17 जुलाई, अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्याय दिवस है. न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक फ़ोटो प्रदर्शनी के ज़रिये यह दर्शाया जा रहा है कि हिंसक टकराव किस तरह सामाजिक ताने-बाने को हानि पहुँचाता है. साथ ही, अपने समुदायों का जीवन फिर से पटरी पर लाने में सहायता कर रहे लोगों की कहानियों को भी साझा किया गया है.
आइचा, नेसेमॉन की प्रमुख हैं, जोकि आइवरी कोस्ट में विधवा महिलाओं का पैरोकार समूह है. वो हर रात भोजन तैयार करती हैं, ताकि दिन में उसे बेच कर, अपने आहाते में रहने वाली विधवाओं की मदद कर सकें.
लिया ने जॉर्जिया के ऐर्गनेती नामक एक नगर में अपने घर में पहला कामचलाऊ युद्ध संग्रहालय बनाया है, जोकि देश में वर्ष 2008 के हिंसक संघर्ष से सम्बन्धित है.
इस म्यूज़ियम में हिंसक संघर्ष पर आधारित फ़ोटो, कलाकृतियों और अन्य सामग्रियों को प्रस्तुत किया गया है. यह उनके घर के भूमिगत स्थल पर स्थित है, जोकि प्रशासनिक सीमा रेखा से कुछ ही दूरी पर है.
बांगई के एक स्कूल में लड़कों के स्कूल का एक कमरा, 11 से 14 साल की उम्र के 120 छात्रों से भरा हुआ है.
उनके अध्यापक श्री बासिले, मुस्लिम बच्चों की एक तस्वीर दिखाते हैं, जिन्हें ईसाई डरा रहे हैं और फिर ईसाई बच्चों की एक फ़ोटो, जिन्हें मुस्लिम बच्चे डरा-धमका रहे हैं.
श्री बासिले अपने छात्रों को सहिष्णुता व अहिंसा का पाठ पढ़ाते हुए कक्षा से पूछते हैं: “क्या यह सही है या ग़लत है?” लड़के एक स्वर में कहते हैं, “यह ग़लत है!”
वर्ष 2008 में जॉर्जिया में हिंसक संघर्ष के दौरान, मैडोना और उनके पति को अगवा कर लिया गया था. पति को फिर जान से मार दिया गया, मगर मैडोना किसी तरह जान बचाकर अपने तीन बच्चों के साथ कोडा में शरण ली.
उन्होंने जल्द ही महिलाओं के लिये एक संगठन की नींव डाली, जोकि आन्तरिक विस्थापन का शिकार आबादी में विविध पृष्ठभूमि से आने वाली महिलाओं के लिये सामाजिक व आर्थिक पहल को प्रोत्साहन देती हैं.
चैन्टेल, Planète Femmes नामक एक ग़ैर-सरकारी संगठन की समन्वयक हैं और मध्य अफ़्रीकी गणराज्य में हिंसक टकराव के दौरान लिंग आधारित हिंसा के पीड़ितों के साथ काम करती हैं.
वे सप्ताह में एक बार मिलते हैं, ताकि अपनी कहानियों को साझा और एक दूसरे के लिये समर्थन सुनिश्चित कर सकें.
उत्तरी युगाण्डा में एक सामुदायिक नेता, ओकेलो, हिंसक संघर्ष में कमी लाने का प्रयास कर रहे हैं.
1 जुलाई 2022 को अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय अपनी स्थापना के 20 वर्ष पूरे कर रहा है.
इस अवसर पर, “हिंसक संघर्ष के बाद जीवन: विश्व के बदतरीन अपराधों के पीड़ितों द्वारा अन्तरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय को बताई गई व्यथा-कथा” नामक प्रदर्शनी 29 जुलाई तक न्यूयॉर्क में यूएन मुख्यालय में देखी जा सकती है.