म्याँमार: मानवाधिकार हनन व उत्पीड़न का चक्र जारी, बाशेलेट की चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने मंगलवार को कहा है कि म्याँमार के लोग, फ़रवरी 2021 में हुए सैन्य तख़्तापलट के विनाशकारी प्रभावों से अब भी पीड़ित हैं और निर्धनता व विस्थापन, मानवाधिकार हनन और उत्पीड़न के चक्र में फँस गए हैं.
मिशेल बाशेलेट ने मानवाधिकार परिषद को बताया, “हम आज जो कुछ देख रहे हैं वो आम लोगों के ख़िलाफ़ व्यवस्थागत रूप में और व्यापक स्तर पर चालबाज़ियों का प्रयोग है, जिनके सन्दर्भ में ये मानने के पर्याप्त आधार हैं कि मानवता के विरुद्ध अपराधों और युद्धापराधों को अंजाम दिया गया है.”
#HRC50 | UN High Commissioner for Human Rights Michelle Bachelet updated the Human Rights Council on #WhatsHappeningInMyanmar."The lives and future of #Myanmar's people hang in the balance...They are counting on this Council for support."STATEMENT ▶️ https://t.co/kBkrBcDKpc pic.twitter.com/DPeJJf50VS
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म्याँमार में फ़रवरी 2021 में हुए सैन्य तख़्तापलट के बाद, सेना के हाथों 1900 लोगों की मौतें हो चुकी हैं और संयुक्त राष्ट्र ने लगभग दस लाख लोग, देश के भीतर ही विस्थापित हुए दर्ज किये हैं.
इनके अलावा क़रीब एक करोड़ 40 लाख लोगों को मानवीय सहायता की तुरन्त आवश्यकता है.
मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने कहा, “मानवीय स्थिति बहुत ख़तरनाक है.”
सैन्य तख़्तापलट ने म्याँमार की अर्थव्यवस्था को तबाह करके रख दिया है. लाखों लोगों की आमदनियाँ ख़त्म हो गई हैं, देश की मुद्रा लड़खड़ा गई है, और क़ीमतें आसमान छू रही हैं.
उन्होंने भरोसा दिलाते हुए कहा, “इस सबके बावजूद, मेरा कार्यालय मानवाधिकार हनन के स्तर और पैमाने की निगरानी करने और उसके बारे में दस्तावेज़ तैयार करने में अपना काम कर रहा है.”
इस बीच हिंसा गहराई गई है, जिसमें आम लोगों को सेना से बहुत कम संरक्षण मिल रहा है.
सेना ने अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का उल्लंघन किया है, जिनमें सम्पूर्ण गाँवों, घरों और स्कूलों को जलाना शामिल है. सेना ने साथ ही खाद्य भण्डारों और अन्य बुनियादी सामग्रियों को भी नष्ट कर दिया है.
देश के लोगों ने, दमन व हिंसा के बावजूद, सेना का विरोध और सेना द्वारा नियंत्रण स्थापित करने के प्रयासों का विरोध करना जारी रखा है; और लोगों की इस हिम्मत से यूएन मानवाधिकार प्रमुख काफ़ी प्रभावित हुई हैं.
उनका हालाँकि ये भी कहना है कि आम लोगों को मनमाने तरीक़े से गिरफ़्तारियों और बन्दीकरण जैसी स्थितियों का भी सामना करना पड़ रहा है.
1 फ़रवरी 2021 के बाद से, साढ़े 13 हज़ार लोगों को, देश की सेना का विरोध करने पर गिरफ़्तार किये जाने की ख़बरें हैं.
और एक सैन्य प्रवक्ता ने हाल ही में घोषणा की थी कि चार लोगों को मृत्यु दण्ड दिया जाएगा.
मिशेल बाशेलेट ने कहा, “मैं तत्काल सैन्य अधिकारियों से इस तरह के दमनकारी क़दम से बचने का आग्रह करती हूँ, जिससे ना केवल जीवन के अधिकार का हनन होगा, बल्कि राजनैतिक सुलह-सफ़ाई की सम्भावनाओं को और भी झटका लगेगा.”
सेना ने राख़ीन प्रान्त में प्रमुखतः मुस्लिम रोहिंज्या लोगों को धमकियाँ देने और उन्हें हाशिये पर धकेलने के लिये, शत्रुतापूर्ण व अपमानजनक भाषा का प्रयोग जारी रखा है. इस प्रान्त के लाखों रोहिंज्या लोग सुरक्षा की ख़ातिर 2017 में बांग्लादेश चले गए थे.
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि सेना ने रोहिंज्या लोगों के आवागमन पर बहुत कड़ी भेदभावपूरण सीमितताएँ लगा रखी हैं.
पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान, 300 रोहिंज्या मुसलमानों को, अपने समुदायों से बाहर “अवैध” रूप से जाने के आरोपों में गिरफ़्तार किया गया है, सैकड़ों अन्य लोगों को आवागन की स्वतंत्रता के अपने बुनियादी अधिकार का प्रयोग करने के लिये, प्रताड़ित किया गया है और कुछ को दो साल तक के लिये जेल भेजा गया है.