुवाई कर रहे हैं.”

एंतोनियो गुटेरेश ने बताया कि नवाचार और टैक्नॉलॉजी, समावेशन के लिये शक्तिशाली उपकरण साबित हो सकते हैं, जिनसे सूचना सुलभता, शिक्षा व जीवन-पर्यन्त सीखने-सिखाने में मदद मिलेगी.

साथ ही, विकलांगजन के लिए कार्यबल व वृहद स्तर पर समाज में समान भागेदारी करने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है.

अवरोधों पर पार पाना

संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान के अनुसार, विश्व भर में क़रीब 15 फ़ीसदी आबादी – हर सात में से एक व्यक्ति –  विकलांगता की अवस्था में जीवन गुज़ार रही है.

एक अरब से अधिक लोगों की आवश्यकताओं के बारे में समझदारी विकसित करने से, उन्हें समाज में पूर्ण रूप से एकीकृत करने, अधिकारों का सम्मान करने और समावेशी जीवन व्यतीत करने में मदद मिलेगी.

उन्होंने कहा कि टैक्नॉलॉकी के वादे को साकार करने के लिए डिजिटल खाई को पाटा जाना और डिजिटल जगत में मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित किया जाना अहम है.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1992 में प्रस्ताव 47/3 पारित करके, हर साल 3 दिसम्बर को अन्तरराष्ट्रीय विकलांगजन दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी.

इसका उद्देश्य समाज व विकास के सभी आयामों में विकलांगजन के अधिकारों व कल्याण को बढ़ावा देना, और राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक जीवन में उनकी स्थिति के प्रति जागरूकता का प्रसार करना है.