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भोपाल गैस त्रासदी

कनाडा के टोरंटो में एक फ़ैक्टरी परिसर में चिमनियों से निकलता धुआँ. (फ़ाइल)
UN Photo/Kibae Park

भोपाल जैसी त्रासदियों की रोकथाम के लिए 'मानवाधिकारों पर काम करे' रसायन उद्योग जगत

संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ मानवाधिकार विशेषज्ञ बास्कुट तुनचक ने कहा है कि भारत में पिछले सप्ताह एक रासायनिक संयन्त्र (कैमिकल प्लान्ट) में घातक गैस का रिसाव होना रसायन उद्योग जगत को नीन्द से जगा देने वाली घण्टी है. उन्होंने आगाह किया है कि मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए व्यवसायों को अपनी ज़िम्मेदारी निभानी होगी. 7 मई को आन्ध्र प्रदेश राज्य के विशाखापट्टनम शहर के पास स्थित एक रसायन फ़ैक्ट्री से स्टायरीन गैस रिस जाने से 12 लोगों की मौत हो गई थी और एक हज़ार से ज़्यादा लोगों की तबीयत बिगड़ गई थी. 

यूएन के अनुमान के मुताबिक़ वर्ष 2030 तक रसायन उद्योग आकार में दोगुना हो जाएगा.
Photo: UNEP

भोपाल त्रासदी: रसायन उद्योग जगत को ‘मानवाधिकारों का सम्मान करना होगा’

संयुक्त राष्ट्र के एक स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने भारत में भोपाल गैस त्रासदी के 35 साल पूरे होने पर रसायन निर्माताओं से अपनी ज़िम्मेदारी समझने और मानवाधिकारों का सम्मान करने की अपील की है. यूएन के विशेष रैपोर्टेयर बास्कुट तुनचक ने कहा है स्वैच्छिक मानवाधिकार मानकों को अपनाने की प्रक्रिया में कमज़ोरियां नीहित हैं और इसलिए मज़बूत क़ानूनी विकल्पों की तत्काल आवश्यकता है.