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सूडान: बढ़ते हिंसक टकराव और अकाल के जोखिम पर चिन्ता, लड़ाई रोकने की मांग

सूडान के नॉर्थ दारफ़ूर प्रान्त की राजधानी अल-फ़शर शहर में, लाखों विस्थापित लोग रह रहे हैं. (फ़ाइल)
© UNICEF/Shehzad Noorani
सूडान के नॉर्थ दारफ़ूर प्रान्त की राजधानी अल-फ़शर शहर में, लाखों विस्थापित लोग रह रहे हैं. (फ़ाइल)

सूडान: बढ़ते हिंसक टकराव और अकाल के जोखिम पर चिन्ता, लड़ाई रोकने की मांग

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) ने सूडान में गम्भीर रूप धारण करती हिंसा को थामने के लिए परस्पर विरोधी सैन्य बलों के शीर्ष अधिकारियों से बात की है. देश में पिछले 13 महीनों से जारी लड़ाई का आम नागरिकों पर भयावह असर हुआ है और हिंसा प्रभावित इलाक़ों में अकाल का जोखिम बढ़ रहा है.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने मंगलवार को सूडान सशस्त्र बलों के कमांडर, लेफ़्टिनेंट जनरल अब्देल फ़ताह अल बुरहान, और अर्द्धसैनिक बल (RSF) के जनरल मोहम्मद हमदान डगालो के साथ फ़ोन पर अलग-अलग बातचीत की. 

यूएन मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने शुक्रवार को जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि उच्चायुक्त टर्क ने दोनों पक्षों से तत्काल, सार्वजनिक रूप से तनाव व टकराव में कमी लाने का आग्रह किया है.

इससे पहले भी, उन्होंने नवम्बर 2022 में परस्पर विरोधी सैन्य बलों के प्रमुखों से बात की थी. 

“उन्होंने दोनों कमांडरों को चेतावनी दी है कि अल-फ़शर में, जहाँ 18 लाख लोग रहते हैं और आन्तरिक रूप से विस्थापित फ़िलहाल घेराबन्दी में व अकाल के जोखिम में है, लड़ाई का आम आबादी पर विनाशकारी असर होगा.”

साथ ही, इससे अन्तर-सामुदायिक टकराव और अधिक गहरा होने की आशंका है, जिसके तबाही लाने वाले मानवीय दुष्परिणाम होंगे.

इसके मद्देनज़र, यूएन उच्चायुक्त ने दोनों पक्षों को अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी क़ानून के अन्तर्गत उनके तयशुदा दायित्वों के प्रति सचेत किया है और मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों पर तुरन्त रोक लगाने और दोषियों की जवाबदेही तय किए जाने की मांग की है.

13 महीनों से भीषण लड़ाई

सूडान में पिछले 13 महीनों से सशस्त्र सेना और अर्द्धसैनिक बलों के बीच युद्ध जारी है, जिसकी वजह से क़रीब आधी आबादी, 2.5 करोड़ लोग, को मानवीय सहायता की आवश्यकता है. इनमें 1.4 करोड़ बच्चे हैं.

लाखों लोगों को बार-बार विस्थापित होने के लिए मजबूर होना पड़ा है और मानवीय सहायताकर्मियों ने अनेक मर्तबा आगाह किया है कि अकाल का ख़तरा बढ़ता जा रहा है.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने अल-फ़शर में बढ़ती हिंसा की चपेट में आए आम नागरिकों के प्रति चिन्ता जताई और कहा कि सूडान में हिंसक टकराव के दीर्घकालिक नतीजे हो सकते हैं.

पिछले सप्ताह, नॉर्थ दारफ़ूर प्रान्त के इस शहर में लड़ाई में तेज़ी आने के बाद से अब तक कम से कम 58 आम नागरिकों की जान गई है और 213 अन्य घायल हुए हैं.

बीमारियों, अकाल का जोखिम

मानवीय सहायता मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) ने आगाह किया है कि बीमारियों में उछाल आ रहा है और स्थानीय लोगों पर अकाल का जोखिम मंडरा रहा है. 

यूएन व साझेदार संगठनों की राहत अभियान योजना के तहत, हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित इलाक़ों में 1.5 करोड़ लोगों तक समर्थन पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए 2.7 अरब डॉलर की तुरन्त ज़रूरत होगी.

मगर, फ़िलहाल इस रक़म के केवल 12 प्रतिशत हिस्से का ही प्रबन्ध हो पाया है. यूएन एजेंसी ने चेतावनी दी है कि अकाल को टालने के लिए, सहायता धनराशि के अभाव में राहत प्रयासों का स्तर बढ़ाना सम्भव नहीं होगा.

OCHA के अनुसार, इस धनराशि के ज़रिये भोजन, स्वास्थ्य सेवाओं, शरण, जल व साफ़-सफ़ाई की व्यवस्था की जाएगी. साथ ही, यौन व लिंग-आधारित हिंसा की रोकथाम, पीड़ितों के लिए समर्थन, और बन्द पड़े स्कूलों को फिर से खोल जाएगा.