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‘शिक्षकों के बिना कक्षा बेमानी’ – भारत में शिक्षा स्थिति पर यूनेस्को की रिपोर्ट

भारत में यूनेस्को ने देश की शिक्षा की स्थिति पर 2021 की रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट’ (SOER) जारी की है.
UNESCO New Delhi
भारत में यूनेस्को ने देश की शिक्षा की स्थिति पर 2021 की रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट’ (SOER) जारी की है.

‘शिक्षकों के बिना कक्षा बेमानी’ – भारत में शिक्षा स्थिति पर यूनेस्को की रिपोर्ट

संस्कृति और शिक्षा

भारत में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने वर्तमान स्थिति में, शिक्षा प्रणाली में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका के मद्दनेज़र, देश की शिक्षा की स्थिति पर 2021 की रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट’ (SOER) जारी की है. “शिक्षकों के बिना, कक्षा सम्भव नहीं" नामक यह रिपोर्ट, शिक्षकों, शिक्षण और शिक्षा पर विशेष ध्यान केन्द्रित करती है.

जहाँ दुनिया भर में, शिक्षा प्रणाली महामारी से उबर रही है, वहीं इस पुनर्बहाली के दौरान शिक्षकों को तत्काल सहयोग की आवश्यकता है.

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भारत में, ख़ासतौर पर सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को कोविड-19 सम्बन्धित कार्यों, नागरिक कार्रवाई व ज़रूरी शैक्षिक काम भी सौंपे गए हैं, जिनसे उन्हें संक्रमण होने का ख़तरा बढ़ जाता है.

रिपोर्ट के अनुसार, स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए, शिक्षकों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को अत्यधिक महत्व दिया जाना ज़रूरी है.

भारत में शिक्षकों की अहम भूमिका पर हाल ही में जारी, 2021 की ‘स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट’ (SOER), नई दिल्ली स्थित यूनेस्को कार्यालय की प्रमुख वार्षिक रिपोर्ट है, जो व्यापक शोध पर आधारित है.

नई दिल्ली स्थित यूनेस्को कार्यालय के निदेशक, एरिक फॉल्ट ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, “भारत ने पिछले दशकों में शिक्षा के क्षेत्र में काफ़ी प्रगति की है और इस प्रगति में शिक्षक अभिन्न अंग रहे हैं."

सीखने की प्रक्रिया में अहम

"राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, शिक्षकों को सीखने की प्रक्रिया का केन्द्र मानती है और यही कारण है कि हमने भारत के लिये अपनी ‘स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट’ का तीसरा संस्करण उन्हें समर्पित करने का फ़ैसला किया है. शिक्षकों के बिना कोई कक्षा नहीं हो सकती.”

भारत की शिक्षा स्थिति पर जारी इस रिपोर्ट में, "शिक्षकों को अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं (फ्रण्टलाइन वर्कर्स) के रूप में पहचान देने" की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है. 

चूँकि शिक्षा प्रणाली पुनर्बहाली के कगार पर है, रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि प्रौद्योगिकी को अपनाने और एकीकृत करने की एक शिक्षक की क्षमता, छात्रों के बीच सीखने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे सकती है. इसलिये, ऑनलाइन शिक्षण तकनीकों की जानकारी होना ज़रूरी है. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन तरीक़ों का व्यावसायिक ज्ञान और समझ, देश के सबसे दूरस्थ स्थानों तक पहुँच का रास्ता खोल सकती है. 

रिपोर्ट में पेश की गईं 10 सिफारिशों में से एक में कहा गया है कि शिक्षा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के महत्व को पहचानने से, छात्रों के सीखने की क्षमता किस तरह सकारात्मक रूप से प्रभावित होती है. ऐसे में, यह ज़रूरी है कि शिक्षकों के बीच सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को, एक आवश्यक क्षमता के रूप में देखा जाए.

इस अवसर पर, भारत के राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के निदेशक, डॉ श्रीधर श्रीवास्तव ने कहा, “एनसीईआरटी, भारत के लिये शिक्षकों पर यूनेस्को की ‘स्टेट ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट’ जारी होने का स्वागत करता है. यह दुनिया के लिये बच्चों के जीवन में शिक्षकों की असाधारण भूमिका को पहचानने का समय है."

"एनसीईआरटी उन्हें प्रशिक्षण, कौशल विकास और शैक्षिक सहयोग देकर सशक्त बनाने के लिये प्रतिबद्ध है. हमें उनके क्षमता निर्माण और व्यावसायिक विकास में संसाधन निवेश के लिये प्रयास करने की आवश्यकता है, ताकि शिक्षक विद्यार्थियों की विविध आवश्यकताओं के अनुरूप अपने अभ्यास को ढाल सकें.

कोविड-19 महामारी के अचानक प्रकोप ने शिक्षकों की निरन्तर बदलती भूमिकाओं पर प्रकाश डाला है.

यही कारण है कि 2021 की ‘स्टेट ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट’ उनकी ओर विशेष ध्यान आकर्षित करती है, क्योंकि शिक्षकों के बिना न तो कोई कक्षा सम्भव है, न कोई शिक्षा, और न कोई भविष्य हो सकता है.

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