म्यांमार के कुछ इलाक़ों में मीडिया की पहुंच नहीं होने और मानवाधिकार संगठनों पर गंभीर पाबंदियां लगाए जाने की ख़बरें मिली हैं. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत यैंगही ली ने म्यांमार सरकार से अपना फ़ैसला बदलने और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बहाल करने का अनुरोध किया है.
म्यांमार में रॉयटर्स न्यूज़ एजेंसी के दो पुलित्ज़र पुरस्कार विजेता पत्रकारों को जेल से रिहा किए जाने के निर्णय का संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) ने स्वागत किया है लेकिन प्रेस आज़ादी पर मंडराते संकट पर चिंता भी जताई है. 500 दिनों तक जेल में बंद रहने वाले इन दो पत्रकारों ने रोहिंज्या मुस्लिमों पर सुरक्षा बलों की कार्रवाई की रिपोर्टिंग की थी.
म्यांमार में सुरक्षा बलों और हथियारबंद अलगाववादी गुटों के बीच तेज़ होती झड़पों के बीच राखीन प्रांत में सेना के हैलीकॉप्टर से हुए हमले में रोहिंज्या समुदाय के सात लोगों की मौत हो गई है जबकि 18 लोग घायल हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने हमले की निंदा करते हुए कहा है इस हमले को युद्धापराध की श्रेणी में रखा जा सकता है.
म्यांमार में मानवाधिकारों की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही हैै और निकट भविष्य में रोहिंज्या शरणार्थियों का वापस लौटना मुश्किल है. संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार विशेषज्ञ यैंगही ली ने थाईलैंड और बांग्लादेश के 11 दिनों के दौरे से लौटने के बाद बताया कि सरकार वहां लोकतांत्रिक सुधारों को लाने में विफल रही है.
म्यांमार के राखीन प्रांत में हथियारबंद गुटों और सुरक्षा बलों के बीच छिटपुट झड़पों को छोड़ कर बड़े पैमाने पर लड़ाई अभी शुरू नहीं हुई है लेकिन सुरक्षा बलों का जमावड़ा लगातार बढ़ने से चिंतित संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी ने समस्या का शांतिपूर्ण ढंग से रास्ता तलाशे जाने की अपील की है.
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी मामलों की एजेंसी (UNHCR) ने रोहिंज्या शरणार्थियों के एक समूह को वापस म्यांमार भेजे जाने के भारत सरकार के निर्णय परअफ़सोस ज़ाहिर किया है. तीन महीनों में यह दूसरी बार है जब भारत सरकार ने शरणार्थियों को म्यांमार भेजा है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, यूनिसेफ ने बांग्लादेश सरकार की तरफ़ से इस पुष्टि का स्वागत किया कि रोहिंग्या शरणार्थियों को उनकी इच्छा के बिना म्यांमार वापस नहीं भेजा जाएगा जहां से उनके अधिकारों का उल्लंघन जारी रहने की खबरें आ रही हैं.
संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी मामलों के लिए शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि म्याँमार से सुरक्षा के लिए भागने को मजबूर होकर बांग्लादेश पहुँचे रोहिंज्या शरणार्थियों की स्वदेश वापसी उनकी इच्छानुसार ही होनी चाहिए. फिलिपो ग्रैंडी ने कहा कि म्याँमार में रोहिंज्या लोगों के मूल निवास स्थानों पर अब भी हालात सुरक्षित नहीं हैं जिससे कि उनकी सम्मानजक और टिकाऊ तरीक़े से वापसी हो सके.