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श्रम बाज़ार

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल के बाहरी इलाक़े में, खेतों पर काम करते हुए महिलाएँ. (फ़ाइल)
UNAMA/Fardin Waezi

अफ़ग़ानिस्तान: तालेबान की सत्ता वापसी के बाद से, महिला रोज़गार स्थिति चिन्ताजनक

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने अफ़ग़ानिस्तान में स्थिति पर, मंगलवार को नए आँकड़े जारी किए हैं, जोकि दर्शाते हैं कि अगस्त 2021 में देश की सत्ता पर, तालेबान का नियंत्रण हो जाने के बादस महिलाओं के रोज़गार स्तर में भारी गिरावट आई है.

थाईलैण्ड के पश्चिमी प्रान्त माए सोत की एक फ़ैक्ट्री में काम कर रही प्रवासी महिलाएँ.
UN Women/Piyavit Thongsa-Ard

रोज़गार-सम्बन्धी लैंगिक खाई, पहले के अनुमानों से कहीं अधिक

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि रोज़गार सुलभता, कामकाजी परिस्थितियों व आय में व्याप्त लैंगिक असन्तुलन, पहले व्यक्त किए गए अनुमानों से कहीं अधिक है. यूएन श्रम एजेंसी ने सचेत किया है कि पिछले दो दशकों में इस खाई को पाटने के लिए प्रयासों की गति धीमी रही है, जोकि निराशाजनक है.

नामीबिया की एक यूरेनियम खदान में, एक विशाल ट्रक के पहिये की मरम्मत करता एक कर्मचारी.
World Bank/John Hogg

आईएमएफ़: अगले वर्ष उछाल से पहले, 2023 में कमज़ोर होगी वैश्विक वृद्धि

अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने "शून्य-कोविड" नीति के अन्त के बाद, चीन के अचानक फिर से खुलने व योरोप में हल्की सर्दी जैसे कारकों का हवाला देते हुए कहा है कि 2024 में वापस उछाल आने से पहले, इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था के कमज़ोर होने का अनुमान है.

मैक्सिको के सैंटियागो डी क्वेरेटारो की गलियों में गुड़िया बेचती, मैक्सिको के आदिवासी समूह की एक महिला.
Unsplash/Bernardo Ramonfaur

यूक्रेन सहित अनेक वैश्विक संकटों के कारण श्रम बाज़ार में बिगड़ते हालात

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) का एक नया विश्लेषण दर्शाता है कि आपस में गुँथे हुए अनेक आर्थिक व राजनैतिक संकटों का असर, यूक्रेन में जारी युद्ध के कारण और अधिक गहराया है. इससे विश्व भर में श्रम बाज़ार के लिये ख़तरा पनप रहा है और बेरोज़गारी व विषमता बढ़ने की आशंका है.

यूक्रेन के स्कवीरा में अनाज प्रसंस्करण फ़ैक्टी में कार्यरत कामगार.
© FAO/Genya Savilov

यूक्रेन संकट: 48 लाख रोज़गार हानि की आशंका, ILO का नया विश्लेषण

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) का एक नया विश्लेषण दर्शाता है कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण शुरू होने के बाद से अब तक लगभग 48 लाख रोज़गार समाप्त हो जाने की आशंका है. यूएन एजेंसी के अनुसार, अगर ये टकराव और अधिक बढ़ता है, तो रोज़गार हानि का आँकड़ा 70 लाख तक पहुँच सकता है.

फ़्राँस के एक अस्पताल की रसोई में मरीज़ों के लिये भोजन तैयार किया जा रहा है.
ILO Photo/Marcel Crozet

कोविड-19 का श्रम बाज़ार पर असर - बढ़ती बेरोज़गारी, निर्धनता और विषमता

वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण श्रम बाज़ार में उपजे संकट के ख़त्म होने के आसार फ़िलहाल नहीं है, और रोज़गार के अवसरों में होने वाली बढ़ोत्तरी, वर्ष 2023 तक इस नुक़सान की भरपाई नहीं कर पाएगी. अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा बुधवार को जारी एक रिपोर्ट दर्शाती है कि वैश्विक संकट के कारण, 2022 तक बेरोज़गारों की संख्या बढ़कर 20 करोड़ 50 लाख हो जाएगी, और निर्धनों की संख्या में वृद्धि होने के साथ-साथ विषमता भी बढ़ेगी.