वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

डिजिटल सुरक्षा

बांग्लादेश की राजधानी ढाका का एक दृश्य.
© Unsplash/Niloy Biswas

बांग्लादेश: मीडिया पर बढ़ती सख़्ती 'चिन्ताजनक', डिजिटल सुरक्षा क़ानून पर रोक लगाने का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) के प्रमुख वोल्कर टर्क ने बांग्लादेश में ‘डिजिटल सुरक्षा क़ानून’ के सख़्त प्रावधानों पर चिन्ता जताते हुए, सरकार से आग्रह किया है कि उसे अमल में लाए जाने पर तत्काल रोक लगाई जानी होगी. इस क़ानून के तहत अब तक दो हज़ार से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं.

उज़बेकिस्तान में युवा महिलाएँ, स्थानीय लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिये तकनीक का सहारा ले रही हैं.
Rimma Mukhtarova and Sabina Baki

लड़कियों के लिये, टैक्नॉलॉजी की सुलभता सुनिश्चित किये जाने पर बल

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने ‘सूचना व संचार टैक्नॉलॉजी में लड़कियों के अन्तरराष्ट्रीय दिवस’ पर डिजिटल सीखने-सिखाने के अवसरों की समान सुलभता सुनिश्चित किये जाने का आहवान किया है.

स्वास्थ्य के लिए शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त रहने के बजाय अब बहुत से लोगों व बच्चों में फ़ोन का इस्तेमाल बढ़ रहा है.
© UNICEF/UN014974/Estey

कोविड-19; साइबर सुरक्षा को पुख़्ता बनाने के उपायों पर चर्चा

वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण दुनिया एक बड़े संकट से जूझ रही है और इस माहौल में ऑनलाइन माध्यमों पर निर्भरता बढ़ी है लेकिन साइबर अपराध और बाल शोषण जैसे ख़तरे भी पैदा हो गए हैं. इनकी गंभीरता के मद्देनज़र कोविड-19 के दौरान ऑनलाइन माध्यमों पर बचाव व सुरक्षा के विषय पर अन्तरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) ने हाल ही में एक वेबिनार आयोजित की जिसमें डिजिटल सेवाओं को सुलभ बनाने, ऑनलाइन माध्यमों पर सुरक्षा बढ़ाने और युवा पीढ़ी को साइबर जोखिमों से बचाने के समाधानों पर चर्चा हुई. 

सर्वे में हिस्सा लेने वाले 32 फ़ीसदी का मानना है कि सरकारों को ‘साइबर बुलींग’ पर रोक लगानी चाहिए.
UNICEF/Naftalin

ऑनलाइन माध्यमों पर बच्चों को डराना-धमकाना बना बड़ी समस्या

साइबर जगत में बच्चों और किशोरों को डराए-धमकाए जाने के बढ़ते मामलों पर गहराती चिंता के बीच एक नया सर्वेक्षण दर्शाता है कि 30 देशों में हर तीन में से एक युवा को ऑनलाइन माध्यमों पर डराया-धमकाया (Bullying) गया है.  संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) और बच्चों के विरुद्ध हिंसा पर यूएन के विशेष प्रतिनिधि के कार्यालय की ओर से कराए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार इससे तंग आकर हर पांच से में एक बच्चे ने स्कूल जाना भी छोड़ दिया.