
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 5 मई को, कोविड-19 महामारी की, वैश्विक स्तर की एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा के रूप में समाप्ति की घोषणा की. चीन के वूहान शहर में दिसम्बर 2019 में पहली बार इस घातक वायरस का मामला सामने आया, और अगला महीना आते-आते संक्रमण मामलों में तेज़ उछाल दर्ज किया जाने लगा.
3 फ़रवरी को इस वायरस को आधिकारिक रूप से कोविड-19 का नाम दिया गया, और तब तक यह 24 अन्य देशों में फैल चुका था. मार्च 2020 में, 100 से अधिक देशों में संक्रमण मामलों की पुष्टि हो चुकी थी, जिसके मद्देनज़र, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने इस स्वास्थ्य आपदा को वैश्विक महामारी के रूप में परिभाषित किया.
बहुत तेज़ गति से शोध कार्य को आगे बढ़ाया गया, जिससे वर्ष 2021 में, कोरोनावायरस संक्रमण से बचाव के लिए अनेक वैक्सीन की उपलब्धता सम्भव हुई.

11 मार्च 2020 को, कोविड-19 को एक वैश्विक महामारी के रूप में परिभाषित किए जाने के बाद, दुनिया ठहर गई. बच्चे स्कूल नहीं जा सके, और उन्हें घर बैठकर ही पढ़ाई करनी पड़ी, इस फ़ोटो में इथियोपिया का एक छात्र रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम के ज़रिये पढ़ाई कर रहा है.
हवाई यात्राएँ भी रूक गईं. कार्यस्थलों पर ताला लग गया. तालाबन्दी के कारण सड़कें खाली हो गईं. इस कठिन दौर में स्वास्थ्य देखभालकर्मी, नायकों के रूप में उभरे. और वे वैज्ञानिक भी, जो चुनौतियों का समाधान ढूंढने और नए उपायों की तलाश के लिए आपस में सहयोग कर रहे थे.
डिजिटल नवाचार के ज़रिये विश्व भर में स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों, स्कूलों, मानवीय राहत एजेंसियों, संयुक्त राष्ट्र, अति-आवश्यक कार्यस्थलों समेत अन्य क्षेत्रों में अरबों लोग एक नई, वर्चुअल दुनिया से जुड़े रहे और कामकाज जारी रहा.

सामान्य व सुचारू कामकाज की मानो अवधारणा ही बदल गई. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने वर्चुअल बैठकों में शिरकत करते हुए वैश्विक मुद्दों व चुनौतियों पर चर्चा जारी रखी.
संयुक्त राष्ट्र और अन्य यूएन एजेंसियों के नेतृत्वकर्ताओं और कर्मचारियों ने संगठन की अनूठी आयोजन क्षमता का सहारा लेते हुए इस वैश्विक महामारी से निपटने के उपायों को अपनाया और सदस्य देशों को समर्थन प्रदान किया.

पिछली एक सदी में इतने विशाल स्तर पर पहली बार फैली वैश्विक महामारी का दौर, बहुपक्षवाद के लिए भी एक बड़ी परीक्षा साबित हुए. उद्योग जगत और अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों ने इस सार्वजनिक आपात स्वास्थ्य स्थिति से निपटने के सर्वोत्तम उपायों पर ध्यान केन्द्रित किया.
अधिकाँश शहरों की तरह, यूएन मुख्यालय के घर, न्यूयॉर्क में भी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर भीषण दबाव उपजा और स्वास्थ्यकर्मियों ने बेहद कठिन परिस्थितियों में भी अपना दायित्व निभाया.

दुनिया को नए ‘सामान्य हालात’ (new normal) के अनुरूप ढलना पड़ा. तालाबन्दियों के कारण, लोगों ने जमकर सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म और वर्चुअल दुनिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन वायरस की तरह भ्रामक जानकारियाँ और ग़लत सूचनाएं भी तेज़ी से फैलती रहीं.
विश्व भर में, सहानुभूति, दयालुता और उदारता की भावनाओं का प्रसार भी हुआ और पड़ोसियों व मित्रों ने एक दूसरे को अकेलेपन, परिजनों को खोने, अवसाद और कठिन हालात में मानसिक सम्बल प्रदान किया.
विश्व अर्थव्यवस्था की रफ़्तार थम गई. यूएन महासभा की बैठकें ऑनलाइन होने लगीं, जहाँ 193 सदस्य देशों ने इस घातक महामारी से उबरने के रास्तों पर चर्चा जारी रखी.

वैश्विक महामारी के कारण, दशकों की विकास प्रगति को धक्का पहुँचा और असमानताओं में वृद्धि हुई. सम्पन्न और साधनहीन देशों के बीच वैक्सीन सुलभता में पसरी खाई के विरुद्ध आवाज़ उठी और उन्हें सर्वजन के लिए मुहैया कराने पर बल दिया गया.
भारत में घर-घर जाकर टीके लगाने की मुहिम के तहत, राजस्थान में एक वृद्ध महिला को कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी ख़ुराक दी जा रही है.
कोविड-19 महामारी के कारण, सम्वेदनशील परिस्थितियों का सामना कर रहे लोगों के लिए बहिष्करण और हिंसा का शिकार होने का जोखिम बढ़ा. टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में हुई प्रगति की दिशा पलटी और विकास पथ पर नए अवरोध उपजे.
हालांकि, वैश्विक सहयोग के लिए यूएन महासचिव के ‘हमारा साझा एजेंडा’ समेत अन्य पहल से सम्भावित समाधान भी प्रस्तुत किए गए.

वर्ष 2021 में, घाना के कसोआ में वैक्सीन की ख़ुराक लेने के बाद एक 76 वर्षीय व्यक्ति अपना टीकाकरण कार्ड दिखा रहा है. कोविड-19 संक्रमण मामले अब भी बड़ी संख्या में दर्ज किए जा रहे हैं और यह अब भी एक जानलेवा बीमारी है, जिसके रूप व प्रकार में कभी भी बदलाव और मामलों में तेज़ उछाल आ सकता है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने दीर्घकालिक रोकथाम, नियंत्रण और प्रबन्धन की दिशा में आगे बढ़ने में, देशों को समर्थन प्रदान करने के लिए अपनी वैश्विक योजना में आवश्यकता अनुसार संशोधन किए हैं.
संगठन ने 5 मई को कोविड-19 के एक वैश्विक स्वास्थ्य आपदा के रूप में समाप्त होने की घोषणा की. दुनिया भर में, आम जीवन पहले से ही सामान्य होने की दिशा में बढ़ने लगा था.