वन

मेडागास्कर में, जंगलों के सहारे, अनेक स्थानीय समुदायों की आजीविका चलती है
© UNICEF/Rindra Ramasomanana

स्वस्थ वन, स्वस्थ ग्रह, स्वस्थ मनुष्य

वनों को अक्सर पृथ्वी के फेफड़े कहा जाता है, क्योंकि वो हानिकारक कार्बन डाइऑक्साइड को सोख़कर, जीवनदायिनी ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं. इसलिए, इस वर्ष 2023 के अन्तरराष्ट्रीय वन दिवस की थीम की तर्ज़ पर, अगर स्वस्थ वनों की तुलना स्वस्थ लोगों से की जाए, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.

पेरू के जंगलों अमाराकाएरी सामुदायिक अभयारण्य (RCA) एक विशाल जंगल क्षेत्र है.
UNDP Peru

'स्वस्थ वन, सभी मनुष्यों व पृथ्वी के वजूद के लिये अत्यावश्यक'

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने 21 मार्च को मनाए जाने वाले ‘अन्तरराष्ट्रीय वन दिवस’ पर, अपने सन्देश में कहा है कि स्वस्थ वन व जंगल, मनुष्यों और पृथ्वी ग्रह के वजूद के लिये “अत्यावश्यक” हैं.

श्रीलंका में, जंगली हाथियों से वाथुपोलगामा गाँव की रक्षा के लिये बिजली की बाड़ बनाने के लिये सामुदायिक परामर्श.
Danushka Wickramarathne

श्रीलंका: हरित, सहनसक्षम और समावेशी विकास से सबक़

एक नया विकास प्रतिमान उभर रहा है, जिसका उद्देश्य महामारी के बाद ऐसा आर्थिक सुधार करना है जो अधिक टिकाऊ, सहनसक्षम व समावेशी हो. विश्व बैंक के इस नए दृष्टिकोण को हरित, लचीले और समावेशी विकास, यानि GRID (Green, Resilient and Inclusive Development) का नाम दिया गया है, जिसके तहत जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 और असमानता के सम्बन्धित संकटों को समग्र रूप से सम्बोधित करने के लिये भागीदारों को मदद दी जाएगी.

क्रोएशिया में, एक तूफ़ान के बाद, प्राकृतिक सुन्दरता का एक नज़ारा
WMO/Zrinka Balabanic

जैव विविधता के संरक्षण की ख़ातिर, अल्पसंख्यकों के अधिकारों की अनदेखी ना हो

संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ मानवाधिकार विशेषज्ञ डेविड बोयड ने गुरूवार को कहा है कि पृथ्वी ग्रह की ज़मीन पर जैव विविधता और पानी की बचत करने के लिये चलाए जाने वाले वैश्विक कार्यक्रम को, दुनिया के निर्बल लोगों के लिये जोखिम उत्पन्न करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती है.

प्राकृतिक पर्यावासों को बहाल कर, जलवायु व जैविविविधता संकटों से निपटने में मदद मिल सकती है.
CIFOR/Terry Sunderland

प्रकृति पर तीन बड़े ख़तरे - एक अरब हैक्टेयर क्षरित भूमि की बहाली पर बल

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन, प्रकृति क्षरण और प्रदूषण – तीन बड़े ख़तरों से निपटने के लिये, अगले एक दशक में चीन के आकार के बराबर क्षेत्र को बहाल किये जाने की आवश्यकता है. खाद्य एवँ कृषि संगठन (FAO) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने गुरुवार को एक नई रिपोर्ट जारी करते हुए सचेत किया है कि प्रकृति जितनी मात्रा में संसाधनों को टिकाऊ ढँग से प्रदान कर सकती है, मानवता उसका करीब डेढ़ गुना इस्तेमाल कर रही है.

जर्मनी में, जंगलों से झाँकती धूप की किरणें
Unsplash/Sebastian Unrau

वनों के लिये 'संभालें या बिगड़ने दें' लम्हा

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने कहा है कि प्राकृतिक दुनिया के साथ हमारे सम्बन्ध बहाल करने के प्रयासों में, वनों की केन्द्रीय भूमिका है. ये बात, उन्होंने सोमवार को, वनों पर संयुक्त राष्ट्र के फ़ोरम में कही.

काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में आदिवासी समुदाय के सदस्य एक दूरदराज़ के इलाक़े में वनों में रह रहे हैं.
UNICEF/Vincent Tremeau

मानवता, पृथ्वी व समृद्धि के लिये वन संरक्षण ज़रूरी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सरकारों और लोगों का आहवान किया है कि वनों की रक्षा करने और वन समुदायों को समर्थन देने के लिये प्रयास तेज़ किये जाने होंगे. यूएन प्रमुख ने, बुधवार, 3 मार्च, को विश्व वन्यजीवन दिवस (World Wildlife Day) के अवसर पर अपने सन्देश में, वन संसाधनों के अरक्षणीय प्रयोग और वन्यजीवों की तस्करी से उपजते ख़तरों के प्रति भी आगाह किया है.  

काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य के पूर्वी इलाक़े में एक गुरिल्ला. अनुकूल आवास के अभाव में स्वस्थ गुरिल्ला आबादी लगातार कम हो रही है, इसके लिये पूरे क्षेत्र में संघर्ष भी ज़िम्मेदार हैं.
UNEP

प्राकृतिक पर्यावरण को उठाना पड़ता है युद्ध का ख़ामियाज़ा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने प्राकृतिक संसाधनों और पारिस्थितिकी तन्त्र का बेहतर प्रबन्धन किये जाने का आहवान करते हुए ध्यान दिलाया है कि ऐसा करने से युद्धग्रस्त समाजों में शान्ति स्थापना करने और संकट प्रभावित देशों में टिकाऊ विकास में जान फूँकने का रास्ता निकल सकता है.

निजेर के कुछ क्षेत्रों में ख़राब भूमि प्रबन्धन के कारण भूमि क्षरण का शिकार हुई है.
© FAO/Giulio Napolitano

वनों की बहाली के लिये प्रयास, यूएन की अग्रणी भूमिका

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवँ कृषि संगठन (FAO) अगले दशक के दौरान भूदृश्य (Landscapes) और वनों को बहाल करने के प्रयास आगे बढ़ाने में एक अग्रणी भूमिका निभा रहा है. इन प्रयासों के तहत क्षरण का शिकार और वनों से वंचित 35 करोड़ हैक्टेयर भूमि को उबारने पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा – यह क्षेत्र भारत के क्षेत्रफल के आकार से भी बड़ा है. 

पपुआ न्यू गिनी के दुर्लभ जंगलों में बहुँत ऊँचे पेड़ हैं जिनसे बारिश में मदद मिलती है और इन जंगलों को पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है. (फ़ाइल फ़ोटो)
Ryan Hawk/Woodland Park Zoo

वनों की कटाई में कमी, लेकिन चिन्ता बरक़रार

खाद्य एवँ कृषि एजेंसी (FAO) की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि पिछले तीन दशकों में विश्व भर में 17 करोड़ हैक्टेयर से ज़्यादा क्षेत्र में फैले वन लुप्त हो गए हैं. लेकिन इसी अवधि में वनों की कटाई की रफ़्तार में गिरावट भी दर्ज की गई है. रिपोर्ट में टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में वनों की अहमियत को रेखांकित करते हुए टिकाऊ वन प्रबन्धन पर भी ज़ोर दिया गया है.