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भूजल प्रबन्धन

फिलीपींस जैसे देशों में चावल जैसी फ़सलों की खेती के लिये बड़ी मात्रा में ताज़े पानी की आवश्यकता होती है, जिसका पर्यावरणीय असर पड़ता है.
© FAO/Lena Gubler

खेतीबाड़ी के अस्तित्व के लिये अति अहम पानी पर मंडराते कुछ जोखिम

1950 के दशक से, सिन्थेटिक उर्वरकों, रासायनिक कीटनाशकों और उच्च उपज वाले अनाज जैसे नवाचारों ने मानवता को अनाज उत्पादन की मात्रा में नाटकीय रूप से वृद्धि करने में मदद की है. लेकिन ये आविष्कार, कृषि की सबसे क़ीमती वस्तु - ताज़े पानी के बिना बेकार होंगे. और शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अब ख़तरे में है.