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वृद्ध

दीर्घकालीन देखभाल प्रणालियों से, बुज़ुर्ग जन को समुचित सहारा और उनके बुनियादी अधिकारों के साथ स्वतंत्र रूप से जीवन जीने में मदद करती हैं.
© Unsplash/Raychan

बुज़ुर्गों के अधिकारों की रक्षा, पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने कहा है कि आज के समय में, वृद्धजन के बुनियादी अधिकारों की हिफ़ाज़त सुनिश्चित करने की ज़रूरत पहले से कहीं ज़्यादा है, मगर मौजूदा क़ानूनी सुरक्षाएँ, बुज़ुर्गों को दरअसल “अदृश्य” बनाती हैं.

एक उम्र दराज़ व्यक्ति स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल करते हुए.
Unsplash/Joshua Hoehne

उम्र दराज़ लोगों के लिये एआई के लाभ और ख़तरे रेखांकित

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बुधवार को कहा है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence - AI) प्रौद्योगिकियाँ उम्रदराज़ लोगों के स्वास्थ्य व रहन-सहन को बेहतर बना सकती हैं, बशर्ते कि इन प्रौद्योगिकियों के डिज़ायन, क्रियान्वयन और प्रयोग में से, उम्र की छाप यानि आयुवाद को हटा दिया जाए.

111 वर्षीय लायला एक कुर्दिश शरणार्थी हैं जो 2017 में सीरिया से ग्रीस पहुँचीं और उन्हें वहाँ असायलम यानी रहने की इजाज़त मिल गई. लेकिन लायला की ख़्वाहिश जर्मनी में रहने वाले अपने नाती-पोतों से मिलने की रही है.
UNHCR/Markel Redondo

बुज़ुर्गों की बढ़ती आबादी की ज़रूरतें पूरी करना ज़रूरी

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि दक्षिण पूर्वी एशियाई क्षेत्र में बुज़ुर्ग आबादी बढ़ रही है. इस क्षेत्र में मुख्य रूप से 11 देश शामिल हैं जिनके नाम हैं – भारत, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, इंडोनेशिया, म्यांमार, मालदीव, भूटान, थाईलैंड, उत्तर कोरिया (डीपीआरके) और तिमोर लेस्टे.