कोविड-19: तीन नई औषधियों का सॉलिडैरिटी ट्रायल घोषित
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बुधवार को बताया है कि कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के लिये असरदार इलाज की खोज करने के प्रयासों के तहत, वैश्विक एकजुटता क्लीनिकल ट्रायल के ताज़ा चरण में, तीन नई उम्मीदवार औषधियों का परीक्षण किया जा रहा है.
‘सॉलिडैरिटी प्लस’ कार्यक्रम के तहत, ये तीन औषधियाँ, 52 देशों में, कोविड-19 से संक्रमित ऐसे मरीज़ों पर आज़माई जाएंगी जो अस्पतालों में भर्ती हैं. इन औषधियों के नाम हैं – आर्टीसुनेट (artesunate), इमैटिनिब (imatinib) और इनफ़्लिक्सिमैब (infliximab).
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WHO
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आँकड़ों के अनुसार, बुधवार को, दुनिया भर में, कोविड-19 के 20 करोड़ 30 लाख से ज़्यादा मामले हो चुके थे.
20 करोड़ की संख्या पिछले सप्ताह दर्ज की गई थी और ये संख्या, 10 करोड़ होने के केवल छह महीने के भीतर ही पहुँच गई.
और ज़्यादा उपचारों की ज़रूरत
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी (WHO) के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने, बुधवार को, जिनीवा में एक पत्रकार वार्ता के दौरान बातचीत करते हुए, कोविड-19 के और ज़्यादा प्रभावशाली व सुलभ उपचार तलाश किये जाने की तात्कालिक ज़रूरत पर ख़ास ज़ोर दिया.
उन्होंने कहा, “कोविड-19 महामारी को रोकने, परीक्षण करने और उसका इलाज करने के लिये, हमारे पास पहले से ही काफ़ी साधन मौजूद हैं, जिनमें ऑक्सीजन, डेक्सामेथासोन और आईएल-6 शामिल हैं."
"मगर हमें इस बीमारी के मामूली से लेकर गम्भीर स्तर तक के मरीज़ों की ज़रूरतें पूरी करने की ख़ातिर और ज़्यादा चिकित्सीय साधनों की आवश्यकता है.”
“और हमें ऐसे स्वास्थ्यकर्मियों की आवश्यकता है जो इन चिकित्सकीय साधनों का इस्तेमाल, सुरक्षित वातावरण में करने के लिये प्रशिक्षित हों.”
ये तीन औषधियाँ, एक स्वतंत्र पैनल ने छाँटी हैं जिनका इस्तेमाल, कोविड-19 के कारण इलाज के लिये अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों में, मौत का जोखिम कम करने के लिये किया जाएगा.
ये तीनों औषधियाँ, अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करने के लिये, पहले से ही प्रयोग की जाती हैं.
आर्टीसुनेट (artesunate) मलेरिया की गम्भीर स्थिति का इलाज करने के लिये एक औषधि है, इमैटिनिब का प्रयोग, कुछ ख़ास क़िस्म की कैंसर परिस्थितियों का इलाज करने के लिये किया जाता है, जिनमें ल्यूकीमिया भी शामिल है.
इनफ़्लिक्सिमैब का इस्तेमाल, गठिया रोग की कुछ ख़ास क़िस्मों के अलावा, रोग प्रतिरोधी क्षमता मज़बूत करने के साथ-साथ कुछ अन्य बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है.
ये औषधियाँ, निर्माता कम्पनियों – इपका, नोवार्तिस और जॉनसन एण्ड जॉनसन ने, परीक्षण के लिये दान की हैं.
सहयोग से मिलते हैं ठोस परिणाम
‘सॉलिडैरिटी प्लस’, विश्व स्वास्थ्य संगठन के 194 सदस्य देशों के बीच, सबसे विशाल वैश्विक सहयोग कार्यक्रम है जिसमें 600 से ज़्यादा भागीदार अस्पतालों में, हज़ारों शोधकर्ता काम कर रहे हैं.
फ़िनलैण्ड भी सॉलिडैरिटी ट्रायल में भाग लेने वाले 52 देशों में शामिल है और वैक्सीन पहल – कोवैक्स में भी योगदान कर रहा है.
फ़िनलैण्ड के दो विश्वविद्यालय अस्पताल, परीक्षण का दूसरा चरण शुरू करने में, दुनिया में सबसे आगे रहे हैं.
फ़िनलैण्ड की सामाजिक व स्वास्थ्य मामलों की मंत्री हाना सरक्कीनेन ने कहा कि इन चिकित्सीय परीक्षणों में, लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने की अपार सम्भावना मौजूद है.
उन्होंने कहा, “वैसे तो, कोविड-19 पर लगभग 3000 चिकित्सीय अध्ययन चल रहे हैं, मगर उनमें से ज़्यादातर इतने छोटे पैमाने वाले हैं कि उनसे कोई ठोस जानकारी मिलना मुश्किल है. हमें ऐसे विशाल चिकित्सीय परीक्षणों की ज़रूरत है जिनके ज़रिये, कोविड-19 के मरीज़ों के लिये बेहतर इलाज सुलभ किया जा सके.”
आरम्भिक ‘सॉलिडैरिटी ट्रायल’ में, वर्ष 2020 के दौरान, चार औषधियों का मूल्यांकन किया गया. इनमें दिखाया गया था कि रेम्डेसिवियेर, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, लोपिनैविर और इण्टरफ़ेरॉन नामक इन औषधियों का, अस्पतालों में भर्ती, कोविड-19 के मरीज़ों पर या तो मामूली असर हुआ या बिल्कुल भी असर नहीं हुआ.
अन्तिम परिणाम, सितम्बर 2021 में आने की उम्मीद है.