सूनामी जागरूकता दिवस: 'असरदार आपदा जोखिम प्रबन्धन से ज़िन्दगियाँ बचती हैं'
संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों ने दुनिया भर में तटीय इलाक़ों में रहने वाले समुदायों की हिफ़ाज़त सुनिश्चित करने के लिये तैयार रहने और लगातार जोखिम आकलन करते रहने की महत्ता रेखांकित की है. गुरूवार को विश्व सूनामी जागरूकता दिवस के मौक़े पर ये ध्यान दिलाया गया है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरश ने विश्व सूनामी जागरूकता दिवस के मौक़े पर अपने सन्देश में मज़बूत आपदा जोखिम प्रबन्धन की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है ताकि सूनामी नामक कभी-कभी आने वाली मगर अचानक और बेहद विनाशकारी आपदा का मुक़ाबला किया जा सके.
Tsunamis cannot be averted, but we can prepare for them.The @UN is working around the globe to educate, organize drills, create evacuation routes and to do everything possible to avoid loss of life when the next tsunami comes.https://t.co/41EGM8pAkx #TsunamiDay pic.twitter.com/gYknTSsdnG
antonioguterres
उन्होंने कहा, “जब सूनामी दस्तक देती हैं तो उन प्रशासनिक व प्रबन्धन संस्थानों की सामर्थ्य और कुशलता भी दाँव पर लग जाती है जिन्हें आपदा जोखिम प्रबन्धन के लिये बनाया जाता है.”
महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि आपदा जोखिम प्रबन्धन मज़बूत करके हम सभी तरह की आपदाओं के लिये मज़बूती हासिल कर सकते हैं, चाहे वो प्राकृतिक हों या मानव निर्मित.
विश्व सनामी जागरूकता दिवस हर वर्ष 5 नवम्बर को मनाया जाता है.
इस दिवस पर जापान के एक ग्रामीण नेता को याद किया जाता है जिसने 1854 में 5 नवम्बर को समुद्री तूफ़ान – सूनामी आने के चिन्हों की पहचान की और ग्रामीणों को आगाह करने के लिये अपने धान के खेतों में आग लगा दी. ग्रामीणों ने आग से बचने के लिये के लिये पास के ऊँचे टीलों पर पनाह ली और आख़िरकार सूनामी से भी बच गए. इस घटना को एक दमदार पूर्व चेतावनी प्रणाली समझा गया.
कोविड-19 सूनामी
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ज़िन्दगी पर असर के सन्दर्भ में सूनामी और कोरोनावायरस महामारी के एक जैसा ही क़रार दिया.
उन्होंने कहा, “हम सभी कोविड-19 के कारण एक ऐसी बीमारी से जूझ रहे हैं जिसे कुछ लोग मौतों की सूनामी भी कहते हैं.” ये कहावत इसलिये भी ज़्यादा ध्यान में रहती है क्योंकि 2004 में भारतीय महासागर में आए सूनामी के कारण दो लाख 27 हज़ार से भी ज़्यादा लोगों की ज़िन्दगी ख़त्म हो गई थी.
महासचिव ने कहा, “महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयासों में उस प्रगति से सबक़ सीखा जा सकता है जो हमने सूनामी के क़हर से ज़िन्दगियाँ ख़त्म होने के स्तर व पैमाने के कम करने में हासिल की है.”
आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की विशेष प्रतिनिधि मामी मिज़ूतोरी ने भी कुछ ऐसी ही बात कही है.

उनका कहना है, “तबाही की जो बात इस जैविक आपदा के लिये सटीक है, वही बात अन्य तरह की आपदाओं के लिये भी सही बैठती है, चाहे वो, मानव निर्मित हों, प्राकृतिक या तकनीकी कारणों से और वो सभी हमारे ग्रह को ख़तरे पैदा कर रही हैं.”
दुरुस्त योजनाएँ
मामी मिज़ूतोरी संयुक्त राष्ट्र के आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यालय की प्रमुख भी हैं. उन्होंने आपदा जोखिम प्रबन्धन की महत्ता भी रेखांकित की है.
“स्पष्ट दृष्टि, दिशा-निर्देश, तालमेल और सामर्थ्य, दुनिया भर में सूनामी जागरूकता बढ़ाने में कामयाबी के लिये बहुत ज़रूरी हैं. दुरुस्त योजनाएँ बनाकर हम दुनिया भर में लोगों की ज़िन्दगियाँ बचा सकेंगे, लोगों को घायल होने से बचा सकेंगे, और आर्थिक नुक़सान भी कम होगा... रोकथाम से ज़िन्दगियाँ बचती हैं.”
विश्व दिवस
यूएन महासभा ने दिसम्बर 2015 एक प्रस्ताव पारित करके 5 नवम्बर को विश्व सूनामी जागरूकता दिवस मनाए जाने का प्रावधान किया था.
महासभा ने तमाम देशों, अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं और सिविल सोसायटी से सूनामी के बारे में जागरूकता फैलाने और लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने के प्रयासों के तहत नवीन तरीक़े साझा करने का आहवान भी किया था.
इस वर्ष, विश्व सूनामी जागरूकता दिवस के मौक़े पर सेण्डाई 7 अभियान के लक्ष्य ई को प्रोत्साहित किया गया है जिसमें तमाम देशों की सरकारों से वर्ष 2020 के अन्त तक राष्ट्रीय व स्थानीय स्तरों पर आपदा जोखिम न्यूनीकरण रणनीतियाँ विकसित करने और तैयार रखने का आग्रह किया गया है.