डिजिटल भविष्य: नई तकनीकों के सकारात्मक पहलुओं से लाभ उठाना होगा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि विश्व में तकनीकी विकास से सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के भारी बदलाव अभूतपूर्व गति से सामने आए हैं. उन्होंने न्यूयॉर्क में डिजिटल तकनीकों पर एक बैठक के दौरान इसके नुक़सानदेह पहलुओं से बचते हुए, भरपूर फ़ायदा उठाने की आवश्यकता को रेखांकित किया.
महासचिव गुटेरेश ने न्यूयॉर्क में डिजिटल तकनीकों पर मित्र समूह की पहली बैठक में कहा, "नई तकनीकों – ख़ासतौर से डिजिटल प्रौद्योगिकियों का पहले ही दुनिया पर बड़ा प्रभाव है, जिससे अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा, सतत विकास और मानव अधिकारों पर हमारे कार्य प्रभावित हो रहे हैं."
उन्होंने कहा कि दुनिया में प्रथम 5 करोड़ लोगों तक बिजली पहुंचने में 50 साल लग गए थे, लेकिन डिजिटल तकनीकों के पूरी दुनिया के तीन अरब लोगों तक पहुंचने में इससे आधा समय ही लगा. हालांकि यूएन कई महत्वपूर्ण पहलों पर काम कर रहा है लेकिन "वे काफ़ी नहीं हैं और समन्वित भी नहीं हैं."
यूएन महासचिव ने कहा, "हमारी सोच और कार्रवाई हमारे सामने दरपेश चुनौती के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रही है."
उन्होंने कहा कि डिजिटल सहयोग पर उच्चस्तरीय पैनल ने डिजिटल खाई पाटने, डिजिटल संदर्भों में मानवाधिकारों को मान्यता सुनिश्चित करने, सायबर सुरक्षा को विश्वसनीय बनाने और उसके लिए एक नए वैश्विक आर्किटैक्चर पर सहमति बनाने पर ज़ोर दिया गया था. इस पैनल के गठन का उद्देश्य सरकारों, निजी क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के बीच समन्वय को मज़बूत करना है.
फ़िलहाल संयुक्त राष्ट्र इन सिफ़ारिशों के लिए पैरोकारों के छोटे समूहों का गठन कर रहा है जो प्रमुख समूहों का नेतृत्व करेंगे.
"सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हम विभिन्न विषयों और हितधारक समूहों, राष्ट्रों और राजनैतिक विभाजन के बीच किस तरह मिलकर काम करेंगे" – संयुक्त राष्ट्र महासचिव
इनमें यूएन के अलावा सरकारें, उद्योग और नागरिक समाज शामिल होंगें जो ऐसी ठोस कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे जो वास्तव में असरदार हो.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने इन तात्कालिक प्राथमिकताओं के अलावा मित्र समूह से "दीर्घकालिक दृष्टि" अपनाने का आग्रह किया है.
"अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तत्काल व्यापक और गंभीर कार्रवाई करके ये सुनिश्चित करना होगा कि हम जोखिम कम करते हुए डिजिटल तकनीकों का पूर्ण लाभ उठाएं. इनमें आर्टिफ़िशियल इंटैलिजेंस यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सायबर उपकरण, ब्लॉकचेन और रोबोटिक्स शामिल हैं.
डिजिटल तकनीकों की आसान उपलब्धता के "बहुत गंभीर परिणाम" हो सकते हैं, एंतोनियो गुटेरेश ने यह मानते हुए कहा कि "वैश्विक स्तर पर लिए गए निर्णय यह निर्धारित करने में मदद करेंगे कि उनका उपयोग हानि के लिए किया जा रहा है या फिर लाभ के लिए, और किन देशों को ये नुक़सान और फ़ायदे मिल रहे हैं.”
"हम डिजिटल तकनीक से अपने मानव अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता को कमज़ोर नहीं होने दे सकते हैं, न ही हम इसे लिंग, आय, जातीयता, क्षेत्र, विकास की स्थिति या किसी अन्य कारक के आधार पर मौजूदा असमानताओं को बढ़ाने की अनुमति दे सकते हैं."
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय उपाय अक्सर नवाचार से पीछे रह जाते हैं और अंतरराष्ट्रीय सहयोग अलगाववाद और लोक-लुभावनवाद को जन्म दे रहा है.
"ऐसे में संयुक्त कार्रवाई जोखिमों को कम करने और ये सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है कि तरीक़े परस्पर-उपयोगी और समावेशी हों जो समस्त सैक्टरों और सीमाओं के परे भी काम में आ सकें."
उन्होंने चेतावनी दी कि डिजिटल दुनिया के "बिखरे हुए" नियम निशुल्क व सुरक्षित इंटरनेट के लिए ख़तरा पैदा करते हैं और पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने में विफल हैं.
उन्होंने कहा, "हमारी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हम विभिन्न विषयों और हितधारक समूहों, राष्ट्रों और राजनीतिक विभाजन के बीच किस तरह मिलकर काम करेंगे."
टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) और 2030 एजेंडा को हासिल करने के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग बहुत आवश्यक है.
उन्होंने इस विषय पर भी प्रकाश डाला कि नई तकनीकों से सबसे अधिक लाभ या हानि दक्षिणी गोलार्ध में स्थित देशों को होती है, फिर भी नियामक तंत्र में संपन्न देशों का बोलबाला है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा, "मैं इन विसंगतियों को दूर करने के लिए इस मित्र समूह से आग्रह करता हूं, जब तक हम ऐसा नहीं करते, डिजिटल बुनियादी ढांचे की क्षमता के केंद्रीकरण की ऊंची क़ीमतों के कारण इन पर परिपक्व अर्थव्यवस्थाओं का एकाधिकार क़ाबिज़ होने के हालात बन सकते हैं."
उन्होंने मित्र समूह को समावेशी और विविधता के लिए एक मज़बूत वैश्विक शक्ति’ बताते हुए इस पहल का फ़ायदा उठाने, बड़े सवालों को संबोधित करने और राजनैतिक और क्षेत्रीय सीमाओं से परे जाकर काम के लिए प्रोत्साहित किया है.