वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

उत्तरी ग़ाज़ा में, सम्भावित अकाल, ‘पूर्णतः मानव-निर्मित आपदा’: गुटेरेश

ग़ाज़ा में युद्ध के कारण, लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और उनके पास रहने व खाने के लिए साधन मयस्सर नहीं हैं.
© UNICEF/Abed Zagout
ग़ाज़ा में युद्ध के कारण, लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और उनके पास रहने व खाने के लिए साधन मयस्सर नहीं हैं.

उत्तरी ग़ाज़ा में, सम्भावित अकाल, ‘पूर्णतः मानव-निर्मित आपदा’: गुटेरेश

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता एजेंसियों ने आगाह किया है कि ग़ाज़ा में भोजन की क़िल्लत के बारे में प्राप्त नए आँकड़ों से संकेत मिलता है कि किसी भी समय अकाल पड़ सकता है. यूएन प्रमुख ने इस विनाशकारी स्थिति को, पूर्णतः मानव निर्मित बताया है जिसे रोके जाने का भी आहवान किया है. इस बीच ग़ाज़ा सिटी में इसराइली सेना द्वारा सोमवार को, हमास के लड़ाकों की तलाश में, अल-शिफ़ा अस्पताल पर छापा मारे जाने की ख़बरें आई हैं.

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन – FAO ने कहा है कि ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़ों में, अब से लेकर मई 2024 के दौरान, अकाल कभी भी शुरू हो सकता है.

Tweet URL

संगठन ने, ग़ाज़ा के बारे में, एकीकृत खाद्य सुरक्षा चरण वर्गीकरण (IPC) रिपोर्ट प्रकाशित होने के सन्दर्भ में ये चेतावनी जारी की है.

'अकल्पनीय अनहोनी को रोकना होगा'

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने, सोमवार को ही न्यूयॉर्क में कहा है कि "ग़ाज़ा में फ़लस्तीनी जन, भयानक स्तर के खाद्य अभाव और तकलीफ़ों का सामना कर रहे हैं."

उन्होंने कहा कि खाद्य अभाव या भुखमरी के विनाशकारी स्तर का सामना करने वाले लोगों की ये, एकीकृत खाद्य सुरक्षा चरण वर्गीकरण (IPC) रिपोर्ट में दर्ज की जाने वाली अभी तक की सबसे बड़ी संख्या है.

यूएन महासचिव ने आगाह करते हुए कहा, "यह पूर्णतः मानव-निर्मित आपदा है - और रिपोर्ट यह स्पष्ट करती है कि इसे रोका जा सकता है." उन्होंने कहा कि यह स्थिति तत्काल एक मानवीय युद्धविराम लागू किए जाने की ज़रूरत को दर्शाती है.

एंतोनियो गुटेरेश ने, इसराइल सरकार से पूरे ग़ाज़ा में, मानवीय सहायता निर्बाध आपूर्ति के लिए पहुँच मुहैया कराए जाने का आग्रह किया है. उन्होंने साथ ही अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता प्रयासों को पूर्ण समर्थन देने का भी आहवान किया है.

उन्होंने कहा, "हमें अकल्पनीय, अस्वीकार्य और अन्यायपूर्ण हालात उत्पन्न होने से रोकने के लिए, अभी कार्रवाई करनी होगी."

अल शिफ़ा अस्पताल पर इसराइली छापा

इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने, अल-शिफ़ा अस्पताल में तेज़ी से बदलते घटनाक्रम के बारे में ज़ोर देकर कहा है कि, “अस्पतालों को कभी भी युद्धस्थल नहीं होने चाहिए”.

उन्होंने आगाह किया है कि चिकित्सा कर्मियों, मरीज़ों और आम लोगों की ज़िन्दगियाँ दाँव पर लगी हैं. उन्होंने ये भी बताया कि अल-शिफ़ा अस्पताल में, निम्न स्तर की स्वास्थ्य सेवाएँ, हाल ही में बहाल हुई थीं.

IPC: एक महत्वपूर्ण सहायता साधन

आईपीसी रिपोर्ट में प्रस्तुत किए जाने वाले अनुमान, ज़मीनी स्थिति के आकलन के आधार पर तैयार किए जाते हैं, जिनका प्रयोग, मानवीय सहायता एजेंसियाँ, सर्वाधिक जोखिम का सामना करने वाले लोगों की मदद के लिए करती हैं.

आँकड़ों से संकेत मिलता है कि ग़ाज़ा की पूरी आबादी यानि 23 लाख लोग, खाद्य असुरक्षा के अत्यन्त गम्भीर स्तर का सामना कर रहे हैं. इनमें लगभग 11 लाख लोग, खाद्य असुरक्षा के “विनाशकारी” स्तर से प्रभावित हैं. इस स्थिति को IPC का चरण-5 कहा जाता है.

भोजन अभाव की स्याह स्थिति

Tweet URL

खाद्य व कृषि संगठन – FAO ने कहा है कि पिछला आईपीसी विश्लेषण दिसम्बर 2023 में जारी किया गया था, जिसमें उस समय की गम्भीर अत्यन्त खाद्य असुरक्षा स्थिति, और भी “गहरी और वृहद” हो गई है.

संगठन ने ध्यान दिलाया है कि 79 प्रतिशित अतिरिक्त ग़ाज़ा वासियों के, फ़रवरी के मध्य से मार्च के मध्य तक, खाद्य अभाव या भुखमरी के विनाशकारी स्तर में धँसने की सम्भावना है. और अब से लेकर जुलाई तक, ये संख्या 92 प्रतिशत हो जाने की सम्भावना है.

FAO की उप महानिदेशक बेथ बैक़डॉल ने कहा है, “अगर युद्ध को रोकने और लोगों को अधिक मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए, कोई क़दम नहीं उठाए गए तो, अकाल निश्चित है.”

उन्होंने कहा, “अकाल पहले ही पड़ रहा हो. ज़रूरी सहायता सामग्री की, विशाल पैमाने पर आपूर्ति के लिए, तुरन्त पहुँच मुहैया कराया जाना ज़रूरी है.”

ख़ाली पेट रहने को मजबूर

आईपीसी रिपोर्ट में बताया गया है कि ग़ाज़ा में सभी परिवारों को, इस समय हर दिन, पूरी भोजन ख़ुराकों से वंचित रहना पड़ रहा है, यानि उन्हें भूखे पेट रहना पड़ रहा है. वयस्कों ने अपनी भोजन ख़ुराकों इसलिए कम कर दी हैं ताकि उनके बच्चों को, भोजन मिल सके.

ये रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब ग़ाज़ा में युद्धविराम और हमास द्वारा 7 अक्टूबर को इसराइल में किए गए एक हमले के दौरान बन्धक बनाए गए लोगों को रिहा किए जाने की अन्तरराष्ट्रीय पुकारें दोहराई जा रही हैं. उस हमले में लगभग 1200 लोग मारे गए थे.

उसके बाद इसराइल द्वारा शुरू किए गए ग़ाज़ा युद्ध में अभी तक, स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, 31 हज़ार 726 लोग मारे जा चुके हैं और 73 हज़ार 792 लोग घायल हुए हैं.

रफ़ाह चेतावनी

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी – WHO के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ने सप्ताहान्त एक सोशल मीडिया सन्देश में इन ख़बरों पर गहरी चिन्ता व्यक्त की थी कि इसराइल, ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े – ग़ाज़ा में ज़मीनी हमले की तैयारी करना जारी रखे हुए है. 

ग़ौरतलब है कि ग़ाज़ा में युद्ध के कारण अन्य इलाक़ों से विस्थापित हो कर, दस लाख से अधिक लोग, रफ़ाह में शरण लिए हुए हैं और वहाँ अत्यधिक भीड़ के हालात हैं.

बमबारी जारी

FAO ने कहा है कि ग़ाज़ा युद्ध में इसराइल की सघन बमबारी जारी रहने के कारण, आम लोगों के लिए पानी, भोजन और ईंधन की आपूर्ति ठप हो गई है. खाद्य सम्बन्धी तमाम क्षेत्र ढह गए हैं, जिनमें सब्ज़ी उत्पादन, मवेशी उत्पादन और मछली उत्पादन शामिल हैं.

यूएन एजेंसी ने बताया है कि ग़ाज़ा में माँस और दुग्ध उत्पादक मवेशियों की 60 से 70 प्रतिशत संख्या या तो मारी जा चुकी है या युद्ध के कारण उत्पन्न विशाल ज़रूरतें पूरी करने के वास्ते, माँस के लिए उनका उपभोग कर लिया गया है.