वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

कश्मीर

यूएन महासभागार का एक विहंगम दृश्य
UN Photo/Cia Pak

'उत्तर का अधिकार', नियम और उद्देश्य

पाकिस्तान और भारत दोनों ऐसे देश हैं जो महासभा में 'उत्तर का अधिकार' (Right of Reply) का अक्सर प्रयोग करते हुए, एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे हैं. इस अधिकार को नियंत्रित करने के क्या नियम हैं और इससे, संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों को बढ़ावा देने में किस तरह मदद मिलती है? (वीडियो)

यूएन महासभागार में एक कार्यक्रम का दृश्य.
UN Photo/Manuel Elias

UNGA78: 'उत्तर का अधिकार' के तहत, पाकिस्तान व भारत के बीच नोक-झोंक

संयुक्त राष्ट्र महासभा में वार्षिक सत्र के दौरान जब देशों के नेतागण व प्रतिनिधि, विश्व के सामने आपनी बात रखते हैं, तो अन्य देशों को उस विषय के सम्बन्ध में, 'उत्तर के अधिकार' (Right of Reply) के तहत, अपनी टिप्पणी कहने या अपना पक्ष रखने मौक़ा होता है. पाकिस्तान और भारत, यूएन महासभा में 'उत्तर के अधिकार' के इस अवसर का अक्सर प्रयोग करते हैं, और इस वर्ष पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अनवार - उल - हक़ काकड़ के यूएन महासभा में सम्बोधन के बाद भी ऐसा ही हुआ, जब दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने अपने इस अधिकार का इस्तेमाल किया. एक बानगी...

जम्मू और कश्मीर में शुक्रवार की नमाज़ का एक दृश्य. (फ़ाइल)
©John Isaac

भारत: कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर 'दमनात्मक' कार्रवाई तुरन्त रोके जाने की मांग

संयुक्त राष्ट्र की स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ मैरी लॉलोर ने भारत सरकार से कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के विरुद्ध दमनकारी कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाए जाने की मांग की है. यूएन विशेषज्ञ ने कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ को आतंकवाद के आरोप में एक दूसरे मामले में गिरफ़्तार किए जाने के बाद शुक्रवार को जारी अपने वक्तव्य में यह बात कही है.

श्रीनगर में तैनात सुरक्षाकर्मी (फ़ाइल).
Nimisha Jaiswal/IRIN

कश्मीरी मानवाधिकार पैरोकार ख़ुर्रम परवेज़ की तत्काल रिहाई की मांग

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने मंगलवार को कहा है कि भारतीय कश्मीर में मानवाधिकार पैरोकार ख़ुर्रम परवेज़ की गिरफ़्तारी और बन्दीकरण ने क्षेत्र में सिविल सोसायटी, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों पर भयावह प्रभाव छोड़े हैं. उन्होंने भारत सरकार से ख़ुर्रम परवेज़ की तुरन्त और बिना शर्त रिहाई की अपनी पुकार भी दोहराई है.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान का, यूएन महासभा के 76वें सत्र की उच्चस्तरीय जनरल डिबेट को वीडियो सम्बोधन (24 सितम्बर 2021)
UN Photo/Cia Pak

पाकिस्तान का सुझाव, मौजूदा अफ़ग़ान सरकार को स्थिर बनाने में सभी का हित

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने यूएन महासभा की जनरल डिबेट को सम्बोधित करते हुए, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, अफ़ग़ानिस्तान में “मौजूदा सरकार को मज़बूत करने” और “देश के लोगों की बेहतरी की ख़ातिर, उसे स्थिर किये जाने का आहवान किया है.”

पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान ख़ान संयुक्त राष्ट्र महासभा के75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/ Rick Bajornas

75वाँ सत्र: पााकिस्तान के प्रधानमन्त्री ने 'इस्लामोफ़ोबिया' के उभार पर चिन्ता जताई

पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान ख़ान ने कहा है कि अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्धों में स्फूर्ति के लिये अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत टकराव के बजाय आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया चाहिये. इमरान ख़ान ने शुक्रवार को यूएन महासभा में जनरल डिबेट को दिये सन्देश में बढ़ते 'इस्लामोफ़ोबिया' या मुस्लिम समुदाय से तथाकथित भय की भावना पर चिन्ता जताई है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने पाकिस्तान की तीन दिन की यात्रा के पहले दिन राजधानी इस्लामाबाद में कुछ अफ़ग़ान शरणार्थियों से भी मुलाक़ात की. (16 फ़रवरी 2020
Mark Garten

यूएन महासचिव के रूप में पहली पाकिस्तान यात्रा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस हैसियत में अपनी पहली पाकिस्तान यात्रा के पहले दिन रविवार को अफ़ग़ान शरणार्थियों से मुलाक़ात की. उन्होंने जम्मू कश्मीर की स्थिति का शांतिपूर्ण हल निकाले जाने की ज़रूरत भी व्यक्त की.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश पाकिस्तान की तीन दिन की यात्रा के पहले दिन राजधानी इस्लामाबाद में. दाईं तरफ़ हैं पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी (16 फ़रवरी 2020
May Yaacoub/UN News

'जम्मू कश्मीर में मानवाधिकारों का सम्मान अति महत्वपूर्ण'

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि जम्मू कश्मीर के लोगों की मूलभूत स्वतंत्रताओं और उनके मानवाधिकारों का पूर्ण सम्मान किया जाना बहुत महत्वपूर्ण है.

भारत प्रशासित कश्मीर के राजौरी ज़िले में एक सरकारी स्कूल का दृश्य (फ़ाइल फ़ोटो)
UNICEF/Syed Altaf Ahmad

कश्मीर: 'स्थिति मुक्त और अधिकार बहाल हों', मानवाधिकार उच्चायुक्त

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा है कि भारत प्रशासित कश्मीर में आम लोग अब भी बहुत सी बुनियादी स्वतंत्रताओं से वंचित हैं. मानवाधिकार उच्चायुक्त ने भारत प्रशासित कश्मीर में “स्थिति को मुक्त” करने और लोगों के अधिकार पूरी तरह बहाल किए जाने का आग्रह भी किया.