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कोविड-19: पुनर्बहाली के लिए व्यवसायों को एसडीजी के निकट लाने के प्रयास

यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट लीडर्स सम्मिट
UN Global Compact
यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट लीडर्स सम्मिट

कोविड-19: पुनर्बहाली के लिए व्यवसायों को एसडीजी के निकट लाने के प्रयास

एसडीजी

‘संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पैक्ट लीडर्स समिट’ की 20वीं वर्षगाँठ पर 15 और 16 जून को एक वर्चुअल शिखर वार्ता का आयोजन किया गया जो लगातार 26 घण्टे तक चली. इस बैठक में व्यवसाय जगत, सरकार, संयुक्त राष्ट्र, नागरिक समाज और शिक्षा जगत की हस्तियों ने समावेशी अर्थव्यवस्थाओं और समाजों के पुनर्निर्माण, सामाजिक रूप से न्यायसंगत, कम कार्बन उत्सर्जन वाली और जलवायु अनुकूल दुनिया बनाने के लिए एक नया रास्ता तैयार करने पर चर्चा की. 

वैश्विक स्तर पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र की इस 20वीं वर्चुअल समिट के दौरान 100 से अधिक वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय सत्र हुए जिनमें 20 हज़ार से अधिक लोगों ने अपने-अपने टाइम ज़ोन के अनुरूप हिस्सा लिया और यह बातचीत 26 घण्टे तक जारी रही.  

इस सम्मेलन में व्यवसाय, नागरिक समाज, सरकार और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनधियों ने टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिए अपनी महत्वाकाँक्षाओं को बढ़ाने की अहमियत को रेखांकित किया.

प्रतिभागियों ने ऐसे समाधान और सुधारात्मक उपाय सुझाए जिनसे अधिक समावेशी अर्थव्यवस्थाओं और समाजों का निर्माण हो और यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी पीछे ना रह जाए.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा, “जहाँ पहले व्यवसायों का सामान्य दृष्टिकोण ये था कि ‘बस कोई नुक़सान ना हो,’ वहीं आज हम एक ऐसे परिदृश्य में प्रवेश कर रहे हैं जहाँ उम्मीदें और ज़िम्मेदारियाँ बहुत बढ़ गई हैं. अब कम्पनियों को पहले की तरह काम ना करते हुए, कहीं अधिक पर्यावरणीय, सामाजिक और शासन सम्बन्धी जोखिमों को दूर करना होगा."

"मुझे इतने देशों और क्षेत्रों की ओर से वैश्विक एकता और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग की माँग उठने से बहुत उम्मीद जगी है. हमारा साझा उद्देश्य है कि ये सभी व्यवसाय अपनी रणनीति और संचालन में एसडीजी को शामिल करने के लिए मज़बूत कदम उठाएँ और इनकी प्रगति की जानकारी सार्वजनिक करें.”

भारत पर सत्र

भारत में ग्लोबल कॉम्पैक्ट नैटवर्क  की स्थानीय शाखा (GCNI) ने राजधानी नई दिल्ली में मंगलवार, 16 जून, को 'ग्लोबल कॉम्पैक्ट' के भारत सत्र की मेज़बानी की.

इस अवसर पर भारत में संयुक्त राष्ट्र की प्रतिनिधि रेनाटा डेज़ालिएन ने कहा, “भारत में निजी क्षेत्र पुनर्बहाली के लिए हमारी  रीढ़ है. रचनात्मकता और सरलता इस देश के डीएनए में इस तरह रची-बसी है, ऐसा मैंने शायद ही कहीं और देखा हो."

"मुझे पूरा विश्वास है कि भारत के सीईओ, उद्यमी और अन्वेषक सफल हरित प्रौद्योगिकी खोजने में सक्षम होंगे ताकि भारत बेहतर पुनर्निर्माण कर सके, जिसमें कोई भी पीछे नहीं छूट जाए और सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में शानदार प्रगति हो सकेगी.”

कोविड-19 संकट के परिप्रेक्ष्य में भारत में सत्र का विषय उभरते भारत में टिकाऊ विकास लक्ष्यों और व्यवसायों में समरूपता (Towards Resurgent India:  Aligning Business with SDGs)  रखा गया था. 

ग्लोबल कॉम्पैक्ट नैटवर्क इंडिया के कार्यकारी निदेशक कमल सिंह ने कहा, "हमें एक नई साझेदारी को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है और समान लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कॉरर्पोरेट क्षेत्र की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है."

"यदि हम एकजुटता के साथ इस महामारी का रुख़ मोड़ने का प्रयास करेंगे तभी हम सतत विकास के लिए 2030 का एजेंडा हासिल कर मनचाही दुनिया का निर्माण कर पाएंगे.

युवा पीढ़ी की भागेदारी

युवाओं का प्रतिनिधित्व कर रहीं और टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिए भारत में यूएन बिज़नेस चैम्पियन मानसी टाटा ने कहा, "मुझे गर्व है कि मैं उन युवा महिलाओं और पुरुषों की पीढ़ी का हिस्सा हूँ, जिनके पास वास्तव में कुछ बदलाव लाने का अवसर है."

"ना केवल सामाजिक और पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी निभाने के लिए बल्कि अभिनव समाधानों और सबसे प्रासन्गिक प्रभावी योजनाएँ विकसित करने के लिए - जिनसे कोविड संकट ख़त्म होने पर एक स्थाई दुनिया बनाने में मदद मिले.

इस सत्र में टिकाऊ विकास लक्ष्यों और यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट के सिद्धान्तों  को कोविड संकट का सामना करने के लिए एक प्रभावी समाधान मानते हुए, भारत में सफलतापूर्वक लागू किए गए कई समाधानों पर चर्चा हुई और मौजूदा संकट से सबक़ सीखनेन पर ज़ोर दिया गया. 

अहम बिन्दु:

- नैटवर्कों का लाभ उठाकर और कॉरपोरेट जगत के योगदान के साथ राष्ट्र को अधिक समावेशी और जुड़ा हुआ बनाना

- पर्यावरण और सामाजिक चुनौतियों पर कार्रवाई के लिए वर्चुअल और डिजिटल माध्यमों का पूर्ण उपयोग करते हुए ज़रूरतमन्दों तक आवश्यक जानकारी पहुँचाना

- बेहतर और व्यापक पहुँच के लिए पारस्परिक सहयोग और सामूहिक कार्रवाई सुनिश्चित करना