न्यूमोनिया

प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनाने, पर्याप्त पोषण और पर्यावरणीय कारकों को दूर कर न्यूमोनिया से रक्षा की जा सकती है.
WHO/Yoshi Shimizu

विश्व न्यूमोनिया दिवस: मेडिकल ऑक्सीजन से नन्ही जानों की रक्षा सम्भव

न्यूमोनिया एक गम्भीर स्वास्थ्य चुनौती है जिससे हर साल पाँच साल से कम उम्र के लगभग आठ लाख बच्चों की मौत होती है, लेकिन वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी ने इस घातक संक्रमण से निपटने के प्रयासों को और भी अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है.12 नवम्बर को ‘विश्व न्यूमोनिया दिवस’ पर संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने आगाह किया है कि न्यूमोनिया संक्रमण के गम्भीर मामलों में हर साल 42 लाख से ज़्यादा बच्चों को ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है जिसे पूरा किया जाना होगा. 

पाँच वर्ष से कम उम्र के लगभग आठ लाख बच्चों की मौत हर साल न्यूमोनिया के कारण हो जाती है. नाइजीरिया में ऐसे बच्चों की संख्या सबसे ज़्यादा है जहाँ 2018 में लगभग एक लाख 62 हज़ार बच्चों की मौत न्यूमोनिया के कारण हुई.
©UNICEF/Siegfried Modola

न्यूमोनिया पर कार्रवाई के अभाव में 90 लाख बच्चों की जान को ख़तरा

न्यूमोनिया के ख़िलाफ़ लड़ाई में प्रयासों को ज़्यादा मज़बूत बनाकर अगले दशक में 90 लाख बच्चों की मौतों को टाला जा सकता है. स्पेन के बार्सिलोना शहर में ‘बालावस्था में न्यूमोनिया’ विषय पर आयोजित वैश्विक फ़ोरम से ठीक पहले जारी एक नए विश्लेषण में यह बात सामने आई है. वर्ष 2018 में न्यूमोनिया से आठ लाख बच्चों की मौत हुई यानी हर 39 सेकेंड में एक बच्चे की मौत.

वर्ष 2018 में न्यूमोनिया के कारण आठ लाख बच्चों की मौत हुई.
© UNICEF/Jannatul Mawa

किसी भी अन्य बीमारी की तुलना में न्यूमोनिया है सबसे ज़्यादा घातक

न्यूमोनिया एक ऐसी बीमारी है जिसकी आसानी से रोकथाम की जा सकती है. इसके बावजूद विश्व में किसी अन्य बीमारी की तुलना में बच्चों की सबसे ज़्यादा मौतें इसी बीमारी से हो रही हैं – हर 39 सेकेंड में एक मौत. संयुक्त राष्ट्र और साझेदार संगठनों ने मंगलवार को ‘विश्व न्यूमोनिया दिवस’ पर चेतावनी जारी की है कि इन सर्वविदित तथ्यों के बावजूद बच्चों के जीवन की रक्षा के लिए पर्याप्त धनराशि का अभाव है.