भूटान में सह-अस्तित्व सीख रहे बाघ और किसान

भूटान में एक नई परियोजना के ज़रिये इन्सानों और बाघों के बीच सन्तुलन बनाए रखने में मदद मिल रही है. लक्समबर्ग सरकार द्वारा वित्तपोषित और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के नेतृत्व में भूटान में चल रहे इस ‘Vanishing Tigers Programme, 2020-2023’ का लक्ष्य है – विश्व में लुप्तप्राय बाघों की प्रजाति पर जलवायु परिवर्तन के असर और स्थानीय समुदायों और मानव-बाघ संघर्ष को गहराई से समझना. ये कार्यक्रम भूटान की शाही सरकार और वहाँ के टाइगर सेंटर के साथ साझेदारी में चलाया जा रहा है.
जून महीने के शुरू में शनिवार की सुबह, भूटान के सेमजी गाँव में स्थानीय लोगों ने, गाँव के किनारे चर रही अपनी एक गाय की मौत की सूचना दी. गाय की गर्दन पर पंजों के निशान और कीचड़ में पंजों के बड़े निशान इस ओर इशारा कर रहे थे कि उस गाय को बाघ ने मारा है.
भूटान के मध्यवर्ती ज़िले ट्रोंगसा के कई अन्य गाँवों की तरह सेमजी गाँव भी बाघों की समस्या से ग्रस्त है. 2016 से अब तक, बाघों ने 600 से ज़्यादा मवेशियों की जान ले ली है. केवल वर्ष 2020 में ही 137 मवेशी बाघों का शिकार हुए हैं.
भूटान टाइगर सेंटर के कार्यक्रम निदेशक शेरिंग टेम्पा बताते हैं, "हाल के वर्षों में, और शायद जलवायु परिवर्तन के कारण, स्थानीय लोगों की तरह ही जल स्रोतों का उपयोग करने के लिये, बाघ भी गाँवों के क़रीब आ रहे हैं."
वो कहते हैं, "ऐतिहासिक रूप से भूटान में मनुष्य और बाघ हमेशा से सह-अस्तित्व में रहे हैं, लेकिन यह एक नाज़ुक सन्तुलन है, जिसकी बारीक़ी से निगरानी करनी पड़ती है."
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम में पर्वत पारिस्थितिक तन्त्र विशेषज्ञ मैथियस जुरेक कहते हैं, "Vanishing Treasures कार्यक्रम के तहत इन संघर्षों को कम करने के समाधान खोजे जा रहे हैं और अनेक ज़मीनी उपायों पर काम किया जा रहा है." "
उदाहरण स्वरूप, बाघों से प्रभावित गाँवों के लिये स्थाई मुआवज़ा तन्त्र बनाकर, मानव-वन्यजीव संघर्ष के तात्कालिक प्रभावों को दूर करने के लिये ज़मीन पर विभिन्न पायलट समाधान लागू किये जा रहे हैं."
भूटान में अनुमानित 103 बंगाल बाघ हैं जो देश भर में उप-उष्णकटिबन्धीय मैदानों से लेकर समशीतोष्ण जंगलों और ऊँचाई वाले अल्पाइन घास के मैदानों तक फैले हुए हैं.
भूटान में बाघों की ये आबादी नेपाल और पूर्वोत्तर भारत में बाघों की आबादी के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी भी है, जिससे आबादी को जुड़े रहने और आनुवंशिक विविधता को मज़बूत रखने में मदद मिलती है.
भूटान के 50 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में राष्ट्रीय उद्यान और जैविक गलियारे हैं, जबकि देश के संविधान में सरकार को "अनन्त काल के लिये" 60 प्रतिशत न्यूनतम वन कवर बनाए रखना आवश्यक बनाया गया है.
विशेषज्ञों के अनुसार इस तरह की वन सुरक्षा ‘अद्वितीय’ है, जिससे वन्यजीवों की आबादी में वृद्धि हुई है.
लेकिन, जलवायु परिवर्तन के कारण वन्यजीव संरक्षण का काम एक चुनौती बनता जा रहा है. हिमालयों पर स्थित अन्य देशों की तरह, भूटान को भी बढ़ते तापमान और ग्लेशियर के पिघलने से बड़ी झीलों के वजूद में आने जैसे असर झेलने पड़े हैं.
साथ ही, वर्षा का स्तर बहुत अप्रत्याशित है, जिससे खेती मुश्किल हो जाती है. ये सभी परिवर्तन मनुष्यों और वन्यजीवों पर दबाव डाल रहे हैं, जिनसे उनका परस्पर सामंजस्य बदल रहा था.
Vanishing Treasures कार्यक्रम के माध्यम से, शोधकर्ताओं ने जंगलों और अन्य पर्यावासों में 70 कैमरे लगाए, जिनके ज़रिये उन्हें और पार्क प्रबन्धकों को भूटान के बाघों की मुश्किल से ही दिखने वाली दुनिया में झाँकने का मौक़ा मिला.
इससे उन्हें ये सूचीबद्ध करने में मदद मिलेगी कि बाघ कहाँ रहते हैं, उनके शिकार हैं – इससे उनकी संख्या का अनुमान लगाने में और उन पर अलग-अलग नज़र रखने में भी मदद मिलेगी.
Vanishing Treasures कार्यक्रम के तहत सामुदायिक स्तर पर स्थानीय लोगों की आमदनी के साधनों की बेहतर समझ के लिये सर्वेक्षण किये जा रहे हैं.
पशुधन की रक्षा के लिये बिजली की बाड़, घास के मैदानों में सुधार, और उच्च उपज देने वाली मवेशी नस्लों की उपलब्धता - स्थानीय आजीविका को लाभ देने वाले ये सभी उपाय इस साल आज़माए जाएँगे.
इस परियोजना का लक्ष्य आजीविका में सुधार करना और स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर बाघों की रक्षा करना है.
भूटान का बंगाल टाइगर (पैंथेरा टाइग्रिस टाइग्रिस) के साथ एक ख़ास रिश्ता है. आठवीं शताब्दी की शुरुआत में, इस राजसी बिल्ली को देवताओं से जोड़ा जाता था. 29 जुलाई 2020 को अन्तरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर, ट्रोंगसा ज़िला Vanishing Treasures Programme द्वारा समर्थित उत्सव की मेज़बानी कर रहा है.
इस आयोजन के दौरान स्कूली बच्चों के लिए बाघों की जानकारी पर एक पुस्तक, Who am I? (मैं कौन हूं?) का विमोचन भी किया जा रहा है. साथ ही, बाघ पोस्टरों का वितरण और एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया जा रहा है.
2020 में जिन किसानों के मवेशी बाघों का शिकार हुए हैं, उन्हें सदभावना के रूप में 65 अमेरिकी डॉलर से 25 अमेरिकी डॉलर प्रति मवेशी का मुआवज़ा भी दिया जा रहा है.
ये लेख पहले यहाँ प्रकाशित हुआ था - https://www.unenvironment.org/news-and-stories/story/tigers-farmers-learning-co-exist-bhutan