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भारत: विज्ञापनों में लैंगिक रूढ़िवादिता को चुनौती देता एक नया अभियान

 भारत में यूएनवीमेन ने विज्ञापनों में लैंगिक रूढ़िवादिता से निपटने के लिए एक नया अभियान शुरु किया है.
UN Women India/Unstereotype alliance
 भारत में यूएनवीमेन ने विज्ञापनों में लैंगिक रूढ़िवादिता से निपटने के लिए एक नया अभियान शुरु किया है.

भारत: विज्ञापनों में लैंगिक रूढ़िवादिता को चुनौती देता एक नया अभियान

महिलाएँ

संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था - UNWomen और भारत में उद्योग भागीदारों ने मिलकर एक नया अभियान शुरू किया है, जिसके तहत विज्ञापनों में लैंगिक रूढ़िवादिता दूर करने के लिए, महिलाओं व पुरुषों को पारम्परिक भूमिकाओं में बांधने की मानसिकता को चुनौती दी गई है.

#YouDontSeeMe नामक यह अभियान, गुरूवार को भारत के वित्तीय शहर, मुम्बई में Unstereotype Alliance ने शुरू किया, जो यूएनवीमैन का एक सहयोगी मंच है. 

भारत में यूएनवीमेन की प्रतिनिधि, सूसन फ़र्ग्यूसन ने इस अवसर पर कहा, "जब सामाजिक मानदंडों में सकारात्मक बदलाव लाने की बात आती है, तो हम उद्योग को आकार देने वाले विज्ञापन उद्योग और विज्ञापन दाताओं की शक्ति एवं प्रभाव को पूरी तरह समझते हैं.” 

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उन्होंने कहा, “यूएनवीमेन, इस Unstereotype Alliance के साथ साझेदारी पर बेहद उत्साहित है, जिससे महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों व मंचों पर दिखाने के तरीक़ों को चुनौती देकर, उनके प्रतिनिधित्व को आगे बढ़ाया जा सके."

सर्वेक्षण के नतीजे

भारत के विज्ञापन उद्योग में, पुरुषों और महिलाओं के लैंगिक-पूर्वाग्रह से ग्रसित चित्रण के सम्बन्ध में, चिन्ताएँ सामने आती रही हैं. हाल के एक सर्वेक्षण में लगभग 87 प्रतिशत भारतीय उत्तरदाताओं ने कहा कि महिलाओं को उनके देश की मीडिया में आम तौर पर पारम्परिक भूमिकाओं में चित्रित किया जाता है, और 86 प्रतिशत ने पुरुषों के चित्रण के बारे में भी यही कहा.

#YouDontSeeMe अभियान का प्राथमिक उद्देश्य, ऑन-स्क्रीन व वास्तविक जीवन के अनुभवों के बीच असमानताएँ उजागर करते हुए, मीडिया में लैंगिक चित्रण पर प्रकाश डालना है. इस अभियान के ज़रिए, प्रिंट, डिजिटल और घरेलू मीडिया में लिंग-सकारात्मक सन्देश प्रसारित करने के लिए विज्ञापन की शक्ति का उपयोग किया जाएगा. 

दो महीने का यह अभियान सम्पूर्ण भारत में चलाया जाएगा, जिसमें नई दिल्ली, चेन्नई, बैंगलोर, कोलकाता और हैदराबाद में, लगभग 1 करोड़ लोगों तक पहुँचने की योजना है.

#YouDontSeeMe अभियान, Unstereotype Alliance के इंडिया चैप्टर के सदस्यों, GRAY एजेंसी ने विकसित किया है, जिसमें GroupM और Lodestar UM की WPP एवं IPG Mediabrands India ने मीडिया विस्तार में सहयोग दिया है.

WPP इंडिया के मुख्य संस्कृति अधिकारी अपूर्व बापना ने कहा: “यह ज़रूरी है कि सभी हितधारक एक साथ मिलकर एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाएँ जो समस्त देश में लैंगिक समानता को बढ़ावा दे. भारत में अनस्टीरियोटाइप अलायंस ने, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए व्यावसायिक प्रथाओं व सकारात्मक सन्देशों को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न कम्पनियों, एजेंसियों एवं नीति निर्माताओं को एकजुट करने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है.

लैंगिक रूढ़िवादिता को चुनौती

भारत के विज्ञापन उद्योग में, पुरुषों और महिलाओं के लैंगिक-पूर्वाग्रहग्रस्त चित्रण के सम्बन्ध में, चिन्ताएँ सामने आती रही हैं.
UN Women India/Unstereotype alliance

भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) की मुख्य कार्यकारी और महासचिव मनीषा कपूर ने कहा, “ASCI, Unstereotype Alliance के भारतीय चैप्टर का संस्थापक सहयोगी है और उसने इस विषय पर महत्वपूर्ण योगदान दिया है. 

उल्लेखनीय योगदानों में GenderNext और GenderGains जैसी रिपोर्टें और हानिकारक लैंगिक रूढ़िवादिता पर दिशानिर्देश शामिल हैं. 

#YouDontSeeMe अभियान का उद्देश्य, प्रगतिशील लैंगिक चित्रण को प्रोत्साहित करना और सीमाओं में बांधने वाली पारम्परिक भूमिकाओं के चित्रण को तोड़ना है.”

Lodestar UM की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) अदिति मिश्रा ने कहा, "हम #YouDontSeeMe अभियान के साथ साझेदारी करके, विज्ञापन में लैंगिक रूढ़िवादिता को चुनौती देने के इस मिशन में योगदान देकर ख़ुश हैं. Lodestar UM में, हम सकारात्मक बदलाव लाने और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए मीडिया की शक्ति का उपयोग करने में विश्वास करते हैं.”

उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य, मीडिया की क्रय विशेषज्ञता का लाभ उठाकर, एक प्रभावशाली अभियान की रचना करना है, जो दर्शकों को अपने साथ जोड़कर धारणाओं को दोबारा आकार देने में मदद कर सके. Unstereotype Alliance के साथ, हम लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने और अधिक समावेशी मीडिया परिदृश्य को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं."

भारत में Unstereotype Alliance के सदस्यों ने, ASCI के GenderNext अध्ययन, कंटार का जैंडर समानता व्यवहार अध्ययन, जीडीआई व यूनीसेफ़ की विज्ञापन रिपोर्ट में लैंगिक चित्रण जैसे अनेक व्यावहारिक अध्ययन और बाज़ार अनुसन्धान किए हैं, जिनके ज़रिए विज्ञापन में मौजूदा लैंगिक रूढ़िवादिता की पहचान करके, उन्हें समाप्त करने की आवश्कता पर बल दिया गया है.