चेचक

मंकीपॉक्स के निशान, अक्सर हथेलियों पर नज़र आते हैं.
© CDC

'हो सकता है कि मंकीपॉक्स के संक्रमण का कुछ समय से पता ही ना चला हो'

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने बुधवार को कहा है कि किसी स्थानीय महामारी की ग़ैर-मौजूदगी वाले 30 देशों ने, मंकीपॉक्स के 550 से ज़्यादा पुष्ट मामलों की ख़बर दी है. उन्होंने कहा है कि ऐसा हो सकता है कि ये संक्रमण कुछ समय से मौजूद रहा है और इसकी मौजूदगी के बारे में पता नहीं चला हो.

पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त के कराची शहर की गादब बस्ती में, 13 दिन के एक बच्चे को पोलियो की वैक्सीन पिलाते हुए. पाकिस्तान में पोलियो अभी पूरी तरह ख़त्म नहीं हुआ है.
UNICEF/Asad Zaidi

टीकाकरण से होती है स्वास्थ्य व जीवन रक्षा

टीकाकरण से हर साल कम से कम 40 से 50 लाख लोगों की जान बचती है. इस उल्लेखनीय सफलता की कहानी, हाल के दशकों में दुनिया भर में फैले बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियानों का परिणाम है. करोड़ों लोगों की जान लेने वाली चेचक को 1980 में पूरी तरह मिटा दिया गया और 1988 के बाद से पोलियो के मामले लगभग  99% घट गए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) में टीकाकरण निदेशक, डॉक्टर केट ओ'ब्रायन, 18वीं शताब्दी के अन्त में पहली आधुनिक वैक्सीन के विकास से लेकर, आज की कोविड महामारी का मुक़ाबला करने वाले नए टीकों तक के ऐतिहासिक सफ़र पर ले जा रही हैं... (वीडियो फ़ीचर) 

काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में विस्थापित लोगों के लिये उत्तर कीवू में बनाए गए एक स्वास्थ्य केन्द्र में, मंकीपॉक्स से संक्रमित एक पाँच वर्षीय बच्चा.
© UNICEF/Piero Pomponi

मंकीपॉक्स: रोकथाम अब भी सम्भव, संक्रमण फैलाव का जोखिम बहुत कम

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी – WHO ने मंगलवार को कहा है कि मंकीपॉक्स का जो संक्रमण दुनिया भर के 16 देशों और स्वास्थ्य एजेंसी के विभिन्न क्षेत्रों में दर्ज किया गया है, उस पर क़ाबू पाया जा सकता है, और संक्रमण का कुल जोखिम बहुत कम है.

चेचक से पीड़ित हर 10 में तीन मरीज़ों की मौत हो जाती थी.
WHO/W. WILKIE

'चेचक उन्मूलन से मिले सबक़' काम आएंगे कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में

ऐसे समय जब दुनिया वैश्विक महामारी कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में जुटी है, शुक्रवार को चेचक बीमारी के ऐतिहासिक उन्मूलन के 40 साल पूरे हुए हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि चेचक पर विजय दर्शाती है कि सभी देश एक साथ आकर आपसी एकजुटता से कितना कुछ हासिल सकते हैं. 

ख़सरा और रुबेली जैसी बीमारियों के वायरस बच्चों को ज़्यादा निशाना बनाते हैं, ख़ासतौर से कुपोषित और कमज़ोर रोग प्रतिरोधी क्षमता वाले बच्चों को.
Pan American Health Organization (PAHO)

ख़सरा और रुबेला के 2023 तक ख़ात्मे का संकल्प

विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण पूर्वी एशिया के क्षेत्र के सदस्य देशों ने अपने यहाँ ख़सरा और रुबेला बीमारियों को साल 2023 तक पूरी तरह से ख़त्म करने का संकल्प व्यक्त किया है. दक्षिण पूर्वी एशियाई क्षेत्र के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्षेत्रीय समिति के नई दिल्ली में 5 सितंबर को हुए 72वें सत्र में ये संकल्प लिया गया.

यूक्रेन के कीव में बच्चों के एक अस्पताल में चिकित्साकर्मी एक बच्ची को ख़सरा की पहली ख़ुराक़ देते हुए. योरोप में अब ख़सरा फिर से सिर उठा रही है.
© UNICEF/UN0201055/Krepkih

योरोप में ख़सरा का ख़तरा फिर उठा रहा है सिर

ख़सरा का ख़ात्मा करने के अभियान में योरोप पीछे छूट रहा है. योरोप के ख़सरा और रूबेला उन्मूलन पुष्टिकरण क्षेत्रीय आयोग (आरवीसी) ने गुरूवार को आगाह करते हुए कहा है कि योरोप के अनेक ऐसे देशों में जहाँ ख़सरा या तो पूरी तरह ख़त्म हो गया था या उस पर व्यापक पैमाने पर क़ाबू पा लिया गया था, वहाँ अब ये कामयाबी कमज़ोर पड़ती दिख रही है.