वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

सूडान युद्ध से, बहुत तेज़ विस्थापन का संकट

सूडान के शरणार्थी, चाड में पहुँचने के बाद, सहायता सामग्री की प्रतीक्षा करते हुए.
© UNICEF/Donaig Le Du
सूडान के शरणार्थी, चाड में पहुँचने के बाद, सहायता सामग्री की प्रतीक्षा करते हुए.

सूडान युद्ध से, बहुत तेज़ विस्थापन का संकट

मानवीय सहायता

सूडान में भीषण युद्ध जारी रहने के दौरान, देश में संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष सहायता अधिकारी क्लेमेंटाइन न्कवेता-सलामी ने गुरूवार को आगाह किया है कि इस संकट ने, विश्व का एक सबसे तेज़ी से बढ़ता विस्थापन संकट उत्पन्न कर दिया है.

उन्होंने कहा कि इस संकट ने, ज़रूरतमन्द लोगों की मदद करने के संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों को भी पीछे छोड़ देने का जोखिम उत्पन्न कर दिया है.

क्लेमेंटाइन न्कवेता-सलामी, सूडान में, यूएन महासचिव की उप विशेष प्रतिनिधि और मानवीय सहायता संयोजक हैं.

उन्होंने कहा, “पिछले छह महीनों के दौरान, सूडान में भारी तकलीफ़ें हुई हैं और 54 लाख से अधिक लोगों को अपने घर छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा है.”

क्लेमेंटाइन न्कवेता-सलामी ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि हर दिन औसतन लगभग तीस हज़ार लोग, युद्ध से बचकर सुरक्षित स्थानों के लिए निकल रहे हैं, उनमें से कुछ लोग बिना किसी सामान के ही भाग रहे हैं. 

उन्होंने बताया, “मैंने ऐसी महिलाएँ देखी हैं जिन्होंने मुझे बताया कि वो ये नहीं जानतीं कि उनके बच्चों के लिए, भोजन की अगली ख़ुराक कहाँ मिलेगी. मैं ऐसे परिवारों से मिली हूँ जो अस्थाई आश्रयों में रह रहे हैं, वो भोजन व पानी की तलाश में संघर्ष कर रहे हैं और उन्हें स्वास्थ्य देखभाल भी उपलब्ध नहीं है; उनके बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित हैं और परिवार के लिए मुख्य आय कमाने वाले कामकाज से बाहर हैं.”

पूरे देश के चपेट में आने का जोखिम

यूएन अधिकारी ने बताया कि देश की लगभग आधी आबादी यानि लक़रीब दो करोड़ 47 लाख लोगों को, मानवीय सहायता व संरक्षण की आवश्यकता है. उन्होंने साथ ही ये चेतावनी भी दी कि युद्ध, विस्थापन और बीमारियों के फैलाव ने अब पूरे देश को अपनी चपेट में लेने का जोखिम उत्पन्न कर दिया है.

क्लेमेंटाइन न्कवेता-सलामी ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र और उसके साझीदारों ने, सितम्बर में, देश के सभी छह प्रान्तों में, लगभग तीन हज़ार टन जीवन रक्षक सरायता सामग्री, 66 ट्रकों में भरकर पहुँचाई थी. “मगर हम और अधिक सामग्री, तेज़ी के साथ पहुँचाने के लिए हालात अनुकूल होने चाहिए.”

“हमें लगभग एक करोड़ 80 लाख लोगों तक सहायता के साथ पहुँच बनानी है, और हम इस लक्ष्य की अनदेखी नहीं कर सकते हैं.”

फ़सलों पर जोखिम

15 अप्रैल 2023 को, सूडान के सशस्त्र बलों (SAF) और त्वरित समर्थन बलों (RSF) के बीच भड़के युद्ध में भारी हथियारों और हवाई हमलों का प्रयोग हो रहा है. शुरू में तो ये लड़ाई राजधानी ख़ारतूम में और उसके आसपास व दारफ़ूर क्षेत्र में केन्द्रित थी, मगर क्लेमेंटाइन न्कवेता-सलामी ने चिन्ता व्यक्त की कि ये युद्ध, गेज़िरा प्रान्त में भी फैल सकता है, जिसे देश की अन्न टोकरी माना जाता है.

उन्होंने कहा, “इन हालात के, खाद्य सुरक्षा के लिए बहुत बुरे नतीजे होंगे.” 

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हिंसा ने पहले ही सूडान के स्वास्थ्य क्षेत्र को बिखेर दिया है, जहाँ लगभग 70 प्रतिशत अस्पताल, सेवाएँ देने में समर्थ नहीं बचे हैं.

मानवीय सहायता कर्मी, बढ़ती यौन व लैंगिक हिंसा, जबरन गुमशुदगी, मनमानी गिरफ़्तारी और मानवाधिकारों बाल अधिकारों के गम्भीर हनन की ख़बरों पर भी समान रूप से चिन्तित हैं.