महिला उद्यमियों के लिए मददगार माहौल के सृजन का प्रयास
भारत में कुल उद्यमियों में महज़ 14 फ़ीसदी महिलाएं हैं. इनमें भी अधिकांश सूक्ष्म और लघु उद्योग हैं जिनमें बाहरी वित्तीय मदद के अभाव में उन्होंने ख़ुद निवेश किया है.
लैंगिक भेदभाव और सामाजिक व सांस्कृतिक अवरोध अक्सर उद्यमों में महिलाओं की प्रगति के रास्ते में आड़े आते हैं. साथ ही ज्ञान, प्रशिक्षण, बाज़ार व्यवस्था और वित्तीय संसाधनों तक पहुंच का ना होना भी उन्हें आगे बढ़ने से रोकता है.
महिला उद्यमिता में निवेश के अवसरों में तेज़ी लाने के लिए यूएन इंडिया और भारत सरकार के नीति आयोग ने ‘Consortium for Women Entrepreneurs‘ स्थापित किया है. यह एक ऐसा मंच है जो परामर्श और नैटवर्किंग के अवसर प्रदान करने, वित्तीय और बाज़ार संबंधों में तेज़ी लाने व स्टार्टअप निवेश में लैंगिक विषमताओं को दूर करने के लिए प्रयासरत है.
इस बारे में और जानकारी के लिए हमारी सहयोगी अंशु शर्मा ने संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) में सोशल इम्पैक्ट्स इन्वेस्टमेंट्स यूनिट के करणराज चौधरी से बात की.