प्रवाल भित्तियों का वजूद ख़तरे में, यूनेस्को की चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने चेतावनी देते हुए कहा है कि विश्व की सर्वश्रेष्ठ ज्ञात प्रवाल भित्तियों को अगर गरम होते समुन्दरों के अनुरूप ढालने के लिये और ज़्यादा प्रयास नहीं किये गए तो वो इस सदी के अन्त तक पूरी तरह से लुप्त भी हो सकती हैं.
यूनेस्को का यह स्पष्ट सन्देश, दरअसल इन प्राकृतिक समुद्री आश्चर्यों के संरक्षण के लिये एक आपात प्रयास का हिस्सा है. इनमें से 29 प्रवाल भित्ति क़िस्में यूएन एजेंसी की संरक्षित विश्व विरासत सूची में शामिल हैं.
वैश्विक स्तर पर बढ़ते कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जनों के कारण, हमारे समुद्र ज़्यादा गरम होते जा रहे हैं.
जलवायु पर अन्तरसरकारी पैनल (IPCC) के ताज़ा आँकड़ों में भी यह कहा गया है कि देशों को 2015 के पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य हासिल करने के लिये, कार्बन उत्सर्जन में विशाल कटौती करनी होगी.
बहुत सी प्रवाल भित्तियों पर बहुत तरह के दबाव हैं जिनमें प्रदूषण से लेकर बेतहाशा मछली शिकार और पर्यावास का विनाश शामिल हैं.
यूनेस्को ने अपने साझीदारों के साथ मिलकर इन जोखिमों को कम करने और स्थानीय समुदायों की मदद करके, इन नाज़ुक समुद्री भित्तियों के टिकाऊ प्रबन्धन की योजना बनाई है.
कुल मिलाकर, एजेंसी की योजना, विश्व विरासत सूची में शामिल 19 भित्तियों पर काम करने की है जो विकासशील देशों में पाई जाती हैं और इसके लिये ‘वैश्विक प्रवाल भित्ति कोष’ से धन उपलब्ध होगा.
यूनेस्को इससे पहले सहनसक्षम भित्ति कार्यक्रम भी चला चुका है जो 2018 में शुरू किया गया था और ये ताज़ा योजना उसकी सफलता पर आधारित है.
पिछले चार वर्षों के दौरान, शोधकर्ता, विश्व विरासत भित्ति के चार प्रायोगिक स्थलों पर काम करते रहे हैं जो ऑस्ट्रेलिया, बेलिज़, न्यू कैलीडोनीया और पलाऊ में हैं.
उस कार्यक्रम में नज़र आया कि स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाकर और उनकी आमदनी व आजीविकाओं में जलवायु परिवर्तन के अनुरूप बदलाव लाकर, स्थानीय दबाव कम किये जा सकते हैं.
यूनेस्को के समुद्री कार्यक्रम के मुखिया फ़ैन्नी डूवियर का कहना है कि वैश्विक तापमान वृद्धि का मतलब है कि स्थानीय भित्ति संरक्षण उपाय, दुनिया की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भित्तियों की हिफ़ाज़त करने के लिये अब पर्याप्त नहीं बचे हैं.
मगर एक स्वस्थ, सहनसक्षम भित्ति, रसायनिक घटना के बाद भी ख़ुद को पुनर्जीवित कर सकती है और अपना वजूद बनाए रख सकती है.