अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध में सभी की हार तय, विशेषज्ञों की चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र के अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी भरे अंदाज में कहा है कि चीन और अमेरिका के बीच व्यापार शुल्क को लेकर चल रही लड़ाई में किसी भी पक्ष की जीत नहीं होने वाली, बल्कि पूरी दुनिया को इसके परिणाम झेलने पड़ेंगे. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच अगर शीघ्र ही कोई समझौता नहीं हुआ तो स्थिति और ज़्यादा बिगड़ने की आशंका है.
वर्ष 2019 के पहले छह महीनों के आंकड़ों के अनुसार, चीन पर उच्च अमेरिकी आयात शुल्क का अधिकांश ख़ामियाज़ा अमेरिकी उपभोक्ताओं और फर्मों को झेलना पड़ रहा है.
Our new paper on the trade + trade diversion effects of the US-China #tradewars shows that while China feels the pinch, other countries are benefiting. US tariffs on China have made other players more competitive in the US market, a trade diversion effect. https://t.co/WsSvRfO7SM pic.twitter.com/X7hAyOyHLW
UNCTAD
संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास मामलों की एजेंसी (UNCTAD) के अर्थशास्त्री एलेसेंड्रो निकिता ने कहा, "इस शुल्क का भुगतान अमेरिकी उपभोक्ता बढ़ती क़ीमतों के रूप में कर रहे हैं. इसमें न केवल हम जैसे उपभोक्ता शामिल हैं, बल्कि मध्यवर्ती उत्पादों की वो कंपनियां भी हैं जो चीन से पुर्ज़े आयात करती हैं."
2018 के मध्य में अमेरिका द्वारा उठाए गए क़दमों से एशियाई दिग्गज चीन के लिए चुनौती पैदा हुई है और उस पर 35 अरब डॉलर की मार पड़ी है.
इस दौरान चीन की फर्मों ने लक्षित उत्पादों के निर्यात में औसतन एक चौथाई की गिरावट दर्ज की है.
लेकिन ताइवान को इस सुस्ती का लाभ पहुंचा है और वर्ष 2019 की पहली छमाही में निर्यात में 4.2 अरब डॉलर की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
यूएन एजेंसी के मुताबिक इन क़दमों से कुछ अन्य देशों को भी फ़ायदा हुआ है जिनमें मैक्सिको (3.5 अरब डॉलर), यूरोपीय संघ (2.7 अरब डॉलर) और वियतनाम (2.6 अरब डॉलर) शामिल हैं.
कोरिया, कनाडा और भारत को भी इससे 0.9 अरब डॉलर से 1.5 अरब डॉलर तक का लाभ मिला है.
इसके अलावा, दक्षिण-पूर्वी एशिया के अन्य देशों को भी इसका लाभ मिला है जबकि अफ़्रीकी देशों को इसका "न्यूनतम" लाभ ही मिल पाया है.
अमेरिकी बाजार को चीन के निर्यात में लगभग 35 अरब डॉलर के घाटे में से लगभग 21 अरब डॉलर (यानि 63 प्रतिशत) का लाभ इन देशों को मिला, जबकि शेष 14 अरब डॉलर या तो अमेरिकी उत्पादकों को मिला या फिर बीच में खो गया.
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के अनुसार इस बात के शुरुआती सबूत हैं कि चीनी निर्यातकों ने निर्यात की क़ीमतें कम करके शुल्क की लागत के कुछ हिस्सा का भार स्वयं उठाना शुरू कर दिया है.
सबसे ज़्यादा मार चीन के विनिर्माण क्षेत्र पर पड़ी है, विशेषकर कंप्यूटर, ऑफ़िस मशीनरी और संचार उपकरण के क्षेत्र में. यहां चीन से निर्यात में 15 अरब डॉलर की गिरावट आई है.
रिपोर्ट के अनुसार रसायन, फ़र्नीचर, सटीक उपकरण और विद्युत मशीनरी जैसे दूसरे क्षेत्रों में भी काफ़ी हद तक गिरावट आई है.
इसके बावजूद इस रिपोर्ट में चीनी कंपनियों की मज़बूती को रेखांकित करते हुए कहा गया है कि अमेरिका के “अत्यधिक" निर्यात शुल्क" के बावजूद चीनी फ़र्मों ने 75 प्रतिशत निर्यात बनाए रखा है.
यूएन एजेंसी में अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वस्तुओं की निदेशक पामेला कोक हैमिल्टन ने बताया, “अध्ययन के परिणाम से एक वैश्विक चेतावनी मिलती है; एक ऐसे व्यापार युद्ध - जिसमें सभी पक्षों की हार तय हो - से ना केवल मुख्य दावेदारों को नुक़सान पहुंच रहा है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था और भविष्य में विकास की स्थिरता को मुश्किल खड़ी हो रही है. हमें उम्मीद है कि अमेरिका और चीन के बीच एक संभावित व्यापार समझौता व्यापारिक तनाव को कम करने में मदद करेगा."
इस रिपोर्ट में अमेरिकी आयातों पर चीनी शुल्क के असर पर विचार नहीं किया गया है, लेकिन बताया गया है कि इसके वैसे ही परिणाम होने की संभावना है, यानी "चीनी उपभोक्ताओं के लिए उच्च क़ीमतें, अमेरिकी निर्यातकों के लिए नुक़सान और अन्य देशों के लिए व्यापार लाभ."