उनका घर
ज़्यादातर लोगों के लिये, ट्रेन स्टेशन परिवहन का एक साधन है. लेकिन बांग्लादेश के चटगाँव में यह ट्रेन स्टेशन, अनेक लोगों का घर है. वो इस प्लैटफॉर्म पर ही, अपने दिन-रात बिताते हैं.
ये लोग, रेल यात्रियों का सामान ढोकर या भीख मांगकर अपनी आजीविका चलाते हैं और थककर प्लेटफॉर्म पर इतनी ग़हरी नींद सोते हैं कि रेलगाड़ियों के गुज़रने की आवाज़ से भी उन्हें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता.
इन लोगों की ख़तरनाक और असुरक्षित स्थिति के बारे में उन लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से ये तस्वीर खींची गई है, जिनके माध्यम से, इन वंचित लोगों को मदद मिल सके.
आस्था
मार्च 2020 में, बांग्लादेश सरकार ने कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिये अचानक तालाबन्दी की घोषणा की. रातों-रात, बाज़ारों से सारा माल ख़रीद लिया गया और अफ़रा-तफ़री मच गई.
इस हद तक दहशत बढ़ गई किअस्पताल भी मरीज़ों की देखभाल करने से कतरा रहे थे. कम आय वाले अनेक परिवार, अपनी बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने में असमर्थ थे.
ढाका में खींची गई इस तस्वीर में, एक माँ अपनी छोटी बेटी के बुखार को कम करने की कोशिश कर रही है, वहीं उसकी बड़ी बेटी क़ुरआन पढ़ रही है.
लड़की को अस्पताल ने भर्ती करने से इनकार कर दिया था और परिवार अलग-थलग पड़ गया था. उनके दोस्तों और पड़ोसियों को डर था कि परिवार के सम्पर्क में आने से, वे भी वायरस से संक्रमित हो सकते हैं.
स्वस्थ होने की आशा
यह फोटो, इण्डोनेशिया के तंगेरांग में एक पारम्परिक इस्लामिक पुनर्वास सुविधा में खींची गई है.
ये तस्वीर, नशीली दवाओं की लत के शिकार एक 16 वर्षीय युवक की कहानी बयान करती है, जो नशे की लत के कारण अपने आक्रामक व्यवहार के परिणास्वरूप एक छोटे से कमरे में क़ैद है.
उसकी देखभाल करने वालों के अनुसार, उसका यह हाल ऐसी दवाओं के इस्तेमाल के दुष्प्रभावों की वजह से है, जिसमें सिन्थेटिक कैनेबिनोइड्स होते हैं.
इस किशोर को नशे की वजह से स्कूल छोड़ना पड़ा और उसे उसके परिवार ने पुनर्वास केन्द्र भेज दिया था. नशीली दवाओं की लत से जूझ रहे अनुमानित, 40 लाख इण्डोनेशियाई लोगों में अधिकांश किशोर हैं.
इस किशोर ने अपने कमरे के बाहर, फोटोग्राफर और देखभाल करने वालों से कहा कि झरोखे से आती रौशनी में उसे इस उम्मीद की किरण नज़र आती है कि वो जल्द स्वस्थ हो जाएगा.
प्यार ही जीवन की शक्ति
अर्जेन्टीना के ब्यूनस आयर्स में कोविड-19 महामारी के दौरान खींचे गए इस फ़ोटो में, जॉर्ग और उनकी बेटी, एंजेल्स साथ खेल रहे हैं और एक-दूसरे के साथ समय बिता रहे हैं.
जॉर्ग एक जन्मजात विसंगति से ग्रसित हैं, जो गर्भवती महिलाओं को होने वाली उल्टी रोकने के लिये, दी जाने थैलिडोमाइड नामक दवा के कारण होती है.
पहले माना जाता था कि इससे कोई नुक़सान नहीं होता. दवा के कारण दुनिया भर में हज़ारों बच्चों के जन्मजात समस्याओं के साथ पैदा होने सम्बन्धी सूचनाओं के बावजूद, थैलिडोमाइड दवा, दशकों तक गर्भवती महिलाओं को दी जाती रही.
जॉर्ग भी इसी का शिकार हुए.
एंजेल्स के दिल में, कम उम्र में भी,शारीरिक विकलांगता की चुनौतियों से लड़ने वाले लोगों की विलक्षण क्षमता के प्रति गहरा सम्मान भाव है.