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सूडान: अल-फ़शर में हिंसा में आई तेज़ी, मानवाधिकार उच्चायुक्त ने जताई चिन्ता

उत्तरी दारफ़ूर में विस्थापितों के लिए बनाए गए एक शिविर से एक लड़का गुज़र रहा है.
© WFP/Leni Kinzli
उत्तरी दारफ़ूर में विस्थापितों के लिए बनाए गए एक शिविर से एक लड़का गुज़र रहा है.

सूडान: अल-फ़शर में हिंसा में आई तेज़ी, मानवाधिकार उच्चायुक्त ने जताई चिन्ता

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) ने सूडान में उत्तरी दारफ़ूर प्रान्त के अल-फ़शर शहर में हिंसा में आए उछाल पर चिन्ता व्यक्त की है, जहाँ पिछले दो सप्ताह के दौरान सूडान के सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बल (RSF) के बीच लड़ाई में बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय के प्रमुख वोल्कर टर्क ने शुक्रवार को एक वक्तव्य जारी किया, जिसमें उन्होंने बताया कि दोनों युद्धरत पक्षों द्वारा ताबड़तोड़ ढंग से, विस्फोटक हथियारों का इस्तेमाल किया गया है. 

सूडानी सशस्त्र बलों और RSF के बीच कुछ ही दिन पहले लड़ाई भड़क उठी, जब अर्द्धसैनिक बल ने अल-फ़शर में अपना नियंत्रण बढ़ाने की कोशिशें शुरू की.

मोर्टार से गोले दागए और लड़ाकू विमानों से रिहायशी इलाक़ों में हमले किए गए, जिससे एक बड़े दायरे में क्षति पहुँचती है. अब तक, हिंसा में कम से कम 43 लोगों के मारे जाने की ख़बर है, जिनमें महिलाएँ व बच्चे भी हैं. 

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गम्भीर हालात

15 अप्रैल 2023 को परस्पर विरोधी सैन्य बलों के बीच लड़ाई शुरू होने से अब तक, 80 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं, जिनमें से लगभग 20 लाख लोगों ने भागकर पड़ोसी देशों में शरण ली है.

क़रीब एक करोड़ 80 लाख लोग गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, जिनमें 1 करोड़ 40 लाख बच्चे हैं. इसके अलावा, 70 प्रतिशत अस्पताल सेवा योग्य नहीं बचे हैं और संक्रामक बीमारियों का ख़तरा बढ़ता जा रहा है.

अल-फ़शर में गहन होती लड़ाई के बीच आम नागरिक फँसे हुए हैं और जान बचाकर भागने की कोशिश में उनके मारे जाने का भय है. दारफ़ूर में ये एकमात्र ऐसा शहर है, जिस पर सूडानी सशस्त्र बलों का नियंत्रण है. 

हिंसक टकराव के बीच अति-आवश्यक सामग्री की भीषण क़िल्लत है जिससे हालात और जटिल हो गए हैं. मानवीय सहायता पहुँचाने के प्रयास और ज़रूरी सामान की आपूर्ति लड़ाई के कारण प्रभावित हुई है और सहायता क़ाफ़िले का RSF के नियंत्रण वाले इलाक़ों से होकर गुज़र पाना बेहद कठिन है.

यूएन कार्यालय ने बताया कि अप्रैल महीने की शुरुआत से अब तक, अर्द्धसैनिक बल RSF की ओर से अल-फ़शर के पश्चिमी इलाक़े में स्थित गाँवों पर कई बड़े हमले किए गए हैं.

जातीय हिंसा

यहाँ मुख्यत: अफ़्रीकी ज़ागहावा जातीय समुदाय की बहुतायत है, मगर इनमें से कई गाँवों को जला दिए जाने की ख़बरें हैं.

मानवाधिकार प्रमुख ने कहा कि इन हमलों से दारफ़ूर में जातीयता से प्रेरित और अधिक हिंसा की आशंका है, और सामूहिक हत्याएँ भी की जा सकती हैं. 

पिछले वर्ष पश्चिमी दारफ़ूर में दो जातीय समुदायों के बीच लड़ाई व हमलों में सैकड़ों आम नागरिक हताहत हुए थे और हज़ारों को अपने घरों से विस्थापित होने के लिए मजबूर होना पड़ा था.

उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने बढ़ते तनाव पर तुरन्त विराम लगाने की पुकार लगाई है और हिंसक टकराव का अन्त करने की अपील की है, जिसने ‘पिछले एक साल में देश को तहस-नहस करके रख दिया है.’

उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून और मानवतावादी क़ानून के तहत, मानवाधिकार हनन के सभी आरोपों की जाँच कराए जाने की मांग की है, ताकि दोषियों की जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके और पीड़ितों को सच्चाई, न्याय व मुआवज़ा हासिल हो. 

वोल्कर टर्क ने दोनों पक्षों से आग्रह किया कि आम नागरिकों के लिए सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित किया जाना होगा, लोगों व नागरिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की जानी होगी और बेरोकटोक मानवीय सहायता को सम्भव बनाया जाना होगा.