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'एच5एन1' वायरस संक्रमण के मनुष्यों में फैलाव पर गहरी चिन्ता

कोलंबिया के सैन निकोलस इलाक़े में एक महिला अपने एक चिकन फॉर्म की देखभाल करते हुए
© World Bank/Charlotte Kesl
कोलंबिया के सैन निकोलस इलाक़े में एक महिला अपने एक चिकन फॉर्म की देखभाल करते हुए

'एच5एन1' वायरस संक्रमण के मनुष्यों में फैलाव पर गहरी चिन्ता

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने आगाह किया है कि विश्व के कई हिस्सों में मनुष्यों समेत स्तनपायी प्रजातियों में फैल रहा ‘बर्ड फ़्लू’ संक्रमण सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चिन्ता है. इसके मद्देनज़र, यूएन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हवा से फैलने वाले इस संक्रमण से निपटने के लिए नए उपायों की घोषणा की है. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुख्य वैज्ञानिक डॉक्टर जर्मी फ़रैर ने गुरूवार को बताया कि ‘एवियन इन्फ़्लूएंज़ा’ वायरस (एच5एन1) के कारण सैकड़ों संक्रमितों में ऊँची मृत्यु दर देखी गई है. 

फ़िलहाल, किसी संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में एच5एन1 संक्रमण फैलने का मामला सामने नहीं आया है. 

डॉक्टर जर्मी फ़रैर ने कहा, “एच5एन1 एक इन्फ़्लूएंज़ा संक्रमण है, जो मुख्यत: मुर्ग़ियों या बत्तख़ों में शुरू हुआ, और पिछले एक से दो वर्ष के दौरान अपने फैलाव की वजह से एक वैश्विक पशुजनित महामारी बन गया है.”

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उनके अनुसार बत्तख़ों और चिकन में संक्रमण होना और अब स्तनपायी जीवों (mammals) में इसका उभरना, इसमें बदलाव आना और फिर मनुष्यों को संक्रमित करने की आशंका का बढ़ना एक बड़ी चिन्ता का विषय है. और फिर, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण के फैलाव की क्षमता.

अमेरिका में डेयरी फ़ार्म की गायों में एच5एन1 वायरस का प्रकोप है. यूएन एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस सिलसिले में सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों से नज़दीकी निगरानी व जाँच का आग्रह किया गया है, चूँकि इसके अलग तरीक़ों से फैलने की सम्भावना उपज सकती है.

उन्होंने मवेशियों को पाले जाने वाले माहौल, उनके परिवहन पर चिन्ता जताते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना होगा कि यदि व्यक्ति से व्यक्ति में एच5एन1 संक्रमण की स्थिति उत्पन्न होती है, तो हम जल्द से जल्द बचाव क़दम उठा सकें और न्यायसंगत ढंग से वैक्सीन, उपचार व निदान उपलब्ध हो सके.

नई शब्दावली पर सहमति 

यूएन स्वास्थ्य विशेषज्ञ की ओर से यह हिदायत ऐसे समय में सामने आई है, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायु के ज़रिये फैलने वाले वायरस की व्याख्या करने के लिए अपनी भाषा में संशोधन किया है. इसका उद्देश्य नई वैश्विक महामारी की स्थिति में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है.

कोविड-19 महामारी के दौरान उपजी आपात स्थिति की पृष्ठभूमि में यह माना गया था कि साझा रूप से सहमति प्राप्त शब्दावली ना होने, जैसेकि कोरोनावायरस किस तरह फैलता है, की वजह से उस पर क़ाबू पाना चुनौतीपूर्ण साबित हुआ.

इससे निपटने के लिए, यूएन एजेंसी ने अफ़्रीका, चीन, योरोप और अमेरिका में चार प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियों के साथ विचार-विमर्श किया, जिसके बाद कई अहम शब्दावली पर सहमति की घोषणा की गई.

इनमें ‘संक्रामक श्वसन तंत्र सम्बन्धी कण’ (infectious respiratory particles) हैं, जिन्हें एयरोसॉल या ड्रॉपलेट (खांसते या छींकते समय मुँह से निकलने वाली बूँदें) के स्थान पर इस्तेमाल में लाया जाएगा, ताकि कणों के आकार पर किसी तरह के भ्रम से बचा जा सके.

डॉक्टर फ़रैर ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि नई शब्दावली पर सहमति के समानान्तर यह अहम है कि इस पहल के ज़रिये अन्तराष्ट्रीय समुदाय ने अधिक जटिल व बार-बार होने वाली बीमारियों व महामारियों से निपटने के अपने संकल्प को मज़बूत किया है.