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डेंगू संक्रमण के मामलों में उछाल, सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ी चिन्ता

डेंगू और मलेरिया से बचाव के लिए बिस्तर के इर्दगिर्द मच्छरदानी लगा कर सोया जा रहा है.
© UNDP/Gwenn Dubourthoumieu
डेंगू और मलेरिया से बचाव के लिए बिस्तर के इर्दगिर्द मच्छरदानी लगा कर सोया जा रहा है.

डेंगू संक्रमण के मामलों में उछाल, सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ी चिन्ता

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शुक्रवार को आगाह किया है कि विश्व भर में इस वर्ष, डेंगू संक्रमण के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है और ऐसा उन देशों में भी हुआ है जोकि पहले इससे अछूते थे. इसके मद्देनज़र, यूएन एजेंसी ने इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बढ़ता ख़तरा क़रार दिया है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की ओर से यह चेतावनी ऐसे समय में जारी की गई है, जब इस साल डेंगू संक्रमण के 50 लाख से अधिक मामलों की पुष्टि और पाँच हज़ार से अधिक लोगों की मौत हुई है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन में विशेषज्ञ डॉक्टर डियाना रोजास ऐलवरेज़ ने जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि इस स्वास्थ्य ख़तरे पर सर्वाधिक ध्यान दिया जाना होगा, और सभी स्तरों पर कार्रवाई की आवश्यकता होगी. 

इस क्रम में, यूएन एजेंसी द्वारा डेंगू के प्रकोप पर नियंत्रण पाने में देशों को समर्थन प्रदान करने और इस बीमारी के फैलने वाले मौसम से पहले तैयारी करने पर ज़ोर दिया गया है.

गर्माता मौसम, एक वजह

डेंगू एक बेहद आम विषाणुजनित संक्रमण है, जोकि संक्रमित मच्छरों के व्यक्तियों को काटने से फैलता है. इसके मामले मुख्यत:, उष्णकटिबन्धीय और उप उष्णकटिबन्धीय जलवायु वाले शहरी इलाक़ों में देखने को मिलते हैं.

डेंगू के मामलों में उछाल अनेक अन्य देशों में भी देखने को मिल रहा है, जिसकी एक वजह यह है कि संक्रमित मच्छर अब उन क्षेत्रों में पनप रहे हैं, जहाँ बढ़ते उत्सर्जनों के कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है.

“जलवायु परिवर्तन का डेंगू संचारण पर असर हुआ है, चूँकि इससे बारिश, आर्द्रता और तापमान में वृद्धि होती है. ये मच्छर, तापमान के नज़रिये से बेहद सम्वेदनशील हैं.”

विश्व भर में लगभग चार अरब लोगों पर डेंगू की चपेट में आने का जोखिम है, मगर अधिकाँश संक्रमितों में आम तौर पर लक्षण नज़र नहीं आते हैं और वे एक से दो हफ़्तों के भीतर ठीक हो जाते हैं. 

गम्भीर संक्रमण मामले

मगर, यूएन एजेंसी के अनुसार, डेंगू के कुछ मामलों में संक्रमण गम्भीर रूप धारण कर सकता है, और लोगों को झटके, अधिक रक्तस्राव और शरीर के अंगों के ख़राब हो जाने का सामना करना पड़ सकता है.

ये ख़तरनाक लक्षण अक्सर बुखार के उतर जाने के बाद शुरू होते हैं और स्वास्थ्य देखभालकर्मी को तत्काल इसका अन्दाज़ा नहीं लग पाता.

इसके मद्देनज़र, कुछ चेतावनी संकेतों पर ध्यान रखना ज़रूरी है, जैसेकि उदर या पेट में दर्द, लगातार उल्टी होना, मसूड़ों में रक्तस्राव होना, सुस्ती होना या फिर यकृत (लीवर) का आकार बढ़ जाना.

डेंगू के लिए कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है, और इस वजह से संक्रमण का जल्द पता लगाना और फिर पर्याप्त मेडिकल देखभाल ज़रूरी है, ताकि गम्भीर लक्षणों की रोकथाम हो सके.

डेंगू का बढ़ता दायरा

यूएन स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इस वर्ष की शुरुआत से अब तक 50 लाख संक्रमण मामलों की पुष्टि हुई है और पाँच हज़ार से अधिक लोगों की मौत हुई है. 

इनमें से 80 फ़ीसदी मामले अमेरिका क्षेत्र में सामने आए हैं, जिसके बाद दक्षिणपूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशान्त क्षेत्र में स्थित देशों का स्थान है.

डॉक्टर ऐलवरेज़ ने बताया कि डेंगू का प्रकोप अफ़ग़ानिस्तान, सूडान, सोमालिया और यमन समेत पूर्वी भूमध्यसागर क्षेत्र में स्थित अन्य देशों में भी दिखाई दे रहा है, जोकि अक्सर हिंसा प्रभावित और नाज़ुक हालात से गुज़र रहे हैं.

बताया गया है कि पिछले कुछ वर्षों में, मौसमी परिवर्तन और बढ़ते तापमान के कारण मच्छरों की व्यापकता में भी बदलाव आया है. अब इसके मामले फ़्राँस, इटली औस स्पेन समेत उन देशों में भी नज़र आ रहे हैं, जो पहले डेंगू संक्रमण से मुक्त थे.