
पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा समर्थित एक परियोजना के ज़रिये, लगभग 145,300 हेक्टेयर के इलाक़े में, पंजाब प्रान्त के सम्वेदनशील पेड़ों व महत्वपूर्ण वनों और सिंध में नदी के किनारे के जंगलों का संरक्षण किया जा रहा है.
एक अनुमान के मुताबिक, पाकिस्तान के कुल भूमि क्षेत्र का 5 प्रतिशत से भी कम वनों से आच्छादित है और हर साल पाकिस्तान में लगभग 1.5% वन लुप्त होते जा रहे हैं.

इन सम्वेदनशील क्षेत्रों के कारण, अपने खेती का विस्तार करने की चाह रखने वाले किसानों को आकर्षित करने वाले इलाक़ों की उत्कृष्ट उर्वरता और कोमल स्थलाकृति जोखिम में है. परियोजना के तहत, वन भूमि के मानचित्रण और सीमांकन की प्रयास शुरू किये गए हैं, ताकि वनों के संरक्षण के साथ-साथ, उनके पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की रक्षा भी हो सके.

जब जंगलों को चुनिन्दा रूप से काटा जाता है, तो उन्हें मामूली प्रयासों और अपेक्षाकृत सरल तकनीकों से वापस लाया जा सकता है, जो जैव विविधता को बनाए रखने और जलवायु परिवर्तन का असर कम करने में मदद देते हैं. इसके विपरीत, यदि कटाई अधिक गहन है, तो पुनर्वनीकरण के लिये कई स्तरों (सामाजिक, राजनीतिक और क़ानूनी) पर भारी प्रयासों की आवश्यकता होती है.