
यमन, वर्षों से चले आ रहे हिंसक संघर्ष की आँच में झुलस रहा है. देश में हालात के मद्देनज़र, संयुक्त राष्ट्र ने यमन को दुनिया का सबसे विशाल मानवीय संकट क़रार दिया है.
हिंसा व अस्थिरता के कारण विस्थापित हुए यमनी लोगों ने, अपनी सहनशीलता और उम्मीदों को पेश करती कहानियाँ दुनिया के साथ बाँटी हैं.
हेन्द (12 वर्ष):"हम बस में सवार थे, सड़क बेहद ख़राब थी, बमबारी हो रही थी, और हम गोलियों की आवाज़ सुन सकते थे. मेरी ज़िन्दगी बदल गई है. मैं अपने मित्रों को याद करती रहती हूँ."
यमन की कुल आबादी लगभग तीन करोड़ है, जिनमें से दो करोड़ लोगों को, मानवीय राहत की आवश्यकता है.

हाला, (11 वर्ष) “मेरे सारे खिलौने हुदायदाह में हैं, एक कार और गुड़ियाँ. मुझे अपनी गुड़ियाएँ बहुत अच्छी लगती हैं.”
“और मेरी दोस्त मरयम. मैं जब स्कूल जाकर खेलती हूँ, तो ख़ुश होती हूँ.”
उसकी माँ कहती है, “अगर हम नाश्ता करते हैं, तो दोपहर का भोजन नहीं करते. और हम दोनों समय खाना नहीं खाते, हम रात में भोजन करते हैं.”
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यमन पर वर्ष 2021 में पूर्ण रूप से अकाल का जोखिम है.

फ़ातही (48): “मैं पाँच बच्चों का पिता हूँ, और मेरुदण्ड में चोट की वजह से अब मेरे पास कोई रोज़गार वाला काम नहीं है. मुझे नहीं मालूम कि अब यह सब इन्तज़ाम किस तरह करना है.”
संयुक्त राष्ट्र ने, यमन में मानवीय राहत कार्य को समर्थन प्रदान करने के लिये, तीन अरब 85 करोड़ डॉलर की सहायता राशि की अपील जारी की है.