वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

प्रकृति संरक्षण

भारत और श्रीलंका के जंगलों में हरे रंग की जंगली छिपकली पाई जाती है.
© Unsplash/K. P. D. Madhuka

वैश्विक जैवविविधता के सरंक्षण के लिये महत्वपूर्ण समझौता

कैनेडा के माँट्रियाल में संयुक्त राष्ट्र जैवविविधता सम्मेलन (कॉप15) के समापन पर एक महत्वपूर्ण समझौते पर सहमति बनी है, जोकि इस दशक के अन्त तक विश्व में 30 प्रतिशत भूमि, तटीय इलाक़ों और अन्तर्देशीय जलक्षेत्र के संरक्षण पर लक्षित है. एक वीडियो रिपोर्ट...

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, कैनेडा के माँट्रियाल में यूएन जैव विविधता सम्मेलन कॉप15 में, युवाओं के साथ बातचीत करते हुए.
UN Photo/Evan Schneider

कॉप15 सम्मेलन के दौरान एक नया ‘वैश्विक जैवविविधता फ़्रेमवर्क

जैव-विविधता संरक्षण के लिये कॉप15 में सभी देशों के वार्ताकारों में, प्रकृति की रक्षा के वादों को पूरा करने के नए लक्ष्य निर्धारित करने में गहरी दिलचस्पी नज़र आई है. यूएन जैवविविधिता सम्मेलन (कॉप15) के संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सचेत किया है कि प्रकृति की कारगर ढंग से रक्षा सुनिश्चित करने के लिये सरकारों और निजी सैक्टर को सक्रिय प्रयास करने होंगे. (वीडियो फ़ीचर)

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश (दाएँ) कैनेडा के माँट्रियाल में जैवविविधता को समर्पित एक संग्रहालय में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रडो के साथ.
UN Photo/Evan Schneider

प्रकृति संरक्षण के लिये, देशों व व्यवसायों से मज़बूत कार्रवाई का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सचेत किया है कि प्रकृति की कारगर ढँग से रक्षा सुनिश्चित करने के लिये सरकारों और निजी सैक्टर को सक्रिय प्रयास करने होंगे. यूएन प्रमुख ने कैनेडा के माँट्रियाल शहर में यूएन जैवविविधिता सम्मेलन (कॉप15) के दौरान बुधवार को पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए यह बात कही है.

बोलिविया के लगूना कोलोराडा में फ़्लैमिन्गोज़.
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‘प्रकृति के बिना, हमारे पास कुछ भी नहीं’: यूएन जैवविविधता सम्मेलन - कॉप15 में यूएन प्रमुख की चेतावनी

जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र का महत्वपूर्ण सम्मेलन (कॉप15) मंगलवार को कैनेडा के माँट्रियाल शहर में आरम्भ हुआ है, जहाँ वार्ताकार मानवीय गतिविधियों के कारण प्रकृति के चिन्ताजनक विध्वंस पर लगाम कसने के लिये नए लक्ष्य स्थापित करने पर ध्यान केन्द्रित करेंगे.यूएन प्रमुख ने जैवविविधता की रक्षा के लिये तीन अहम उपायों पर बल देते हुए आगाह किया है कि प्रकृति के बिना, मानवता के पास कुछ भी नहीं है.