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UNRWA पर रिपोर्ट: एजेंसी की जीवनरक्षक सहायता को यूएन प्रमुख का समर्थन

UNRWA की टीमों ने, ग़ाज़ा में भीषण युद्ध के बीच भी, सम्भव पहुँच वाले इलाक़ों में सहायता मुहैया कराना जारी रखा है.
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UNRWA की टीमों ने, ग़ाज़ा में भीषण युद्ध के बीच भी, सम्भव पहुँच वाले इलाक़ों में सहायता मुहैया कराना जारी रखा है.

UNRWA पर रिपोर्ट: एजेंसी की जीवनरक्षक सहायता को यूएन प्रमुख का समर्थन

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को, फ़लस्तीनी जन की सहायता के लिए यूएन एजेंसी – UNRWA को 'सक्रिय समर्थन' देने की अपील जारी की है. उन्होंने इस एजेंसी की नियम व्यवस्था और संचालन प्रणाली की एक स्वतंत्र जाँच के अन्तिम निष्कर्षों को भी स्वीकार करने की बात कही है.

ग़ौरतलब है कि UNRWA की ये जाँच इसराइल के इन आरोपों के बाद शुरू की गई थी कि 7 अक्टूबर (2023) को इसराइल पर हमास के हमले में, इस एजेंसी के लगभग 10 कर्मचारी भी शामिल थे.

यह जाँच फ्रांस की पूर्व विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना के नेतृत्व में की गई है.

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यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने सोमवार को कहा है, “महासचिव, कैथरीन कोलोना की रिपोर्ट में शामिल सिफ़ारिशों को स्वीकार करते हैं. 

वह UNRWA के महाआयुक्त फ़िलिपे लज़ारिनी के साथ इस बात पर सहमत हुए हैं कि यह एजेंसी – महासचिव के समर्थन के साथ – इस अन्तिम रिपोर्ट में शामिल सिफ़ारिशों को लागू करने की एक कार्य योजना स्थापित करने पर काम करेगी.”

इस स्वतंत्र समीक्षा समूह ने, अपनी अन्तरिम रिपोर्ट और सिफ़ारिशें, कुछ सप्ताह पहले, यूएन प्रमुख को सौंपी थीं. उनमें ऐसे सबूत भी पेश किए गए थे कि UNRWA, के भीतर, “तटस्थता के मानवीय सिद्धान्त का पालन सुनिश्चित करने के लिए अनेक प्रणालियाँ और प्रक्रियाएँ मौजूद हैं” और उस समय एंतोनियो गुटेरेश ने कहा था कि अलबत्ता “कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है”.

कैथरीन कोलोना के नेतृत्व में इस समीक्षा समूह ने, राऊल वैलेनबर्ग, मिशेलसेन संस्थान और डेनिश मानवाधिकार संस्थान जैसे प्रतिष्ठित शोध संगठनों के साथ मिलकर ये जाँच की है. इस समूह ने कहा है कि वो इस एजेंसी की बेहतरी और मज़बूती के लिए ठोस और वास्तविक सिफ़ारिशें तैयार करने के लिए अपना काम जारी रखेगा.

फ़लस्तीनी क्षेत्रों में हिंसा लगातार जारी

रिपोर्ट के जाँच निष्कर्ष जारी होने के साथ ही ऐसी ख़बरें भी आई हैं कि पूरे ग़ाज़ा में, बीते सप्ताहान्त के दौरान भी इसराइली बमबारी जारी रही और पश्चिमी तट क्षेत्र में, हिंसा के स्तर चिन्ताजनक रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र की प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी – UNFPA ने सोमवार को बताया है कि ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े – रफ़ाह में, इसराइली हमले में एक गर्भवती महिला के घायल होने के बाद, उसके बच्चे को आपात ऑपरेशन के बाद बचा लिया गया, मगर बाद में उस महिला की मौत हो गई.

फ़लस्तीन के लिए UNFPA के प्रतिनिधि डोमिनिक ऐलेन ने बताया है जब इस महिला की मौत हुई तो उस समय वो 30 सप्ताहों की गर्भवती थी. इस हमले में उस महिला के पति और नवजात शिशु के अन्य बहन-भाइयों की भी मौत हो गई.

बमबारी रुकने की प्रतीक्षा

स्वास्थ्य के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर डॉक्टर त्लालेंग मोफ़ोकेंग ने ग़ाज़ा में हाल के महीनों और दशकों के दौरान हुई हिंसा के, स्थानीय आबादी और वहाँ काम करने वाले चिकित्साकर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़े भीषण नुक़सान की तरफ़ ध्यान खींचा है.

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ डॉक्टर त्लालेंग मोफ़ोकेंग ने सोमवार को जिनीवा में कहा, “ऐसे हालात की कल्पना करें जब औपका हर समय बम गिरने या कोई बन्दूक चलने की आशंका के साथ जीवन जीना पड़ रहा हो, या फिर जब आप भोजन या पानी हासिल करने की कोशिश कर रहे हों या फिर खेलकूद रहे हों, तो आपको बन्दूक की गोली का निशाना बना दिया जाए.”

“लगातार इस भय के साथ जीना की किसी भी क्षण, आपकी ज़िन्दगी समाप्त हो सकती है और बच्चों के लिए इस स्तर की पीड़ा के साथ जीवन जीना, सामान्य बात नहीं है. मगर दशकों से, इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी क्षेत्र में, यह स्थिति ही सामान्य रही है.”

इसराइल में 7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद भड़के युद्ध में, लगभग सात महीनों के दौरान इसराइली बमबारी और ज़मीनी हमलों के बीच, ग़ाज़ा के आम लोगों के लिए, हर रोज़ ज़िन्दगी बद से बदतर होती रही है.

UNRWA का कहना है कि ग़ाज़ा पट्टी में, हर 10 मिनट में एक बच्चे की मौत हो रही है. एजेंसी ने इस हिंसा को तत्काल रोके जाने और ग़ाज़ा पट्टी में भीषण ज़रूरत वाली मानवीय सहायता पहुँचने की इजाज़त दिए जाने की अपनी पुकार दोहराई है.

ग़ाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार 7 अक्टूबर को शुरू हुए इसराइली हमलों में अभी तक 34 हज़ार से अधिक फ़लस्तीनी मारे गए हैं और 77 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं.