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ग़ाज़ा: गर्मी बढ़ने के साथ ही रफ़ाह में पीड़ाएँ और रोग बढ़ने का जोखिम

ग़ाज़ा में विस्थापित लगभग 10 लाख महिलाओं के लिए हालात बेहद पीड़ाजनक हैं, जिन्हें स्वच्छ पानी, भोजन और स्वच्छता का सामान हासिल करने में भीषण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
© UNRWA
ग़ाज़ा में विस्थापित लगभग 10 लाख महिलाओं के लिए हालात बेहद पीड़ाजनक हैं, जिन्हें स्वच्छ पानी, भोजन और स्वच्छता का सामान हासिल करने में भीषण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

ग़ाज़ा: गर्मी बढ़ने के साथ ही रफ़ाह में पीड़ाएँ और रोग बढ़ने का जोखिम

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कर्मियों ने गुरूवार को कहा है कि पूरे ग़ाज़ा पट्टी क्षेत्र में झुलसा देने वाली गर्मी वृद्धि ने, वहाँ के लोगों की पहले से जारी भीषण पीड़ाओं को और बढ़ा दिया है और स्वच्छ पानी की समुचित उपलब्धता और कूड़े-कचरे के सुरक्षित निपटान के अभाव में बीमारियाँ फैलने का नया जोखिम उत्पन्न हो गया है.

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फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA की यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े में लगभग 12 लाख लोग, अस्थाई और बहुत ख़स्ता हालत वाले आश्रयस्थलों में पनाह लिए हुए हैं, और उनके पास अन्यत्र किसी स्थान पर चले जाने का विकल्प उपलब्ध नहीं है. 

यूएन एजेंसी ने ग़ाज़ा सिटी के पूर्व मूल निवासी मुस्तफ़ा रदवान का हवाला देते हुए, एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है, “यह स्थिति किसी ग्रीनहाउस यानि बन्द और गरम स्थान पर रहने जैसी है, जहाँ भीतर रहना असहनीय बनता जा रहा है.”

रफ़ाह में एक टैंट में अपने 8 परिजन के साथ रहने वाले रदवान का कहना है कि वहाँ तापमान 40 डिग्री सैल्सियस तक पहुँच रहा है.

यहाँ के निवासी यह भलीभाँति जानते हैं कि पूर्ण गर्मियों का मौसम आने पर हालात और भी बदतर होंगे, जब तापमान 50 से 60 डिग्री सैल्सियस तक चला जाता है.

मुस्तफ़ा रदवान ने बताया कि रफ़ाह में स्वच्छ पानी की भारी क़िल्लत है और पानी हासिल करने के लिए हर दिन लम्बी क़तारें लगना आम बात है. “हर जगर क़तार है, विस्थापन में हर एक चीज़ में तकलीफ़ है.”

सहायता मिशनों को नामंज़ूरी

इस बीच संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता टीमों ने बताया है कि बुधवार को, ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में कोई मानवीय सहायता मिशन सम्भव नहीं हो सका क्योंकि “इसराइली सेना ने अपनी आवागन गतिविधियों के कारण, दो सड़कों पर अपनी सीमा चौकियाँ बन्द कर दी थीं.”

मगर संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत समन्वय कार्यालय – OCHA का कहना है कि UNRWA और यूनीसेफ़ का एक संयुक्त मिशन, मंगलवार को जबालिया पहुँचा था, जिसमें चिकित्सा सामग्री और जल शुद्धीकरण चीज़ें शामिल थीं.

अस्थाई क्लीनिक

फ़लस्तीनियों के लिए यूएन एजेंसी ने बताया है कि युद्ध में बुरी तरह तबाह हुए ख़ान यूनिस सिटी के मवासी इलाक़े में, बच्चों के एक नर्सरी स्कूल को एक स्वास्थ्य सुविधा केन्द्र में तब्दील किया गया है.

इस अस्थाई क्लीनिक में हर दिन लगभग दो हज़ार लोग किसी ना किसी तरह के इलाज के लिए आते हैं. 

इस क्लीनिक में लम्बी अवधि की बीमारियों के साथ-साथ मातृत्व और बाल स्वास्थ्य देखभाल, दन्त सेवाएँ और मनोवैज्ञानिक परामर्श भी मुहैया कराए जाते हैं.

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बेतहाशा बढ़ती मांग

इस क्लीनीक के निदेशक डॉक्टर अहमद हनूदा का कहना है कि गर्मियों की दस्त के साथ ही, पानी की क़िल्लत से लेकर अत्यधिक भीड़ जैसी स्थिति जैसी कठिनाइयाँ बढ़ जाती हैं, जिससे संक्रामक बीमारियों के फैलने का जोखिम बढ़ता है.

उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों के साथ यथा सम्भव स्वास्थ्य सेवाएँ मुहैया कराने की कोशिशें की जा रही हैं.

नृशंस परिस्थितियाँ

इस बीच, रफ़ाह में इसराइल के सम्भावित हमले के बारे में, यूएन मुख्यालय में प्रवक्ता से भी सवाल पूछा गया. 

यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने कहा कि रफ़ाह में इसराइल का ज़मीनी हमला, एक मानवीय त्रासदी साबित होगा. 

प्रवक्ता ने कहा, “हम एक युद्धग्रस्त क्षेत्र में अपनी सहायता गतिविधियाँ चला रहे हैं... हम लोगों के किसी भी तरह के जबरन विस्थापन के लिए कोई पक्ष नहीं होंगे.”

बढ़ती गर्मी के बारे में आगे पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि हालात पहले ही बहुत अत्याचारजनक और नृशंक हैं.

ठोस कूड़े-कचरे के निपटान की पूर्ण व्यवस्था पहले ही तार-तार हो चुकी है जिसके कारण लोगों के स्वास्थ्य पर, इतना बड़ा प्रभाव होने की आशंका है जिसका अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता.