
इन तस्वीरों को अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) की ‘होल्डिंग ऑन’ मुहिम से लिया गया है. इस मुहिम में घरेलू विस्थापन का शिकार लोगों की सशक्त कहानियों को एकत्र किया गया है. 20 साल पुरानी यह फ़ोटो ओज़ा मोडू की है जिन्हें आतंकी गुट बोको हराम के हमलो के बाद उत्तर-पूर्वी नाइजीरिया के बागा से भागना पड़ा. इस तस्वीर को देखकर उन्हें घर से जुड़े रहने का एहसास तो होता है लेकिन अपने भाईयों के बारे में सोच कर दुख भी होता है. उनके कई भाई थे जो या तो मारे गए या फिर वे बोको हराम गुट में शामिल हो गए.

“इस टी-शर्ट ने मेरी ज़िंदगी बचाई.” हनातु युसूफ़ को भी बागा में अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. बोको हराम ने जब हमला किया तो उनके पास सही से कपड़े पहनने का भी समय नहीं बचा था. आतंकी गुट द्वारा पकड़े जाने से पहले हनातु ने ख़ुद को इस टी-शर्ट से ढांप लिया जो उन्हें जंगल मे पड़ी मिली थी. आतंकियों के चंगुल से छूटने के बाद उन्हें और उनके परिवार को माइडुगुरी में एक शिविर में ले जाया गया जहां उनके पति की मौत हो गई. उसके बाद से ही जीवन यापन करना उनके लिए कठिन हो गया है. हनातु को नहीं पता कि वह कब बागा लौट पाएंगी. ऐसे में यही टी-शर्ट उन्हें घर की याद दिलाती है और ख़तरे से बच निकल पाने में कामयाब होने की भी.

“अपने जीवन में मुझे जिन चीज़ों से लगाव रहा है, ये चिड़ियाएं मुझे उन सब की याद दिलाती हैं.” 2014 में इराक़ की राजधानी बग़दाद से 90 किलोमीटर दूर याथ्रेब में जब इस्लामिक स्टेट के लड़ाके आए तो अबू जासिम अपने प्रिय कबूतरों को लिए बग़ैर नहीं जा सके. 49 वर्षीय जासिम तीन बच्चों के पिता और एक किसान हैं और उन्हें सुलेमानिया के एक शिविर में शरण मिली. याथ्रेब में उनके घर को ध्वस्त कर दिया गया और वहां सुरक्षा अब भी एक चुनौती बनी हुई है. लेकिन कबूतरों को अपने सामने पाकर उन्हें सहज महसूस करने और अपने खेतों, मवेशियों और पुराने दिनों को याद करने में मदद मिलती है.

“मैं इस टिकट को अपने पास रखती हूं ताकि कुछ भी न भूल सकूं, और मुझे याद रहे कि हम पर क्या गुज़री और आज हमारे पास जो कुछ भी है उसे संजो पाऊं.” पूर्वी यूक्रेन के दोन्तेस्क में तात्याना प्रोतसेन्को की ट्रैवल एजेंसी 2014 में उस समय बंद हो गई जब हथियारबंद लोगों ने बंदूक की नोंक पर उनकी कंपनी पर क़ब्ज़ा कर लिया. इस घटना से व्यथित और फिर रूस-समर्थित गुटों और यूक्रेन की सेना में लड़ाई के चलते उन्होंने किएव जाने का फ़ैसला ले लिया. वहां उन्हें अपना जीवन नए सिरे से खड़ा करना पड़ा लेकिन दोन्तेस्क वह फिर कभी नहीं गई. दोन्तेस्क से किएव का एक तरफ़ का टिकट उन्होंने अपने पास रखा है ताकि उन मुश्किल दिनों को याद रख सकें.

“एक-एक कर, जीवन की सभी उपलब्धियां चली गईं. यह कैमरा और एक पुराना वीडियो कैमरा आख़िरी चंद चीज़ों में बचा था लेकिन मैं इन्हें बेच पाने का साहस नहीं जुटा पाया.” 2014 की गर्मियों तक मुआफ़क इराक़ के मोसुल शहर में रहते थे और शादियों की तस्वीरें और वीडियो बनाकर आराम से जीवन व्यतीत कर रहे थे. लेकिन फिर इस्लामिक गुट ने शहर को अपने नियंत्रण में ले लिया. इसके बाद जीवन बहुत मुश्किल हो गया लेकिन मुआफ़क शहर छोड़कर नहीं गए. फिर जब इराक़ी सुरक्षा बलों ने शहर को अपने क़ब्ज़े में लेने का अभियान छेड़ा तो उन्हें शहर छोड़ना पड़ा और अपना लगभग सारा सामान बेचना पड़ा. लेकिन वीडियो कैमरे को वे बेच नहीं पाए. “हम पिकनिक पर जाते तो ये कैमरा हमेशा हमारे साथ होता. हमारे पास वीडियो फ़ुटेज और तस्वीरें हैं जिन्हें मैं याद के तौर पर रखता हूं.” फ़िलहाल मुआफ़क़ घरेलू विस्थापितों के लिए बने शिविर में रहते हैं लेकिन जल्द घर लौटने का इंतज़ार कर रहे हैं.

“मैं इस वस्तु में अपने बेटे को देखती हूं. यह उसकी याद दिलाता है. हर दिन वैसा महसूस होता है जिस दिन उसे मैंने खोया था.” मारथा कोलंबिया के पुटुमायो में एक सामुदायिक नेता हैं. 2003 में उन्हें अर्धसैनिक बलों ने अगवा कर लिया जिन्होंने इलाक़े में पहले से ही काफ़ी लोगों को मार दिया था. उनके सबसे बड़े बेटे ने उन्हें छुड़ाने की कोशिश की लेकिन इसकी क़ीमत उन्हें जान देकर गंवानी पड़ी. जिसने मारथा के बेटे की जान ली उसे बाद में जेल जाना पड़ा. जब उससे मिलने के लिए मारथा जेल गई तो एक अन्य बंदी उनकी कहानी सुनकर भावुक हो गया और उसने एक झूलन खटोला बनाया जिस पर मारथा के मृत बेटे का नाम अंकित था – एडविन. “मैं इसे अपने छोटे थैले में रखती हूं और जहां भी जाती हूं वहां इसे हमेशा अपने साथ रखती हूं.” मारथा के परिवार में सात लोगों की या तो हत्या कर दी गई या फिर उन्हें जबरन गायब कर दिया गया.

“मैं जितना लोगों के बारे में जानती हूं, मुझे कुत्तों से उतना ही प्यार हो जाता है.” वेलेरी ग्रेक ने पूर्वी यूक्रेन के डोकुशाएवेस्क में अपने घर को उस समय छोड़ने का निर्णय लिया जब उनके पड़ोसी के घर पर गोलाबारी हुई. यह चार साल पहले अलगाववादी लड़ाकों और सरकारी सुरक्षा बलों के दौरान लड़ाई के दौरान हुआ. अपने परिवार और दो कुत्तों के साथ उन्होंने एक गांव में खाली पड़े घर में शरण ली. वेलेरी का कहना है कि उनके कुत्ते उनकी भावनाओं को समझते हैं. “वे मेरे असली दोस्त हैं और मेरे परिवार का हिस्सा हैं.”