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फ़िल्म जगत में AI से उभरी असीम सम्भावनाएँ, मगर ऐहतियाती उपाय भी ज़रूरी

फ़िल्म जगत में AI से उभरी असीम सम्भावनाएँ, मगर ऐहतियाती उपाय भी ज़रूरी

सृजनात्मक क्षेत्र में जनरेटिव एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के इस्तेमाल से विविध प्रकार की सम्भावनाएँ उपजी हैं और समय व संसाधनों की बचत के साथ, रचनात्मकता को नए आयाम दिए जा सकते हैं. 

मगर, एआई का प्रयोग बढ़ने से रोज़गार सुरक्षा, बौद्धिक सम्पदा अधिकार और मानव अभिव्यक्ति की मौलिकता के लिए जोखिम भी पनप रहे हैं.

भारत के हैदराबाद शहर में मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय में अन्तरराष्ट्रीय मीडिया केन्द्र के निदेशक रिज़वान अहमद के अनुसार, एआई में निहित अपार सम्भावनाएँ निहित हैं, मगर टैक्नीशियन, कलाकार और लेखक इससे चिन्तित भी हैं. 

रिज़वान अहमद ने हाल ही में फ़्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित यूनेस्को मुख्यालय में, फ़िल्म क्षेत्र पर एआई के इस्तेमाल से उपजे प्रभावों पर एक उच्चस्तरीय चर्चा में शिरकत की.

उन्होंने यूएन न्यूज़ हिन्दी के साथ बातचीत में, एआई के इस्तेमाल में नियामन व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने पर बल दिया.

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सृजनात्मक क्षेत्र में जनरेटिव एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के इस्तेमाल से विविध प्रकार की सम्भावनाएँ उपजी हैं और समय व संसाधनों की बचत के साथ, रचनात्मकता को नए आयाम दिए जा सकते हैं. 

मगर, एआई का प्रयोग बढ़ने से रोज़गार सुरक्षा, बौद्धिक सम्पदा अधिकार और मानव अभिव्यक्ति की मौलिकता के लिए जोखिम भी पनप रहे हैं.

भारत के हैदराबाद शहर में मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय में अन्तरराष्ट्रीय मीडिया केन्द्र के निदेशक रिज़वान अहमद के अनुसार, एआई में निहित अपार सम्भावनाएँ निहित हैं, मगर टैक्नीशियन, कलाकार और लेखक इससे चिन्तित भी हैं. 

रिज़वान अहमद ने हाल ही में फ़्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित यूनेस्को मुख्यालय में, फ़िल्म क्षेत्र पर एआई के इस्तेमाल से उपजे प्रभावों पर एक उच्चस्तरीय चर्चा में शिरकत की.

उन्होंने यूएन न्यूज़ हिन्दी के साथ बातचीत में, एआई के इस्तेमाल में नियामन व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने पर बल दिया.

Audio Credit
Sachin Gaur
अवधि
8'57"
Photo Credit
UNESCO