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सूडान में ‘बर्बर’ यौन हिंसा पर रोक लगाने की पुकार

केन्द्रीय दारफ़ूर में स्थित ज़ेलिंगेई टाउन में विस्थापितों के लिए बनाए गए अस्थाई आश्रयों के पास खड़े बच्चों व उनके परिवारों का एक हवाई दृश्य. (फ़ाइल)
© UNICEF/Spalton
केन्द्रीय दारफ़ूर में स्थित ज़ेलिंगेई टाउन में विस्थापितों के लिए बनाए गए अस्थाई आश्रयों के पास खड़े बच्चों व उनके परिवारों का एक हवाई दृश्य. (फ़ाइल)

सूडान में ‘बर्बर’ यौन हिंसा पर रोक लगाने की पुकार

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने गुरूवार को कहा है कि सूडान में महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ यौन हिंसा की लहर का अन्त करने के लिए, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को, तत्काल कार्रवाई करनी होगी.

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युद्धों में यौन हिंसा पर विशेष प्रतिनिधि प्रमिला पैटन और आपात राहत मामलों की उप प्रमुख जॉयस म्सूया ने कहा है कि सूडान में दो विरोधी सेनाओं के दरम्यान युद्ध भड़के एक वर्ष से अधिक समय हो गया है.

इस दौरान किए जा रहे बर्बर कृत्य दो दशक पहले दारफ़ूर में हुए भयावह कृत्यों की याद दिलाते हैं.

इन अधिकारियों ने सुरक्षा परिषद के सदस्यों से अति स्पष्ट सन्देश उजागर करने का आग्रह किया. 

सन्देश ये कि अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के अन्तर्गत सूडान के आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी होगी और उन्हें कभी भी, किन्हीं भी हालात में यौन हिंसा का शिकार नहीं बनाया जाना चाहिए. ऐसा किया जाना युद्ध अपराध की श्रेणी में आता है.

ग़ौरतलब है कि प्रमिला पैटन ने युद्ध की स्थितियों में यौन हिंसा के मामलों की स्थिति पर हाल ही में सुरक्षा परिषद में अपनी रिपोर्ट पेश की थी.

यह व्यथित करने वाली रिपोर्ट दिखाती है कि किस तरह महिलाएँ और लड़कियाँ, अनुपात से अधिक प्रभावित हो रही हैं.

लाखों पर जोखिम

विशेष रूप से ख़ारतूम, दारफ़ूर और कोरडोफ़ान में बलात्कार, जबरन विवाह, यौन दासता और महिलाओं व लड़कियों की तस्करी के आरोप, लगातार सामने आ रहे हैं. 

लाखों लोगों को सूडान के भीतर और पड़ोसी देशों में सुरक्षित आश्रय की तलाश में युद्ध के हालात से बाहर निकलने के लिए भागना पड़ रहा है, जिससे वो जोखिम में हैं.

यूएन अधिकारियों ने आगाह करते हुए कहा कि अग्रिम मोर्चों पर सहायता मुहैया कराने वालों को वित्तीय और राजनैतिक समर्थन के अभाव में, जीवनरक्षक सेवाओं तक पहुँच कम होनी जारी रहेगी.