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विश्व भर में झुलसा देने वाली गर्मी व ताप लहरें, ‘नए सामान्य' हालात

समुद्र का बढ़ता स्तर दक्षिण-पश्चिम प्रशान्त क्षेत्र में निचले द्वीपों के भविष्य को ख़तरे में डाल रहा है.।
© WMO/João Murteira
समुद्र का बढ़ता स्तर दक्षिण-पश्चिम प्रशान्त क्षेत्र में निचले द्वीपों के भविष्य को ख़तरे में डाल रहा है.।

विश्व भर में झुलसा देने वाली गर्मी व ताप लहरें, ‘नए सामान्य' हालात

जलवायु और पर्यावरण

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा कि मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप चरम मौसम घटनाओं को बल मिल रहा है, जोकि अब नए सामान्य हालात बन गए हैं. विश्व के अनेक क्षेत्रों को अपनी चपेट में लेने वालीं ताप लहरें इसी चुनौती के प्रति आगाह करती हैं.

यूएन एजेंसी की प्रवक्ता क्लेयर न्युलिस ने बताया कि इस सप्ताह फ़्राँस, जर्मनी, पोलैंड और स्विट्ज़रलैंड सहित पूरे योरोप में अनेक मौसम विभागों द्वारा अत्यधिक तापमान की चेतावनी जारी की गई है.

वहीं, मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों में आने वाले दिनों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के आँकड़े को पार कर जाने की सम्भावना है. जापान में "लम्बी अवधि" से जारी ताप लहरों ने उच्च तापमान के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.

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मौसम विज्ञान एजेंसी की प्रवक्ता ने स्पेन के कैनेरी द्वीप समूह में स्थित तेनेरिफ़ में गर्म और शुष्क परिस्थितियों के कारण व्यापक स्तर पर जंगलों में आग लगने की घटनाओं पर जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में बड़ी बर्बादी हुई है और बड़ी संख्या में लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है. 

उन्होंने कहा, “अफ़सोस की बात है कि, ये एक ऐसी तस्वीर है जिससे हम इस वर्ष गर्मियों में देखने के अभ्यस्त हो गए हैं.”

उन्होंने कहा कि कैनेडा में रिकॉर्ड ध्वस्त करने वाला मौसम जारी है और इस साल स्थिति अभूतपूर्व स्तर पर पहुँच रही है. 17 अगस्त तक, देश भर में वनों में आग लगने की 600 से अधिक घटनाएँ नियंत्रण से बाहर हैं. 

आर्कटिक सर्कल के पास कैनेडा का उत्तरी क्षेत्र भी इस स्थिति से अछूता नहीं है, जहाँ जंगलों में फैली आग के येलोनाइफ़ शहर के नज़दीक पहुँचने के कारण बड़ी संख्या में निवासियों को बाहर निकाला गया है.

क्लेयर न्युलिस ने बताया कि ब्रिटिश कोलम्बिया के लिट्टन शहर में, इस सप्ताह रिकॉर्ड तापमान 42.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया.

चक्रवाती तूफ़ान ‘हिलेरी’ का प्रकोप

विश्व मौसम संगठन ने आगाह किया है कि महासागर की सतह के गर्म तापमान के कारण चक्रवाती तूफ़ान ‘हिलेरी’, मैक्सिको के प्रशान्त तट पर "बहुत तेज़ी से" श्रेणी चार का प्रमुख तूफान बन गया है. 

मैक्सिको के तटीय क्षेत्रों में, सप्ताहान्त के दौरान 220 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से लगातार हवाएँ चलने की आंशका है.

उन्होंने कहा कि, “ख़तरा केवल तेज़ हवाओं से नहीं बल्कि जल से भी है".  देश में तूफ़ान प्रभावित क्षेत्रों में 152 मिलीमीटर तक की बारिश होने का अनुमान है.

उन्होंने बताया कि अमेरिका के दक्षिण-पश्चिम में सैन डिएगो जैसे प्रमुख शहरों में आम तौर पर शुष्क मौसम रहता है, लेकिन वहाँ भी कम समय में विशाल स्तर पर वर्षा का अनुमान है, जिससे अचानक बाढ़ आने का भी जोखिम बना हुआ है.

विश्व मौसम विज्ञान संगठन के जलवायु विशेषज्ञ अल्वारो सिल्वा ने कहा कि "हाल के दशकों में ताप लहरों और भारी बारिश जैसी अनेक चरम मौसम घटनाओं की बारम्बारता और सघनता में वृद्धि दर्ज की गई है. 

उन्होंने ध्यान दिलाय़ा कि ये कहा जा सकता है कि ऐसी घटनाओं के लिए, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण मानव-जनित जलवायु परिवर्तन इसका एक मुख्य कारण है.

प्रशान्त द्वीपों पर बड़ा असर

यूएन मौसम एजेंसी ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम प्रशान्त क्षेत्र पर गर्माती जलवायु का प्रभाव हुआ है, जहाँ मौसम-सम्बन्धी आपदाएँ "सामाजिक ताने-बाने को कमज़ोर कर रही हैं.” 

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, समुद्री जलस्तर में वृद्धि के कारण निचले द्वीपों का भविष्य ख़तरे में है, जबकि महासागर में ताप बढ़ने और अम्लीकरण से सम्वेदनशील समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है.

विश्व मौसम संगठन के महासचिव पेटेरी टालस ने कहा कि अल नीन्यो जलवायु रुझान का इस वर्ष क्षेत्र पर बड़ा प्रभाव होगा, जिससे उच्च तापमान, व्यवधानकारी मौसम घटनाएँ और समुद्री ताप लहरें उभरने की आंशका है.

समुद्री जलस्तर में बढ़ोत्तरी

विश्व मौसम संगठन की रिपोर्ट दर्शाती है कि क्षेत्र में समुद्री जल स्तर की वृद्धि दर वैश्विक दर से अधिक है. अनेक क्षेत्रों में यह प्रति वर्ष लगभग चार मिलीमीटर तक पहुँच गई है. 

WMO के अनुसार, जलवायु-सम्बन्धी आपदाओं के कारण कृषि सैक्टर सर्वाधिक प्रभाविक क्षेत्रों में है, और इसके मद्देनज़र, क्षेत्र में खाद्य उत्पादन की सहनसक्षमता को मज़बूती प्रदान करना एक बड़ी प्राथमिकता है. 

यूएन एजेंसी प्रमुख पेटेरी टालस ने ज़ोर देते हुए कहा कि आरम्भिक चेतावनी प्रणालियों को लागू करना "सर्वाधिक कारगर" रणनीतियों में से एक है, जिससे जलवायु आपदाओं से होने वाले नुक़सान को कम किया जा सकता है. 

ऐसी प्रणालियों की मदद से लोगों को जोखिम मूल्यांकन के आधार पर पूरी समझ-बूझ के साथ निर्णय लेने में मदद मिलती है.