भूकंप

हेती की राजधानी पोर्ट ओ प्रिंस का एक दृश्य, जहाँ 2010 में आए भूकंप में भारी तबाही हुई थी.
UN Photo/Marco Dormino

हेती: भूकंप के प्रभावितों की याद, भविष्य संवारने में मदद का वादा भी

हेती में जनवरी 2010 में आए विनाशकारी भूकंप में लगभग दो लाख 20 लोगों की मौत हो गई थी और तीन लाख से ज़्यादा घायल हुए थे. मृतकों में संयुक्त राष्ट्र के 102 कर्मचारी भी थे.  केवल 35 सेकंड तक चले 7.0 की तीव्रता वाले उस भूकंप के बाद लगभग 15 लाख लोग बेघर भी हो गए थे. भूकंप के दस वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रभावितों को यूएन मुख्यालय में शुक्रवार को आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में सम्मान के साथ याद किया गया.

हेती में 12 जनवरी 2010 को आए भूकंप में संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा मिशन के मुख्यालय की ढही इमारत के मलबे में जीवितों की तलाश करते राहतकर्मी.
MINUSTAH/Marco Dormino

हेती भूकंप विनाश के दस वर्ष: यूएन मदद जारी रखने का संकल्प

12 जनवरी 2010 को हेती में सिर्फ़ 35 सेकंड का एक भूकंप आया मगर उसकी तीव्रता 7.0 थी जिसने राजधानी पोर्ट ओ प्रिंस को दहलाकर रख दिया. उस महाविनाशकारी भूकंप में लगभग 2 लाख 20 लोगों की मौत हुई और तीन लाख से ज़्यादा घायल हुए. लगभग 15 लोगों के घर छिन गए. महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने उस भूकंप के दस वर्ष पूरे होने पर जारी अपने संदेश में कहा है कि संयुक्त राष्ट्र हेती और वहाँ के लोगों के बेहत भविष्य निर्माण में मदद करना जारी रखेगा. (यूएन महासचिव का वीडियो संदेश...)

हेती में 12 जनवरी 2010 को आए भूकंप में संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा मिशन के मुख्यालय की ढही इमारत के मलबे में जीवितों की तलाश करते राहतकर्मी.
UN Photo/Sophia Paris

हेती: विनाशकारी भूकंप के दस वर्ष, यूएन मदद जारी रखने का वादा

12 जनवरी 2010 को हेती में 7.0 की तीव्रता वाला भूकंप आया जिसने राजधानी पोर्ट ओ प्रिंस को दहलाकर रख दिया. हेती सरकार के आँकड़ों के अनुसार उस भूकंप में लगभग दो लाख 20 हज़ार लोगों की जान चली गई थी. इनमें संयुक्त राष्ट्र के 102 कर्मचारी भी थे. हेती में संयुक्त राष्ट्र मिशन के मुख्यालय वाली इमारत भी ढह जाने से इन कर्मचारियों की मौत हुई. 

हैती की राजधानी पोर्त-ओ-प्रांस का हवाई सर्वेक्षण.
MINUJUSTH/Leonora Baumann

विनाशकारी भूकंप के 9 साल बाद क्या हैती में आपदा प्रबंधन बेहतर हुआ है?

​हैती में 9 साल पहले 12 जनवरी 2010 को आए विनाशकारी भूकंप में राजधानी पोर्त-ओ-प्रांस आधे से ज़्यादा ध्वस्त हो गई थी, दो लाख से ज़्यादा मौतें हुई थीं जबकि दस लाख से अधिक लोग विस्थापित होने को मजबूर हो गए थे. लेकिन सवाल यह है कि क्या स्थानीय प्रशासन इस तरह की आपदाओं को सामना करने के लिए अब पहले से बेहतर ढंग से तैयार है?