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ग़ाज़ा में, बच्चों के लिए, 'नरक के दस सप्ताह', यूनीसेफ़

ग़ाज़ा के रफ़ाह सिटी में युद्ध में तबाह हुए अपने घरों को देखते हुए, कुछ बच्चे.
© UNICEF/Eyad El Baba
ग़ाज़ा के रफ़ाह सिटी में युद्ध में तबाह हुए अपने घरों को देखते हुए, कुछ बच्चे.

ग़ाज़ा में, बच्चों के लिए, 'नरक के दस सप्ताह', यूनीसेफ़

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष - यूनीसेफ़ ने मंगलवार को आगाह करते हुए कहा है कि फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा, बच्चों के लिए दुनिया में सबसे ख़तरनाक स्थान बन चुका है और अगर युद्धविराम नहीं होता है तो वहाँ बीमारियों से बच्चों व किशोरों की मौतों की संख्या, अभी तक बमबारी में हुई मौतों से कहीं अधिक हो जाएगी.

यूनीसेफ़ के प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने हाल ही में ग़ाज़ा से वापिस लौटकर कहा है कि भोजन, पानी, आश्रय और स्वच्छता की कमी, बच्चों के जीवन को ख़तरे में डाल रही है क्योंकि वे लगातार हवाई हमलों से पीड़ित हैं और उनके पास, सुरक्षा की ख़ातिर, अन्यत्र जाने के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं है.

ग़ौरतलब है कि मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में, ग़ाज़ा में सहायता आपूर्ति को सुविधाजनक बनाने के लिए, लड़ाई को रोकने का आहवान किए जाने की उम्मीद है.

यूनीसेफ़ प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने इस सन्दर्भ में जिनीवा में पत्रकारों से कहा कि "हर एक बच्चा, इन 10 सप्ताहों के नरक सहन कर रहा है और उनमें से कोई भी बच्चा, इन हालात से बच नहीं सकता है".

उन्होंने कहा, "गम्भीर रूप से बीमार एक बच्चे के माता-पिता ने मुझसे कहा, 'हमारी स्थिति पूरी तरह से दयनीय है... मुझे नहीं मालूम कि हम इससे उबर पाएंगे या नहीं."

ग़ाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, 7 अक्टूबर को हमास के घातक आतंकी हमलों के बाद, इसराइल की युद्धक कार्रवाई शुरू होने के बाद से 19 हज़ार 400 से अधिक फ़लस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें से लगभग 70 प्रतिशत महिलाएँ और बच्चे हैं.

52 हज़ार से अधिक फ़लस्तीनी लोग घायल भी हुए हैं और जीवन रक्षक देखभाल तक उनकी पहुँच बेहद सीमित है. 

संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी – WHO ने मंगलवार को कहा कि ग़ाज़ा पट्टी के 36 अस्पतालों में से, केवल आठ ही, न्यूनतम आंशिक क्षमता के साथ काम कर रहे हैं.

'स्थिति यक़ीन से परे’

यूनीसेफ़ प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने कहा कि अस्पताल, बच्चों और उनके माता-पिताओं से भरे हुए हैं, सभी जन "युद्ध के भयानक घावों" से त्रस्त हैं हैं.

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ग़ाज़ा पट्टी में उन्होंने अनेक युवा विकलांग देखे. ग़ाज़ा में लगभग एक हज़ार बच्चों ने अपने एक या दोनों पैर खो दिए हैं.

संयुक्त राष्ट्र विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की प्रवक्ता डॉक्टर मार्गरेट हैरिस ने कहा है कि ग़ाज़ा में, संगठन के कर्मचारियों ने अस्पताल के फ़र्श पर "गम्भीर दर्द में" कराहते हुए मरीज़ों की भारी भीड़ देखी और आपातकालीन वार्डों से गुज़रते हुए ये डर था कि कहीं वो, किसी मरीज़ पर पैर ना रख दें. वो मरीज़, खाना और पानी मांग रहे हैं.

उन्होंने स्थिति को "अत्यन्त अनुचित" क़रार दिया और कहा कि यह "विश्वास से परे है कि दुनिया इस स्थिति को जारी रहने देने की अनुमति दे रही है.".

अस्पताल पर गोलाबारी

यूनीसेफ़ प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने बताया कि पिछले 48 घंटों में, ग़ाज़ा के सबसे बड़े बाक़ी बचे, दक्षिण में ख़ान यूनिस स्थित अल-नासिर अस्पताल पर दो बार गोलाबारी की गई. वह अस्पताल "न केवल बड़ी संख्या में उन बच्चों को आश्रय दे रहा है जो पहले से ही अपने घरों पर हमलों में बुरी तरह से घायल हो गए थे, बल्कि सैकड़ों महिलाएँ और बच्चे भी वहाँ सुरक्षा की ख़ातिर बना लिए हुए हैं."

उन्होंने उन लोगों का ख़ास ज़िक्र किया, जिन्हें युद्ध और जबरन निकासी के आदेशों के कारण अपने स्थानों से भागना पड़ा था.

ग़ाज़ा में लगभग 19 लाख लोगों, यानि वहाँ की अधिकांश आबादी के विस्थापित होने का अनुमान है.

जेम्स ऐल्डर ने कहा कि अपने प्रियजनों को खोने के दुख से जूझ रहे घायल बच्चों को, बार-बार स्थानान्तरित होने के लिए मजबूर होना पड़ा है. 

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “बच्चे और उनके परिवार कहाँ जाएँ? वे अस्पतालों में सुरक्षित नहीं हैं. वे आश्रय स्थलों में सुरक्षित नहीं हैं. और वे निश्चित रूप से तथाकथित 'सुरक्षित' क्षेत्रों में सुरक्षित नहीं हैं."

कोई भी जगह सुरक्षित नहीं है

यूनीसेफ़ के प्रवक्ता ने बताया कि "सुरक्षित क्षेत्र" "सुरक्षित के अलावा कुछ भी" हैं क्योंकि उन्हें केवल इसराइल ने इकतरफ़ा रूप में घोषित किया है और उन क्षेत्रों में "जीवित रहने के लिए, भोजन, पानी, दवा, सुरक्षा जैसे पर्याप्त संसाधन" नहीं हैं.

जेम्स ऐल्डर ने इन क्षेत्रों को "बंजर भूमि के छोटे-छोटे टुकड़े, या सड़क के किनारे वाले इलाक़े, या आधी-अधूरी इमारतों के रूप में वर्णित किया, जिनमें कोई पानी नहीं, कोई सुविधाएँ नहीं, ठंड और बारिश से कोई बचाव नहीं और कोई स्वच्छता नहीं".

उन्होंने कहा, "मौजूदा घिरे हालात में, ऐसे क्षेत्रों के लिए पर्याप्त सहायता आपूर्ति असम्भव है.”

प्रवक्ता ने बताया कि उन्होंने ग़ाज़ा में अपने हालिया दौरे के दौरान, उन्होंने इस वास्तविकता को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव किया था.

दस्त और कुपोषण

यूनीसेफ़ के प्रवक्ता ने पर्याप्त स्वच्छता की गम्भीर कमी की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया प्रकाश डाला और बताया कि ग़ाज़ा में औसतन 700 लोगों के लिए एक शौचालय है. 

उन्होंने कहा कि बच्चों में डायरिया के मामले एक लाख से ऊपर हैं और यह स्थिति बढ़ते कुपोषण के साथ मिलकर, तेज़ी से घातक साबित हो सकती है.

जेम्स ऐल्डर ने कहा कि दो साल से कम उम्र के एक लाख 30 हज़ार से अधिक बच्चों को "महत्वपूर्ण जीवन रक्षक स्तनपान और आयु-उपयुक्त पूरक आहार" नहीं मिल रहा है.

युद्धविराम 'एकमात्र रास्ता'

जेम्स ऐल्डर ने कहा, ग़ाज़ा में बच्चों के लिए सहायता वितरण "जीवन या मृत्यु का मामला" है, और सहायता आपूर्ति पहुँचाने करने की शर्तें "पूरी नहीं की जा रही हैं".

संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय - OCHA के अनुसार, ग़ाज़ा में अनुमति दिए गए सहायता ट्रकों की संख्या "500 ट्रक के दैनिक औसत से काफ़ी कम" है, जो संख्या 7 अक्टूबर से पहले हर कार्य दिवस में प्रवेश करती थी. 

रविवार को, ओसीएचए ने कहा कि मानवीय सहायता सामग्री ले जाने वाले 102 ट्रक और ईंधन के चार टैंकर मिस्र से रफ़ाह सीमा चौकी के माध्यम से ग़ाज़ा में दाख़िल हुए हैं और मौजूदा युद्ध शुरू होने के बाद पहली बार, 79 ट्रक, इसराइल से केरेम शालॉम सीमा चौकी के माध्यम से दाख़िल हुए हैं.

यूनीसेफ़ प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने कहा, "बच्चों को हताहत होने से बचाने और बीमारियों से बच्चों की मौतों को रोकने और बेहद ज़रूरी जीवन रक्षक सहायता की तत्काल आपूर्ति को सक्षम बनाने का एकमात्र उपाय, तत्काल और दीर्घकालिक मानवीय युद्धविराम है."